गंगा में फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन की भी योजना है। इससे गंगा के बीच में भी सीएनजी भरी जा सकेगी। स्मार्ट सिटी के जीएम डी वसुदेवम के अनुसार, गंगा में करीब 1700 छोटी-बड़ी नावें चलती हैं। इनमे से करीब 500 बोट डीजल इंजन से चलने वाली हैं। लगभग 177 बोट में सीएनजी इंजन लगाया जा चुका है, शेष मोटर बोट को देव दीपावली तक सीएनजी इंजन से चला देने का लक्ष्य है। करीब 29 करोड़ के बजट से इस कार्य को कराया जा रहा है। इसमें छोटी नाव पर करीब 1.5 लाख रुपये का खर्च आ रहा है, जबकि बड़ी नाव पर लगभग 2.5 लाख रुपये का खर्च आ रहा है।
जानकारी के अनुसार जिस नाव पर सीएनजी आधारित इंजन लगेगा, उस नाविक से डीजल इंजन वापस ले लिया जाएगा। नाविकों का कहना है कि सीएनजी इंजन से आधे खर्चे में दोगुनी दूरी तय कर रहे हैं। धुआं और तेज आवाज नहीं होने से पर्यटकों के लिए भी काफी सुविधाजनक है।
सीएनजी आधारित इंजन, डीजल और पेट्रोल इंजन के मुक़ाबले 7 से 11 प्रतिशत ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम करता है। वहीं सल्फर डाइऑक्साइड जैसी गैसों के न निकलने से भी प्रदूषण कम होता है। डीजल इंजन से नाव चलाने पर जहरीला धुआं निकलता है, जो आसपास रहने वाले लोगों के लिए बहुत हानिकारक है, जबकि सीएनजी के साथ ऐसा नहीं है। डीजल इंजन की तेज आवाज से कंपन होता है, जिससे इंसान के साथ ही जलीय जीव-जन्तुओं पर प्रतिकूल असर पड़ता है। प्रदूषण से ऐतिहासिक धरोहरों को भी नुकसान पहुंच रहा था। डीजल की अपेक्षा सीएनजी कम ज्वलनशील होती है।
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