अत्यंत उन्नत था प्राचीन भारतीय क्रय-विक्रय विधान
July 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम मनोरंजन

अत्यंत उन्नत था प्राचीन भारतीय क्रय-विक्रय विधान

by प्रो. भगवती प्रकाश
Nov 9, 2021, 10:16 am IST
in मनोरंजन, दिल्ली
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail
प्राचीन काल मैं भारत में क्रय-विक्रय के विधान अत्यंत उन्नत थे। खरीदी गई या बेची गई वस्तु किस प्रयोजन से खरीदी या बेची गई, उनके लिए भी पृथक-पृथक शब्द थे। अनुचित लोभ, मिलावट एवं वस्तु दोषपूर्णता का निषध था और ऐसा होने पर दंड का विधान था

वेदों व अन्य प्राचीन ग्रन्थों में व्यापार, वाणिज्य व व्यवसाय सम्बन्धी विस्तृत नियमावलियां अत्यन्त उन्नत रही हैं। व्यापार सम्बन्धी शब्दावली, क्रय-विक्रय, आंशिक भुगतान पर क्रय, खरीदी वस्तु को लौटाने, चल व अचल सम्पत्ति विक्रय आदि के नियमों में कई दृष्टियों से आज से भी अधिक गहन विविधता दृष्टिगोचर होती है।

बिक्री के प्रकारों की विविधता
वेदों में वस्तु विनियम के साथ विविध मुद्राओं में मूल्य भुगतान अथवा अन्य प्रकार से संविदा आधारित क्रय, आंशिक मूल्य भुगतान पर क्रय, परीक्षण के उपरान्त क्रय आदि अनेक प्रकार के नियमों का विवेचन है। मूल्य के लिए कई शब्द-मूल्य, वस्न, शुल्क (महे शुल्काय-ऋग्वेद 7/28/6 एवं 8/1/5) (ऋग्वेद 4/24.9 एवं अथर्ववेद 12/2/36-यच्च वस्नेन् विन्दैत) धन व विविध मुद्र्राओं में भुगतान के लेख हैं।

शब्दावली की व्यापकता
प्राचीन व्यापारिक शब्दावली आज से व्यापक थी। बिक्री योग्य वस्तु को ‘पण्य’ के लिए क्रय या खरीदी जाने योग्य वस्तु के लिए ‘प्रक्री’ शब्दों की भांति आज क्रय व विक्रय योग्य वस्तुओं के लिए पण्य व प्रक्री जैसे पृथक-पृथक शब्द नहीं हैं। व्यापार की वस्तु के लिए कोई एकल शब्द नहीं है। अंग्रजी में ‘सेलेबल गुड्स’ या ‘ट्रेडेबल गुड्स’ या ‘गुड्स इन ट्रेड’ और हिन्दी में ‘व्यापार योग्य वस्तु’ शब्दों का प्रयोग करना पड़ता है।

इसी प्रकार व्यापारिक लाभ के लिए क्रय की दशा में अथर्ववेद (3/15/4) में ‘प्रपण’ शब्द और व्यापारिक लाभ हेतु विक्रय की दशा में प्रतिपण शब्द हैं। यथा ‘‘प्रपणो विक्रयश्च, प्रतिपण: फलिनं मा कृणोतु (अथर्ववेद-3/15/4)’’। आज हिन्दी या अंगे्रजी में प्रपण व प्रतिपण जैसे वस्तुओं के लाभ पर क्रय-विक्रय हेतु भिन्न शब्द नहीं हैं। निजी उपयोग व व्यावसायिक प्रयोजनार्थ, क्रय-विक्रय में कोई भेदकारक एकल शब्द भी नहीं है।

 

प्राचीन व्यापारिक शब्दावली आज से व्यापक थी। बिक्री योग्य वस्तु को ‘पण्य’ के लिए क्रय या खरीदी जाने योग्य वस्तु के लिए ‘प्रक्री’ शब्दों की भांति आज क्रय व विक्रय योग्य वस्तुओं के लिए पण्य व प्रक्री जैसे पृथक-पृथक शब्द नहीं हैं। व्यापार की वस्तु के लिए कोई एकल शब्द नहीं है। अंग्रजी में ‘सेलेबल गुड्स’ या ‘ट्रेडेबल गुड्स’ या ‘गुड्स इन ट्रेड’ और हिन्दी में ‘व्यापार योग्य वस्तु’ शब्दों का प्रयोग करना पड़ता है।

इसी प्रकार किसी संविदा, करार या समय के अधीन आंशिक मूल्य भुगतान से क्रय किए जाने पर प्राचीन वाड्मय में ‘अवक्रय’, ‘उक्तलाभ’ एवं ‘रुचिक्रय’ जैसे भिन्न-भिन्न अर्थपरक शब्द हैं। क्रय सम्बन्धी इन विविध प्रकार के शब्दों अर्थात् अवक्रय, उक्तलाभ, रुचिक्रय, परिक्रय व अपक्रय शब्दों के अधीन बेची गई वस्तुओं में अवशेष राशि, भुगतान की शर्तों, उस पर ब्याज, स्वत्व या स्वामित्व हस्तान्तरण, स्वत्व या स्वामित्व की समाप्ति, वस्तु पुन: लौटाने व चक्रवृद्धि ब्याज लगाने जैसी विविध परिस्थितियों के लिए व्यास स्मृतिचन्द्रिका, विवाद रत्नाकर, व्यवहार प्रकाश, कात्यायन, वृद्ध कात्यायन, सरस्वती विलास, व्यवहार निर्णय आदि ग्रन्थों में अत्यन्त विस्तृत नियम हैं। ऐसी विविधताओं की कल्पना आज के संविदा अधिनियम, वस्तु विक्रय अधिनियम जैसे कानूनों में नहीं है। इनमें भी चल व अचल सम्पत्ति के सम्बन्ध में नियमावली में कई भेद व उपभेद हैं। बृहस्पति स्मृतिचन्द्र्रिका के अनुसार कूप, वृक्ष, अन्न, फल, जलाशय आदि की बिक्री लिखित में होनी चाहिए, अन्यथा वे वस्तुएं विक्रेता की ही रहेंगी।

बिक्री के बाद मूल्य की अपरिवर्तनीयता
ऋग्वेद के अनुसार बेचते समय जो मूल्य तय हो जाता है, वही मान्य है। बाद में उसमें कमी या वृद्धि नहीं की जा सकती। सायण की व्याख्या के अनुसार एक व्यापारी ने महंगी वस्तु कम दाम में बेच दी। बाद में वह लेने वाले के पास जाकर कहता है कि मेरी वस्तु न बेची हुई मानी जाए और वस्तु का जो कम मूल्य दिया है, उसे पूरा किया जाए। ग्राहक कहता है कि मैंने पूरा तय मूल्य दिया है। निर्णय दिया गया है कि बेचते समय जो मूल्य तय हो जाता है, वही मान्य है। बाद में वह कम या अधिक नहीं हो सकता। यथा भूयसा वस्नमचरत कनीय ... ऋग्वेद 4/24/9

अनुचित लोभ, मिलावट एवं वस्तु दोषपूर्णता का निषेध
अथर्ववेद के मन्त्र 5/11/6 (अधोववस: पणयो भवन्तु) के अनुसार लोभवश अनुचित लाभ पर वस्तु विक्रय अनुचित है। ऐसा लोभी व्यापारी (पणि) निन्दनीय था। ऋग्वेद के मन्त्र 7/19/2 (इन्द्र…कुवयं नि…अरन्धय) व अथर्ववेद के मन्त्र 20/37/2 के अनुसार वस्तुओं में मिलावट दण्डनीय अपराध थी।
याज्ञवल्क्य स्मृति (2/257), नारद संहिता (11/7-8) एवं बृहस्पति स्मृतिचन्द्रिका के मत से पूरा मूल्य लेकर गलत वस्तु बेचने या दोषपूर्ण वस्तु को दोषरहित कहकर बेचने पर दुगुना मूल्य देकर वस्तु वापस ले लेनी पड़ती थी और मूल्य जितना अर्थ-दण्ड राजा को देना पड़ता था। यह नियम मूल्य भुगतान पर लागू होता था, समझौता मात्र होने एवं मूल्य भुगतान नहीं होने पर क्रेता एवं विक्रेता दोषमुक्त होते थे (नारद स्मृति 11/10)।

नारद के उपयुक्त (12/5-6) वचन इस नियम के अपवाद हैं। यदि क्रीत वस्तु दुकान से न उठाई जाए तो विक्रेता उसे पुन: बेच सकता है और यदि क्रीत वस्तु दैवसंयोग या राजा के कारण नष्ट हो जाए तो क्रेता को हानि उठानी पड़ती है।

क्रेता सावधान का सिद्धान्त
वर्तमान वस्तु विक्रय अधिनियम-1930 की धारा 16 व ब्रिटिश अधिनियम की धारा 14 के अनुसार बिक्री के सौदों में क्रेता सावधान का नियम लागू होता है। ऐसे प्रावधान कई विविधताओं के साथ प्राचीन संहिताओं में भी थे। नारद (12/4) एवं बृहस्पति के अनुसार क्रेता को क्रय की जानेवाली वस्तु का स्वयं निरीक्षण करना चाहिए और विशेषज्ञों से उसके गुण-दोषों की परख करानी चाहिए। परीक्षण के उपरान्त क्रीत वस्तु लौटाई नहीं जा सकती।

व्यास के अनुसार चर्म, काष्ठ, र्इंटें, सूत, अन्न, आसव, रस, सोना, कम मूल्य की धातुएं (रांगा आदि) एवं अन्य सामान जब पूरे परीक्षण के उपरान्त क्रीत किया जाता है तो वे लौटाया नहीं जा सकता। नारद के उपयुक्त (12/5-6) वचन इस नियम के अपवाद हैं। यदि क्रीत वस्तु दुकान से न उठाई जाए तो विक्रेता उसे पुन: बेच सकता है और यदि क्रीत वस्तु दैवसंयोग या राजा के कारण नष्ट हो जाए तो क्रेता को हानि उठानी पड़ती है।

वस्तु लौटाने सम्बन्धी प्रावधान
विक्रय व क्रय के उपरान्त वस्तु लौटाने संबंधी प्राचीन प्रावधानों का विस्तार व गहराई एवं उनकी शब्दावली भी अत्यंत विस्तृत है। यथा नारद संहिता के अनुसार बेची गई वस्तु न देना विक्रीयासमादान एवं खरीदी गई वस्तु पर पश्चाताप क्रीत्वानुशय कहलाते हैं। ऐसी वस्तु को लौटा देने को ‘क्रय का निरसन’ कहते थे। नारद (12/2) के अनुसार क्रीत वस्तु को क्रय पश्चाताप पर उसी दिन उसी रूप में लौटाई जा सकती थी। दूसरे या तीसरे दिन लौटाने पर पचासवां अथवा तीसवां भाग कटता था। तीन दिन बाद लौटाना सम्भव नहीं था। याज्ञवल्क्य स्मृति (2/177) व नारद संहिता (12/5-6) के अनुसार परीक्षण पर बिक्री के सम्बन्ध में अन्न, लोहे की वस्तु, वस्त्र, दुधारू पशु, भारवाहक पशु, रत्न आदि के संबंध में दिन से 1 माह तक की अवधि दी है। मनुस्मृति (8/22) के अनुसार 10 दिन तक वस्तु लौटाना सम्भव था। कात्यायन (पृष्ठ 685) के अनुसार 10 दिन की अवधि भूमि के क्रय-विक्रय के सम्बन्ध में ही है। बची वस्तु सुपुर्दगी के पूर्व नष्ट हो जाए या चोरी चली जाए तो हानि विक्रेता उठाएगा (नारद संहिता 11/6, विष्णु धर्मोत्तर पुराण 5/129, याज्ञवल्क्य स्मृति 2/256)।
  (लेखक गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा के कुलपति रहे हैं)

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

जब केंद्र में कांग्रेस और UP में मायावती थी तब से कन्वर्जन करा रहा था ‘मौलाना छांगुर’

Maulana Chhangur Hazrat Nizamuddin conversion

Maulana Chhangur BREAKING: नाबालिग युवती का हजरत निजामुद्दीन दरगाह में कराया कन्वर्जन, फरीदाबाद में FIR

केंद्र सरकार की पहल से मणिपुर में बढ़ी शांति की संभावना, कुकी-मैतेई नेताओं की होगी वार्ता

एक दुर्लभ चित्र में डाॅ. हेडगेवार, श्री गुरुजी (मध्य में) व अन्य

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ @100 : उपेक्षा से समर्पण तक

Nepal Rasuwagadhi Flood

चीन ने नहीं दी बाढ़ की चेतावनी, तिब्बत के हिम ताल के टूटने से नेपाल में तबाही

Canada Khalistan Kapil Sharma cafe firing

खालिस्तानी आतंकी का कपिल शर्मा के कैफे पर हमला: कनाडा में कानून व्यवस्था की पोल खुली

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

जब केंद्र में कांग्रेस और UP में मायावती थी तब से कन्वर्जन करा रहा था ‘मौलाना छांगुर’

Maulana Chhangur Hazrat Nizamuddin conversion

Maulana Chhangur BREAKING: नाबालिग युवती का हजरत निजामुद्दीन दरगाह में कराया कन्वर्जन, फरीदाबाद में FIR

केंद्र सरकार की पहल से मणिपुर में बढ़ी शांति की संभावना, कुकी-मैतेई नेताओं की होगी वार्ता

एक दुर्लभ चित्र में डाॅ. हेडगेवार, श्री गुरुजी (मध्य में) व अन्य

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ @100 : उपेक्षा से समर्पण तक

Nepal Rasuwagadhi Flood

चीन ने नहीं दी बाढ़ की चेतावनी, तिब्बत के हिम ताल के टूटने से नेपाल में तबाही

Canada Khalistan Kapil Sharma cafe firing

खालिस्तानी आतंकी का कपिल शर्मा के कैफे पर हमला: कनाडा में कानून व्यवस्था की पोल खुली

Swami Dipankar

सावन, सनातन और शिव हमेशा जोड़ते हैं, कांवड़ में सब भोला, जीवन में सब हिंदू क्यों नहीं: स्वामी दीपांकर की अपील

Maulana chhangur

Maulana Chhangur: 40 बैंक खातों में 106 करोड़ रुपए, सामने आया विदेशी फंडिंग का काला खेल

प्रतीकात्मक तस्वीर

बलूचिस्तान में हमला: बस यात्रियों को उतारकर 9 लोगों की बेरहमी से हत्या

Chmaba Earthquake

Chamba Earthquake: 2.7 तीव्रता वाले भूकंप से कांपी हिमाचल की धरती, जान-माल का नुकसान नहीं

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies