पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को आखिरकार अपनी जबान झूठी साबित करनी पड़ी। 6 नवम्बर को उनकी सरकार ने मजहबी उन्मादियों की उग्र जमात तहरीके-लब्बैक पाकिस्तान यानी टीएलपी को प्रतिबंधित गुटों की सूची से हटाने का फरमान दे दिया। पिछले दिनों इस गुट की इस्लामाबाद को घेरने की धमकियों के बाद इमरान खान ने उसके साथ जो समझौता किया था अब वह उसकी तमाम शर्तों को पर अमल करने को मजबूर हो चुका है। इस गुट ने पाकिस्तान में गत दिनों जबरदस्त हिंसा फैलाते हुए ऐसा उन्माद भड़काया था कि जिसमें दस पुलिस वालों सहित करीब 21 लोग मारे गए थे।
इससे एक बार फिर साफ हो गया है कि इस्लामी कट्टरवादी पाकिस्तान की इमरान खान सरकार कट्टर मजहबी गुटों के हाथों का एक खिलौना भर है। इमरान खान ने खुद इस जमात तहरीके-लब्बैक पाकिस्तान को प्रतिबंधित गुटों की सूची में शामिल करने का हुक्म दिया था। लेकिन अब इमरान ने अपमान का घूंट पीते हुए अपने उस फैसले को पलट दिया है।
उल्लेखनीय है कि फ्रांस में पैगम्बर मोहम्मद के कार्टून के छपने के बाद, तहरीके लब्बैक ने फ्रांस के राजदूत को देश से बाहर निकालने की मांग पर सरकार के विरुद्ध हिंसक अभियान छेड़ दिया था। इसके बाद इसी वर्ष अप्रैल में इमरान सरकार द्वारा टीएलपी को एक प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया गया था।
फ्रांस में पैगम्बर मोहम्मद के कार्टून के छपने के बाद, तहरीके लब्बैक ने फ्रांस के राजदूत को देश से बाहर निकालने की मांग पर सरकार के विरुद्ध हिंसक अभियान छेड़ दिया था। इसके बाद इसी वर्ष अप्रैल में इमरान सरकार द्वारा टीएलपी को एक प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया गया था।
पिछले महीने तहरीके-लब्बैक ने जबरदस्त उग्रता दिखाते हुए इस्लामाबाद कूच शुरू किया था और रास्ते में हर शहर में जमकर हिंसा और आगजनी की थी। लेकिन बात बढ़ती देख सहमे इमरान ने इस जिहादी सोच के गुट के साथ सरकारी स्तर पर एक शांति समझौता किया था। तब पता चला था कि इस करार में एक बड़ी शर्त गुट पर लगा प्रतिबंध हटाना भी थी।
पंजाब सरकार के आंतरिक मंत्रालय से आई एक रिपोर्ट के बाद प्रधानमंत्री इमरान खान ने टीएलपी से प्रतिबंध हटाने का फरमान जारी किया है। हालांकि इससे पहले ही इमरान सरकार टीएलपी के दो हजार से ज्यादा उन्मादियों को रिहा कर चुकी है। अब प्रतिबंध हटने से यह कट्टर मजहबी गुट तमाम सियासी गतिविधियों में भाग ले सकेगा। विशेषज्ञों के अनुसार, इमरान खान सरकार के इस कदम से आने वाले वक्त में स्थितियां बिगड़ेंगी। माना जा रहा है कि आगे इस इस्लामी देश में बनने वाली सरकारें मजहबी उन्मादी गुटों के प्रति नरम रुख रख सकती हैं।
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