कटिहार में बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों ने एक बार फिर से जिहाद का असली रूप दिखाया है। जनजातियों की जमीन पर कब्जा करने के लिए घुसपैठियों ने एक वनवासी परिवार के लोगों पर हमला किया है। 15 नवंबर को हुए इस हमले से कई लोग घायल हैं। घटना कटिहार जिले की सिकट पंचायत के सिरकटा गांव की है। घुसपैठियों ने उस वक्त जनजातीय परिवार के लोगों पर हमला किया जब वे लोग जनजातीय गौरव दिवस मना रहे थे। हमलावरों ने 55 वर्षीय मंसूर मुर्मू के घर पर अचानक हमला कर दिया। इस कारण कई लोग घायल हुए हैं। उल्लेखनीय है कि बगल के एक गांव में वनवासी कल्याण आश्रम के तत्वावधान में लोग जनजातीय गौरव दिवस मना रहे थे। तभी वनवासी कल्याण आश्रम के कार्यकर्ता मिथिलेश सिंह को सूचना मिली कि समीप की सिकट पंचायत के सिरकटा ग्राम में बांग्लादेशी घुसपैठियों की भीड़ ने हमला कर दिया है। इस गांव में 15 जनजातीय परिवार वर्षों से रह रहे हैं। यहां ये लोग 70 वर्ष से अधिक समय से खेती कर गुजारा करते हैं। लेकिन कुछ समय से जमीन जिहादी उन परिवारों को जमीन खाली करने की धमकी दे रहे हैं। मामला न्यायालय में है। जनजातीय समुदाय के लोग बार—बार कह रहे हैं कि न्यायालय जो निर्णय देगा उसे माना जाएगा, लेकिन जमीन जिहादी इसके लिए तैयार नहीं हैं। वे किसी भी तरह से उन परिवारों को वहां से भगा देना चाहते हैं। यही कारण है कि जमीन जिहादी किसी न किसी बहाने से उन परिवारों पर हमले करते रहते हैं। 15 नवंबर को मंसूर मुर्मू को पीटा गया। उनकी बड़ी बेटी मरांग मुर्मू और भांजी शांति टुडू भी इस हमले से घायल हुई। ग्रामीणों का कहना है कि इस मामले को पुलिस ने गंभीरता से नहीं लिया। सूचना देने के बहुत देर बाद पुलिस घटनास्थल पर पहुंची।
यह इलाका केले की खेती के लिए विशेष तौर पर जाना जाता है। जिहादियों ने वनवासियों द्वारा लगाए गए केले के बगीचे को भी तहस-नहस कर दिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण आस-पास में मुसलमानों की आबादी बहुत तेजी से बढ़ी है। इस कारण पूरे इलाके में गैर—मुसलमानों का रहना दूभर हो गया है।
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