मनोज ठाकुर
तीनों कृषि कानून को वापस लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष से एक बड़ा मुद्दा छीन लिया है। यदि पंजाब के संदर्भ में बात की जाए तो कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा के बाद भाजपा को राज्य में नए सिरे से अपने लिए सियासी जमीन मजबूत करने का पर्याप्त मौका मिल सकता है। पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव है और भाजपा इस चुनाव में खुद को मजबूत तरीके से पेश कर सकती है।
पंजाब में भाजपा और अकाली दल लंबे समय से गठबंधन में चुनाव लड़ते रहे हैं। शिअद 94 सीटों पर और भाजपा 23 पर चुनाव लड़ती रही है। इस बार भाजपा ने घोषणा की है कि वह पंजाब की सभी 117 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उधर, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी भाजपा के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। कैप्टन ने कांग्रेस को छोड़ कर नई पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस का गठन किया है। कैप्टन तीनों कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार के साथ बातचीत कर रहे थे। जानकारों का कहना है कृषि कानून वापस लेने से पंजाब के मतदाताओं का विश्वास भाजपा के प्रति बढ़ा है। कैप्टन भी खुद को पंजाब की राजनीति में स्थापित करने की कोशिश में हैं। इस क्रम में उनके लिए भाजपा उनके लिए मददगार साबित हो सकती है। भाजपा के साथ आने से कैप्टन अमरिंदर को तो फायदा होगा ही, भाजपा के लिए भी यह गठजोड़ फायदेमंद होगा, क्योंकि पंजाब के हिंदू खासतौर पर शहरी मतदाता के बीच भाजपा की छवि बहुत मजबूत है। भाजपा ने पंजाब के सिखों के हित में भी खूब काम किया है। इस दिशा में करतारपुर गलियारा भाजपा का बड़ा कदम माना जा सकता है
जानकारों का कहना है कि भाजपा और अमरिंदर सिंह की पार्टी यदि एक साथ चुनाव लड़ी तो कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल की चुनावी गणित को बिगाड़ सकती है। कैप्टन अमरिंदर पंजाब में एक पंथनिरपेक्ष नेता के रूप में पहचाने जाते हैं, जो भाजपा के लिए हिंदू वोट बैंक खींच सकते हैं। पंजाब की राजनीति पर नजर रखने वालों का कहना है कि कांग्रेस में आपसी फूट की वजह से मतदाता खासे नाराज हैं और बदलाव चाह रहे हैं। इसके अलावा, कांग्रेस के कुछ नेताओं का पाकिस्तान के प्रति प्रेम भी प्रदेश के मतदाता को अखर रहा है। पाकिस्तान के साथ पंजाब की सीमा लगती है। पाकिस्तान की ओर से पंजाब में लगातार गड़बड़ी फैलाने की कोशिश होती रही है। इससे भी यहां के मतदाता खासे नाराज हैं।
इसके अलावा, पंजाब में कन्वर्जन भी बड़ा मुद्दा बना हुआ है। पंजाब की कांग्रेस सरकार इस पर रोक लगाने में नाकाम रही है। इससे पंजाब का हिंदू व सिख समाज बहुत नाराज है। राज्य में बड़े पैमाने पर कन्वर्जन किए जा रहे हैं, इसके बावजूद सरकार आंखें मूंद कर बैठी है। कुलमिला कर जिस तरह से प्रधानमंत्री ने तीन कृषि कानूनों पर मास्टर स्ट्रोक मारा है, इससे पंजाब की राजनीति को बदल कर रख दिया है। इससे विपक्ष की पूरी योजना ध्वस्त हो गई है।
टिप्पणियाँ