अरब के जाने—माने समाचार पत्र समूह अल अरेबिया पोस्ट में प्रकाशित एक रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि अफगानिस्तान में मौजूदा मानवीय बदहाली के पीछे सिर्फ और सिर्फ पाकिस्तान की जिम्मेदार है। इस रिपोर्ट से एक बार फिर भारत के पड़ोसी इस्लामी देश की साजिशी हरकतों की पोल खुली है।
दुनिया का तमाम मीडिया एक अर्से से अफगानिस्तान में तालिबान को उकसाकर उसे युद्ध और अराजकता में धकेलने में पाकिस्तान का स्पष्ट हाथ होने के बारे में बताता आ रहा है। अब एक बार फिर साफ हुआ है कि पाकिस्तान ही तालिबान को पैदा करने वाला, उसको एक जगह लाने वाला और सलाहकार है। यही वजह है कि एक बार फिर उसने तालिबान को भड़काकर अपने जिहादी स्वार्थ की पूर्ति के लिए अफगानिस्तान की अवाम को बेहाली में झोंका है।
उक्त अरबी समाचार पत्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान अफगान के लोगों की मदद के नाम पर तालिबानी के लड़ाकाओं की सरकार को दुनियाभर में मान्यता दिलाने की जी—तोड़ कोशिश कर रहा है, वह इसे एक औजार के तौर पर इस्तेमाल करना चाहता है। रिपोर्ट कहती है कि अफगानिस्तान पर कब्जा करने वाला तालिबान वहां के लोगों की चिंता और उनकी जरूरतें पूरी करने में बुरी तरह नाकाम रहा है। उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र ने भी चेतावनी दी थी कि अफगानिस्तान की करीब आधी आबादी अब से लेकर मार्च 2022 तक भुखमरी की कगार पर पहुंच चुकी होगी।
95 प्रतिशत से ज्यादा अफगानियों के पास खाने के लिए खास कुछ नहीं है। तालिबान को पालने—पोसने, एकजुट करने तथा उसका समर्थन करने वाले पाकिस्तान को लोग अपनी इन मुसीबतों का दोषी मान रहे हैं।
अल अरेबिया पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान पर मानवीय विषयों के समन्वय हेतु संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (ओसीएचए) की ताजा रिपोर्ट में सशर्त मानवतावाद अथवा राजनीतिक उद्देश्यों के लिए मानवीय सहायता की मदद लेने के प्रयासों के बारे में चिंता जताई गई है। इसके साथ ही, महिलाओं, बच्चों तथा दिव्यांगों के लिए संरक्षण तथा सुरक्षा के खतरे भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचते जा रहे हैं।
अफगानिस्तान में तालिबान की सालों से जारी हिंसा के विरुद्ध अफगानी लोग छोटे-छोटे स्तर पर प्रतिरोध कर रहे हैं। इस बदलाव के पीछे गत 20 वर्षों में हुए एक बड़े परिवर्तन का हाथ है। आईएफएफआरएएस के आंकड़े बताते हैं कि 95 प्रतिशत से ज्यादा अफगानियों के पास खाने के लिए खास कुछ नहीं है। तालिबान को पालने—पोसने, एकजुट करने तथा उसका समर्थन करने वाले पाकिस्तान को लोग अपनी इन मुसीबतों का दोषी मान रहे हैं।
अल अरेबिया पोस्ट के अनुसार, अगर पाकिस्तान अफगान लोगों की मदद के प्रति इतना ही गंभीर है तो उसे भारत से जाने वाली मानवीय सहायता को अपने यहां से गुजरने की इजाजत देनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि भारत ने सड़क मार्ग से 50 हजार टन गेहूं भेजने का प्रस्ताव दिया है।
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