श्री बदरीनाथ धाम से आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी, श्री उद्धव जी, श्री कुबेर जी की डोली को पांडुकेश्वर-जोशीमठ धार्मिक श्रद्धा के साथ रवाना किया गया। भगवान बद्रीनाथ कपाट बंद हो जाने के बाद ये डोली हर वर्ष जोशीमठ लायी जाती है, जहां शरदकालीन पूजन की जाती है। शनिवार को बद्रीनाथ कपाट बंद होते ही देवभूमि उत्तराखंड के चारधामों की पूजा अब गद्दी स्थलों पर अगले छह माह तक की जाएगी। श्री केदारनाथ, श्री गंगोत्री, श्री यमुनोत्री धाम के कपाट पहले ही बंद होते ही उनकी गद्दी भी परंपरागत स्थानों में स्थापित हो चुकी है।
उल्लेखनीय है कि मंगलवार 16 नवंबर से पंच पूजाएं शुरू हुई थीं। पंच पूजाओं में 16 नवंबर को गणेश जी की पूजा एवं कपाट बंद हुए। 17 नंवंबर को आदिकेदारेश्वर जी कपाट बंद हुए। 18 नवंबर को खडग पुस्तक पूजन, वेद ऋचाओं का वाचन बंद किया गया। 19 नवंबर चौथे दिन मां लक्ष्मी जी का आव्हान, पांचवे दिन आज 20 नवंबर को कपाट बंद हो गए। कपाट बंद होने के बाद देवस्थान प्रबंधन बोर्ड का बदरीनाथ कार्यालय अब शीतकाल हेतु जोशीमठ से संचालित होगा। भगवान बदरीविशाल के खजाने के साथ श्री गरूड़ भगवान की विग्रह प्रतिमा श्री बदरीनाथ धाम से नृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंचेगी। श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ भविष्य बदरी मंदिर सुभाई तपोवन(जोशीमठ), मातामूर्ति मंदिर माणा सहित श्री घ़टाकर्ण मंदिर माणा के कपाट और बदरीनाथ धाम में अधीनस्थ मंदिरों के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो गए हैं।
22 नवंबर से शुरू होंगी शीतकालीन पूजाएं
बता दें कि श्री घंटाकर्ण महाराज जी, भगवान बदरीविशाल के प्रधान क्षेत्रपाल कहलाते हैं। शीतकाल हेतु 16 नवंबर को भगवान घंटाकर्ण जी की मूर्ति को मूल मंदिर से पश्वाओं द्वारा अज्ञात स्थान पर शीतकाल हेतु विराजमान कर दिया गया और माणा गांव स्थित श्री घंटाकर्ण मंदिर के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो गए। इस अवसर पर माणा ग्राम में पारंपरिक उत्सव भी आयोजित हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु शामिल हुए। श्री कुबेर जी अपने पांडुकेश्वर स्थित मंदिर में तथा उद्धव जी श्री योग-बदरी पांडुकेश्वर में विराजमान में हो जाएंगे, जबकि 22 नवंबर को रावल जी एवं आदिगुरु शंकराचार्य जी की गद्दी श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ में विराजमान होंगे। इसके साथ ही योग बदरी पांडुकेश्वर एवं श्री नृसिंह मंदिर जोशी मठ में शीतकालीन पूजाएं भी शुरू होंगी।
5 दिसंबर को आयोजित होगा मद्महेश्वर मेला
मुख्य कार्यकारी अधिकारी उत्तराखण्ड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड श्री रविनाथ रमन ने कहा कि चारों धामों कोविड पाबंदी हटाने के बाद रिकॉर्ड पांच लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन को पहुंचे हैं। 197056 तीर्थयात्रियों ने भगवान बदरीविशाल के दर्शन किये। पंच केदारों में से विख्यात द्वितीय केदार भगवान श्री मद्महेश्वर जी के कपाट शीतकाल हेतु सोमवार 22 नवंबर को प्रात: साढे आठ बजे वृश्चिक लग्न में बंद हो जाएंगे। कपाट बंद होने के पश्चात भगवान मद्महेश्वर जी की चलविग्रह डोली 22 नवंबर को गौंडार, 23 नवंबर को रांसी, 24 नवंबर को गिरिया प्रवास करेगी। 25 नवंबर को चल विग्रह डोली श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ पहुंचने पर 5 दिसंबर को मद्महेश्वर मेला आयोजित किया जाएगा।
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