ईसाई मिशनरी से जुड़े लोग किस तरह चुपचाप काम करते हैं, इसकी भनक तक लोगों को नहीं लगती है। कुछ ऐसा ही हुआ है बिहार के भेजपुर जिले में। जिला मुख्यालय आरा से लगभग 20 किलोमीटर दूर महावीरगंज शत—प्रतिशत हिंदू गांव है। अब इस पर ईसाई मिशनरियों की बुरी नजर लग चुकी है। इसी के तहत वहां एक चर्च बनाया गया है। ग्रामीण कुन्दन ने बताया कि इस चर्च को बनाने में बहुत ही गोपनीयता बरती गई। उनके अनुसार, ''महावीरगंज से कुछ ही दूरी पर एक गांव है, जहां का एक परिवार ईसाई बना है।
जमीन खरीदने वाले उसी परिवार की मदद से पांच महीने पहले गांव में आए और कहा कि वे लोग इस समय किराए के मकान में रहते हैं। इसलिए घर बनाने के लिए जमीन चाहिए। यह कहकर उन लोगों ने गांव के एक किसान से लगभग पांच कट्ठा जमीन खरीद ली। इसके बाद वहां मकान भी बनना शुरू हुआ। निर्माण कार्य के समय किसी को भी पता नहीं चला कि वहां चर्च बन रहा है। जब मकान पूरी तरह तैयार हो गया तब एक रात अचानक उस पर सलीब बना दिया गया। इसके बाद ग्रामीणों को आभास हुआ कि उनके साथ छल किया गया है। इसलिए ग्रामीणों ने उसका विरोध किया है।'' लेकिन चर्च से जुड़े ज्योति प्रकाश (जो कुछ वर्ष पहले ईसाई बना है) का कहना है कि ग्रमीणों का विरोध गलत है।
जब कोई जमीन खरीदता है तो उसका अधिकार है कि वह वहां क्या बनाए। इसके साथ ही ज्योति प्रकाश ने यह भी कहा कि इस चर्च में दूर—दूर से बीमार और पीड़ित लोग आते हैं और उनके लिए सामूहिक प्रार्थना की जाती है। इसके बाद वे लोग ठीक होकर अपने घर चले जाते हैं। किसी को ईसाई नहीं बनाया जाता है। लेकिन एक अन्य ग्रामीण गुलू सिंह ने ज्योति प्रकाश के दावे को खारिज किया है। गुलू का कहना है कि चर्च से जुड़े लोग चुपचाप यहां के ग्रामीण क्षेत्रों में लोभ—लालच से हिंदुओं को ईसाई बना रहे हैं। इससे हिंदुओं में गुस्सा बढ़ता जा रहा है।
सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. निर्मल सिंह ने बताया कि औरंगाबाद, कैमूर, बक्सर, भोजपुर आदि जिलों में कन्वर्जन का कार्य बहुत तेजी से हो रहा है। चाहे अगड़े हों या पिछड़े, हर जाति के लोग ईसाई बन रहे हैं। यह हिंदू समाज के लिए बहुत ही चिंता की बात है। छल—कपट से जो लोग कन्वर्जन का कार्य कर रहे हैं, उनके विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए।
टिप्पणियाँ