अमेरिका में नए पाकिस्तानी दूत सरदार मसूद खान की नियुक्ति के बाद एक बार फिर इस्लामाबाद का आतंकियों के साथ गहरा गठजोड़ उजागर हुआ है। मसूद के आतंकियों के साथ करीबी संबंध हैं। मसूद को फजल-उर-रहमान जैसे आतंकियों और अल-कायदा के साथ नजदीकी संबंध के लिए जाना जाता है। साथ ही, वह बुरहान वानी जैसे कुख्यात कश्मीरी आतंकियों का गुणगान करता रहा है। पाकिस्तालन ने 5 नवंबर को नियुक्त किया है। वर्तमान पाकिस्तानी राजदूत असद मजीद खान का कार्यकाल अगले साल जनवरी में समाप्त हो रहा है। मसूद की नियुक्ति से भारत की चिंताएं बढ़ सकती हैं।
खतरनाक कट्टरपंथी है मसूद
दक्षिण एशिया के कुछ विशेषज्ञों ने मसूद खान की नियुक्ति की आलोचना की है। विशेषज्ञों का कहना है कि मसूद खान को अमेरिका का दूत बनाकर पाकिस्तान ने साबित कर दिया है कि आतंवाद को बढ़ावा देना उसके एजेंडे में शामिल है। इमरान खान सरकार निशाना साधते हुए विशेषज्ञों ने कहा है कि पाकिस्तानी प्रशासन लगातार खतरनाक होता जा रहा है। यह न केवल इस्लाामिक विचारधारा को समर्थन देता है, बल्कि उसके साथ मिलकर काम कर रहा है। इसमें अमेरिका में मौजूद इस्लामिक विचारधारा के लोग भी शामिल हैं। पाकिस्तान द्वारा आंतकवाद को खुला समर्थन देने के बावजूद उसके साथ संबंध बनाए रखने के लिए अमेरिका की भी आलोचना हो रही है। इसी कड़ी में आतंकवाद और पाकिस्तालन पर कई किताब लिख चुकी क्रिस्टीपन फेयर ने भी एक लेख लिखा है। इस लेख में उन्होंने मसूद खान को खतरनाक कट्टरपंथी बताया है। सेना समर्थक प्रमुख वार्ताकार एजाज हैदर ने भी विभिन्न मीडिया मंचों पर मसूद खान की नियुक्ति की आलोचना की है। उनका कहना है कि मसूद खान विदेश सेवा से पहले ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
आतंकियों से घनिष्ठ संबंध
‘फाइटिंग टू द एंड: द पाकिस्तान आर्मीज वे ऑफ वार’ और ‘इन देयर ओन वर्ड्स: अंडरस्टैंडिंग द लश्कर-ए-तैयबा’ की लेखिका ने लिखा है कि मसूद खान का इस्लामवादियों के साथ काम करने का लंबा इतिहास है। वह हिजबुल मुजाहिदीन जैसे इस्लामी आतंकवादी संगठनों का सक्रिय समर्थक है, जिसे ट्रम्प प्रशासन ने 2017 में आतंकी संगठन करार दिया था। इसके अलावा, वह कई इस्लामी आतंकी संगठनों और कुख्यात आतंकियों का भी समर्थन करता है, जिसमें फजल-उर-रहमान खलील भी शामिल है, जिसने देवबंदी हरकत-उल-मुजाहिदीन की स्थापना की थी। अमेरिका ने 1997 में इस समूह को आतंकवादी संगठन करार दिया था, जबकि 2014 में खलील को विशेष रूप से वैश्विक आतंकवादी के रूप में नामित किया था। खलील के अलकायदा से घनिष्ठ संबंध हैं। उसके ओसामा बिन लादेन से भी गहरे ताल्लुकात थे।
भारत के लिए परेशानी का सबब
फेयर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में हिजबुल मुजाहिदीन के कुख्यात आतंकी बुरहानी वानी को मसूद खान ने नायक बताया था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई पहले से ही पंजाब और कश्मीर में समस्याएं पैदा करती रही है। इसे देखते हुए मसूद खान की नियुक्ति भारत के लिए देश और विदेश में मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। वह इस क्षेत्र में एक बार फिर उपद्रव भड़का सकता है। लेकिन पाकिस्तान को इससे कोई फायदा नहीं होगा। मसूद खान का संबंध पाक अधिक्रांत कश्मीर से है। सेवानिवृत्त सैन्य राजनयिक मसूद को पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पाक अधिक्रांत कश्मीर का 27वां राष्ट्रपति बनाया था। सेवानिवृत्ति से पहले मसूद संयुक्त राष्ट्र में दो बार पाकिस्तान का स्थायी प्रतिनिधि रह चुका है। सेवानिवृत्ति के बाद मसूद को पाकिस्तान के रणनीतिक अध्य्यन केंद्र का प्रमुख बनाया गया।
पाकिस्तान का अपना रिकॉर्ड ही शर्मनाक
फेयर ने कहा कि मसूद खान कश्मीर में भारत के कुप्रबंधन की बात करता है, लेकिन कश्मीीरियों के बारे में पाकिस्तान का अपना रिकॉर्ड ही शर्मनाक है। ह्यूमन राइट्स वॉच जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन भी इससे सहमत हैं। दूसरे, वाशिंगटन, कश्मीर पर पाकिस्तानी शेखी बघारने पर ध्यान नहीं देगा, क्योंकि अमेरिकी पाकिस्तान की अंतहीन आतंकवादी हरकतों और इस्लामवादी दुष्टों के साथ कभी न खत्म होने वाले गठजोड़ से थक चुके हैं। खुद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान विभिन्न मंचों से कई बार कह चुके हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने अभी तक उन्हें फोन नहीं किया है। फेयर ने कहा कि तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जा करना यह भी दर्शाता है कि पाकिस्तान ने अमेरिकी प्रयासों को कैसे कमजोर किया। इसके अलावा, अफगानिस्तान में सेवा करने वाले अधिकांश पुरुष और महिलाएं अच्छी तरह से जानते हैं कि तालिबान के पीछे कौन था। वह पाकिस्ताुन की फौज ही थी।
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