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स्थापना दिवस: 21 साल का हुआ उत्तराखंड, बहुत कुछ खोया-बहुत कुछ पाया

by WEB DESK
Nov 9, 2021, 05:06 pm IST
in भारत, उत्तराखंड
उत्तराखंड का नक्शा

उत्तराखंड का नक्शा

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राजनीतिक अस्थिरता के बावजूद आगे बढ़ रहा है राज्य

 

उत्तराखंड राज्य 21 साल का हो गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले दिनों कहा था कि जब उत्तराखंड के लोग अपना रजत जयंती वर्ष मनाएं तो ये प्रदेश सबसे खुशहाल प्रदेश कहलाए। ये चुनौती है, जिसे हर राज्यवासी को स्वीकार करना होगा और इस ओर जुट जाना चाहिये। आज ही के दिन सन 2000 में यूपी से पहाड़ी क्षेत्रों को अलग कर उसमें तराई के उधमसिंह नगर और हरिद्वार को शामिल करते हए उत्तरांचल राज्य की स्थापना केंद्र की अटल सरकार ने की थी। उस दौरान पहाड़ी राज्य की उम्मीदें और समस्याएं भी पहाड़ जैसी थी।

 

बीजेपी की सरकार बनी सबसे पहले नित्यानंद स्वामी मुख्यमंत्री बने फिर भगत सिंह कोशियारी ने बीजेपी सरकार की बागडोर संभाली, लेकिन पहला विधानसभा चुनाव बीजेपी हार गई और कांग्रेस के नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री बने। जिन्होंने पांच सालों तक अटल सरकार और मनमोहन सिंह सरकार के साथ मिलकर इस राज्य के लिए विशेष राज्य का दर्जा लेकर इसे नई बुलंदियों तक पहुंचाया। यह कहने में कोई संकोच नहीं कि तिवारी सरकार के पांच साल ही इस नए राज्य का स्वर्णकाल रहा। इसी दौरान 17 बड़े पावर प्रोजेक्ट आए, उद्योगपतियों ने यहां दिल खोल कर निवेश किया। रोजगार के नए रास्ते खुलते गए। तिवारी सरकार के जाते ही बीजेपी के भुवन चन्द्र खंडूरी की सरकार आयी दो साल बाद खंडूरी की जगह रमेश पोखरियाल मुख्यमंत्री बने। ढाई साल बाद पुनः खंडूरी को सत्ता दी गई, लेकिन बीजेपी विधानसभा चुनाव नहीं जीत पाई और कांग्रेस के विजय बहुगुणा फिर हरीश रावत मुख्यमंत्री बने। अगला चुनाव आया कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर बीजेपी 57 सीटों का बहुमत लेकर सरकार बनाने आई, मोदी की करिश्माई छवि पर विश्वास कर राज्य के लोगों ने बीजेपी को वोट दिया और त्रिवेन्द्र रावत मुख्यमंत्री बने। 2021 के चुनावी साल में  बीजेपी ने त्रिवेन्द्र की जगह तीरथ रावत फिर तीरथ की जगह पुष्कर धामी को सीएम बनाया गया।

देश में दूसरे स्थान पर प्रति व्यक्ति आय 

गौर से देखा जाए तो सत्ता दल के भीतर की राजनीतिक अस्थिरता ही सबसे बड़ी समस्या उत्तराखंड की रही है। हमेशा से ही केंद्र सरकार भरोसे ही राज्य सरकार चलती रही है। राज्य की आर्थिक हालत ये है कि देश में दूसरे स्थान पर प्रति व्यक्ति आय उत्तराखंड की है, लेकिन राज्य सरकार को अपने कर्मचारियों के वेतन देने के लिए कर्ज लेना पड़ता है। वित्तीय कुप्रबंधन की वजह से ये राज्य अन्य नए राज्यों की तुलना में पिछड़ता गया। नारायण दत्त तिवारी के बाद कोई भी नेता इस राज्य को नहीं मिला, जिसने इसे आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए अपना कोई विजन दिया हो। नेताओ पर हावी नौकशाही ने इस राज्य को गर्त में धकेला है। वर्तमान में केंद्र की मोदी सरकार की उत्तराखंड में एक लाख करोड़ की योजनाएं यदि छोड़ दे तो सरकार के पास उपलब्धि गिनाने के लिए कुछ नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने विजन से यहां की चार धाम यात्रा को गढ़वाल का आर्थिक चक्र मानते हुए आल वेदर रोड, कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्ट और बदरीकेदार को स्मार्टसिटी की तर्ज पर विकसित करने का काम शुरू करवाया हुआ है। उत्तराखंड देवभूमि और पर्यटन राज्य है। पीएम मोदी  इसी को आधार मानकर योजनाओं को सिरे चढ़ा रहे है। कुमायूं क्षेत्र में लीपुपास तक सड़क बन रही है, हवाई सेवाओं का विस्तार पर्यटन को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। हर जिले में मेडिकल कॉलेज बन रहे हैं और भी कई योजनाएं केंद्र के साथ मिलकर चल रही हैं।

आपदाओं  का राज्य
उत्तराखंड में 2011 से लेकर अब तक करीब हर साल आपदा आ रही है। जलवायु परिवर्तन और मानव जनित आपदाओं ने राज्य की सूरत को नुकसान पहुंचाया। साथ ही साथ आर्थिक रूप से भी कमजोर किया। केदारनाथ आपदा में करीब पंद्रह हजार लोग मारे गए। हर साल सड़क दुर्घटनाओं में 900 लोग मर जाते हैं। आतंकवाद में सबसे ज्यादा शहादत देने वाला राज उत्तराखंड है, 1984 से लेकर अभी तक आतंकवादी घटनाओं में उत्तराखंड के तीन हजार से भी ज्यादा जवान, अधिकारी देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दे चुके हैं। बावजूद इसके उत्तराखंड से फौज में जाने वालों के लिए यहां का युवा सबसे आगे खड़ा मिलता है।ये सिर्फ इसलिए क्योंकि यहां घर-घर में देश रक्षा में  वीरता की कहानी सुनाई जाती है।

चुनौतियां
उत्तराखंड में सबसे ज्यादा चुनौती, बेरोजगारी और यहां से हो रहे युवाओं के पलायन को लेकर है। पहाड़ों में रोजगार न होने, अच्छे स्कूल और स्वास्थ्य सेवाएं नहीं होने के कारण लोगों ने मैदानी क्षेत्रों की तरफ रुख कर लिया है। यही वजह है कि पीएम मोदी को यह विश्वास दिलाना पड़ रहा है कि पहाड़ की जवानी और पानी दोनों इसी राज्य के काम आएगा। पीएम मोदी ने राज्य की धामी सरकार को भी इसी विजन पर काम करने को कहा है। पहाड़ों में चकबंदी लागू करने की मांग कई सालों से लंबित है। जमीन के दस्तावेजों को व्यवस्थित करने की जरूरत है। नौजवान पीढ़ी चाहती है कि पहाड़ के लिए नया भू अध्यादेश बनाया जाए क्योंकि उत्तराखंड में मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ती जा रही है। असम के बाद सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी उत्तराखंड में बढ़ने से जनसंख्या अंसतुलन के मुद्दे उठ रहे हैं। स्थायी राजधानी के लिए भी सरकारें कठघरे में खड़ी रहती आयी हैं। ऐसे कई मुद्दे हैं, जो कि सरकार को चुनौतियां देते रहते हैं।
फिलहाल 21 साल के उत्तराखंड को जरूरत है एक विजन की, जिसके अभाव में  यहां नौकशाही, राजनेताओं पर हावी होती जा रही है।

पहली बार उत्तराखंड गौरव सम्मान
मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने अपने चार महीने के कार्यकाल में कुछ अच्छे कार्यों से लोगों के दिलों में जगह बनाई है। पहली बार सरकार ने उत्तराखंड गौरव सम्मान के लिए पूर्व मुख्यमंत्री स्व. नारायण दत्त तिवारी, लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी, पर्यावरणविद अनिल प्रकाश जोशी, पर्वतारोही डॉ बछेंद्री पाल और लेखक रस्किन बांड दिया जा रहा है।
 

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