राजेश प्रभु साळगांवकर
मुम्बई के आजाद मैदान के दंगे की दोषी रजा अकादमी के साथ कई मुस्लिम संगठनों के अगुवाई में महाराष्ट्र में फिर दंगे किये गए हैं। कल शुक्रवार यानी 12 नवंबर के दिन मुस्लिम संगठनों द्वारा बुलाई गई रैलियों में महाराष्ट्र के अमरावती, नांदेड़ तथा मालेगांव में जमकर तोड़फोड़ तथा आगजनी की गयी है। मालेगांव में पुलिस पर जमकर पथराव किया गया। आत्मरक्षा में मालेगांव पुलिस ने आंसूगैस के गोले छोड़े। जब कि अमरावती तथा नांदेड़ में पुलिस के सामने हो रही हिंसा पर पुलिस द्वारा मूक दर्शक की भूमिका ली गयी।
अमरावती में मुस्लिम दंगाइयों का नंगा नाच
अमरावती स्थित चित्रा चौक से मेन रोड के लगभग ढाई किलोमीटर के अंतर में बसे शहर के मुख्य बाजार में 25 हजार से अधिक मुस्लिम दंगाइयों ने जमकर तोड़फोड़ की। यह पूरा इलाखा सम्पूर्ण हिन्दू बस्ती का है। इस रास्ते में कम से कम पचास से ज्यादा दुकानों में तोड़फोड़ की गई तथा कई दुपहिया वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। रास्ते में खड़े अनेक वाहनों के कांच फोड़े गए हैं। सड़क किनारे लगने वाले सैकड़ों ठेलों को भी जला दिया। यह सभी नुकसान हिन्दू व्यापारियों तथा हिन्दू नागरिकों का हुआ है। लेकिन पुलिस प्रशासन ने स्थानीय पत्रकारों को केवल 22 दुकानों के नुकसान होने की जानकारी दी है। केवल एक वाहन के जलाये जाने की पुलिस ने आधिकारिक पुष्टि की है, वहीं स्थानीय नागरिकों से मिली जानकारी के अनुसार कम से कम छह दुपहिया वाहन जलाये गए हैं। दर्जनों वाहनों के कांच फोड़े गए हैं। आठ दुकानदारों की पिटाई होने की बात भी सामने आ रही है। कम से कम 20 दुकानों से पूरी नकदी चुराई गयी है। गाली गलौच, उन्माद से भरी रजा अकादमी की रैली में मुस्लिम लीग, मीम आर्मी, एमआईएम जैसे अराजक मुस्लिम संगठनों के साथ अनेक स्थानीय मुस्लिम संगठन शामिल हुए थे। मुस्लिम संगठनों द्वारा किये गए इस दंगे का वर्णन स्थानीय नागरिक "नंगा नाच" इस शब्द से कर रहे हैं।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता शिवराय कुलकर्णी ने बताया की रजा अकादमी की हिंसा रोकने की जगह पुलिस तथा जिला प्रशासन मूक दर्शक बना रहा। उन्होंने बताया की इस हिंसा के समय अमरावती की जनता के साथ का कोई नहीं था। जब कि पुलिस को पहले से पता था की रैली में बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय अमरावती के बाहर के अनेक जगहों से इकट्ठा होने वाला है। रजा अकादमी के मुम्बई के आजाद मैदान रैली से पुलिस ने कुछ सीख नहीं ली है, ऐसा दिखता है। रजा अकादमी की इस रैली में जो जमकर तोड़फोड़ हुई है, उसके विरोध मेंआज भाजपा ने "अमरावती बन्द" का आवाहन किया है।
नांदेड़ में जमकर तोड़फोड़
नांदेड़ में भी उन्मादियों ने रैली में आकर जमकर तोड़फोड़ की। यहां लगभग चालीस से पचास दुकानों सहित दर्जनों वाहनों में तोड़फोड़ के साथ जमकर आगजनी की गयी है। महत्वपूर्ण बात है कि नांदेड़ पूर्व मुख्यमंत्री तथा विद्यमान सार्वजनिक निर्माण मंत्री कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण का शहर है। अशोक चव्हाण के निवासी क्षेत्र में ही नांदेड़ में सबसे ज्यादा हिंसा हुई है। स्थानीय पत्रकारों की माने तो इस दंगे में अशोक चव्हाण के लिए काम करने वाले मुस्लिम पंटर लोग आगजनी करते देखे गए हैं। इतने बड़े दंगे और आगजनी के बाद भी पुलिस ने देर रात तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की थी।
नांदेड़ के देगलूर नाका, लेबर कॉलोनी, कला मंदिर परिसर, डॉक्टर लें, शिवजी नगर मुस्लिम बहुल इलाका इन दंगों से प्रभावित रहा। दंगों के बाद कोई भी मुस्लिम संगठन जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं है, जब कि की अनेक मुस्लिम संगठनों के नाम से बंद और रैली में शामिल होने के पर्चे नांदेड़ में बांटे गए थे।
इसी सप्ताह नांदेड़ जिले की देगलूर बिलोली विधानसभा का उपचुनाव कांग्रेस प्रत्याशी ने 42 हजार मत से जीता है। ऐसी स्थिति में नांदेड़ जैसे पवित्र शहर में रजा अकादमी द्वारा तोड़फोड़ होना तथा पुलिस का मूक दर्शक बने रहना संदेहास्पद है।
मालेगांव में पुलिस पर पथराव
महाराष्ट्र में दंगों का इतिहास रहा है। मुस्लिम बहुल मालेगांव शहर में भी कल के बंद के दरम्यान जमकर तोड़फोड़ तथा हिंसा की गयी। यहां पर पुलिस पर भीड़ ने जमकर पथराव किया, जिसमें कई पुलिस कर्मी घायल हुए हैं। जख्मी पुलिस कर्मियों की आधिकारिक संख्या पुलिस द्वारा जाहिर नहीं की गयी है, लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार कम से कम दस पुलिस कर्मी घायल हुए हैं। जिसके बाद पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े। लेकिन मालेगांव के आंसू गैस के उपयोग के बाद भी देर शाम तक तोड़फोड़ आगजनी जारी रही।
त्रिपुरा में बांग्लादेशी घुसपैठियों के विरुद्ध हुई तथाकथित हिंसा के विरोध में रजा अकादमी के साथ अन्य मुस्लिम संगठनों ने बन्द की घोषणा की थी। महाराष्ट्र सरकार के गृह विभाग ने कोई कार्रवाई अभी तक नहीं की है और ना ही सत्ताधारी शिवसेना, कांग्रेस, एनसीपी के गठबंधन ने इस हिंसा की निंदा की है।
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