उत्तराखंड में चीन सीमा तक बन रही सड़कों पर आए दिन दायर की जा रही याचिकाओं पर केंद्र ने सर्वोच्च न्यायालय में अपना पक्ष रखा है। केंद्र ने कहा कि सेना की आवश्यकताओं को देखते हुए सीमाओं तक चौड़ी और मजबूत सड़के जरूरी है। साथ ही यह भी कहा कि हम 1962 की तरह सोए हुए नहीं रह सकते।
सर्वोच्च न्यायालय में दायर एक याचिका में उत्तराखंड में बन रही आल वेदर रोड के निर्माण में पर्यावरण क्षति पर केंद्र से जवाब तलब किया था। उच्चतम न्यायालय ने सड़क की चौड़ाई फोर लेन की बजाय टू लेन करने के लिए एक हाई पॉवर कमेटी बनाई थी। केंद्र ने इस पर अपना पक्ष रखते हुए कहा है शत्रु देश ने सीमा तक अपना बुनियादी ढांचा विकसित कर लिया है। हम 1962 की तरह सोये नहीं रह सकते। केंद्र ने रक्षा जरूरतों को लिए उत्तराखंड में 900 किमी सड़कों के चौड़ीकरण करने की योजना पर काम शुरू करवाया हुआ है। केंद्र ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि सीमाओं पर बारहों मास रसद और शस्त्र आपूर्ति के लिए बेहतर सड़क की जरूरत है। सरकार ने 8 सितंबर 2020 को दिए आदेश में संशोधन करने की सर्वोच्च न्यायालय से गुजारिश करते हुए कहा है कि सीमाओं पर दुश्मनों की चुनौती को कम करने के लिए सड़कों का चौड़ा करना उन्हें बेहतर बनाना जरूरी है।
इस मामले में रक्षा मंत्रालय ने भी अदालत और केंद्र सरकार से ऋषिकेश से माणा, ऋषिकेश से गंगोत्री, टनकपुर से पिथौरागढ़, ऋषिकेश से नेलांग वैली तक तीस मीटर चौड़ी सड़क की आवश्यकता जताते हुए अपना पक्ष रखा है। उल्लेखनीय है आल वेदर रोड के चौड़ीकरण के विरोध में एक एनजीओ सिटीजेन्स फ़ॉर ग्रीन दून की तरफ से उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की हुई है, जिसमें कहा गया है कि सड़क निर्माण से पर्यावरण को क्षति हुई है। केंद्र का कहना है पर्यावरण क्षति के आधार पर देश की रक्षा चिंताओं की अनदेखी नहीं की सकती। केंद्र ने सर्वोच्च न्यायालय को ये भी विश्वास दिलाया कि सड़क निर्माण से होने वाली पर्यावरण क्षति की भरपाई भी बराबर की जाएगी। सर्वोच्च न्यायालय में इस मामले की सुनवाई आज भी जारी रहेगी।
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