पिछले शनिवार को महाराष्ट्र के गढ़चिरौली के जंगलों में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। इस बीच चौंकाने वाली जानकारी ये है कि जो 26 नक्सली उसमें आठ नक्सली ऐसे थे, जो बस्तर के थे और इनमें ज्यादातर की उम्र 17 से 18 थी। बस्तर के जंगल में इनकी भर्ती की गई थी। इसके बाद दो-तीन महीने की ट्रेनिंग देकर इन्हें हिंसा की आग में झोंक दिया गया। खबरों के अनुसार नक्सलियों को सीमावर्ती महाराष्ट्र, ओडिशा और अन्य राज्यों में लोग नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में बस्तर से नए—नए लड़कों के बहकाकर उन्हें नक्सली बनाकर बाहर भेजा जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक इस साल दरभा डिवीजन में 22 नए नक्सली भर्ती किए गए हैं। इसी तरह दंतेवाड़ा पुलिस ने कुछ दिन पहले जिले के नक्सलियों का एक सर्वे किया तो पता चला कि 110 युवा ऐसे हैं, जिन्होंने नक्सलवाद का दामन तो थामा है, मगर वह सक्रिय नहीं हैं। बहरहाल, पुलिस और कुछ सामाजिक संगठन ऐसे युवाओं के स्वजन की काउंसिलिंग का कार्यक्रम चला रही है, जो नक्सलवाद की ओर आकर्षित हुए हैं। सुरक्षा बलों के जवान नक्सलियों के घरों में जाकर उनके माता-पिता को समझा रहे हैं कि वह अपने बच्चों को हिंसा की राह पर न भेजें।
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