केदारनाथ यात्रा के जरिए दुनियाभर में आदि शंकराचार्य और बाबा केदारनाथ का संदेश देकर प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस में बेचैनी पैदा कर दी है। पीएम के दौरा घोषित होते ही कांग्रेस नेता हरीश रावत केदारनाथ हो आये, उनके पीछे-पीछे पंजाब के सीएम चरनजीत सिंह चन्नी और नवजोत सिंह सिद्दू भी हो आए।
पीएम मोदी के आने से कांग्रेसियों में बेचैनी
पीएम मोदी के केदारनाथ आने के कार्यक्रम तय होते ही कांग्रेस नेता हरीश रावत भागे भागे केदारनाथ पहुंच गए। त्रिशूल डमरू बजाकर उन्होंने सोशल मीडिया पर अपना वीडियो जारी किया। बयान भी दे बैठे कि उन्होंने बाबा से मुख्यमंत्री बनने का आशीर्वाद लिया है। हालांकि पहले वो कहते रहे कि उत्तराखंड का मुख्यमंत्री कोई दलित हो ये उनका सपना है। पिछले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री रहते हुए दो-दो विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव हार जाने वाले हरीश रावत इस समय केदारनाथ को लेकर सबसे ज्यादा बेचैन हैं। वह यह है कि केदारनाथ के जरिए गढ़वाल का अर्थतंत्र बदलने वाला है। जिसका श्रेय मोदी जी को दिया जा रहा है। हरीश रावत से मिलने पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिद्दू देहरादून आये वो भी केदारनाथ चले आए, यानि उनमें भी केदारनाथ का फोबिया गहराया हुआ था।
पूजा के लाइव प्रसारण का किया विरोध
हरीश रावत को जैसे ही ये जानकारी मिली कि पीएम मोदी की केदारनाथ यात्रा का देश के सभी मठों, ज्योतिर्लिंगों में सीधा प्रसारण किया जाएगा। साधु-संत शिवलिंग पर बीजेपी जन प्रतिनिधियों के साथ रुद्राभिषेक करेंगे। इस पर उन्होंने भी उत्तराखंड में शिवालयों में कांग्रेसी एकत्र करके जलाभिषेक कार्यक्रम तय कर दिए। यानि शिव का नाम लेकर कांग्रेस भी बीजेपी की बराबरी करने पर उतारू हो गए। केदारनाथ में मोदी की यात्रा को लेकर जो हवा बनी उससे कांग्रेस की बौखलाहट और देखने में आई। हरीश रावत कहने लगे कि पीएम अपनी ब्रांडिंग करने आये और उन्होंने बाबा केदारनाथ को सम्मान नहीं दिया। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने ये कहा कि पीएम की गर्भगृह की पूजा का लाइव प्रसारण नहीं करना चाहिए था क्योंकि गर्भगृह की फ़ोटो या चित्र लेना वर्जित है।
लोगों के मन मे बस गया पीएम का संबोधन
पीएम मोदी ने जिस तरह से केदारनाथ का गुणगान किया और आदि शंकराचार्य के विषय में उनका सम्बोधन दिल की गहराई में जाकर लोगों के मन मे बस गया। उत्तराखंड में केंद्र के एक लाख करोड़ के विकास कार्यों का जिस तरह से उल्लेख किया, उससे कांग्रेस की बेचैनी और भी बढ़ गई है। उत्तराखंड देवभूमि है यहां के लोग अध्यात्म में विश्वास करते हैं साथ ही देश रक्षा में लगे यहां के जवानों के सम्मान में जिस तरह कसीदे पढ़े वो आगामी चुनावों की दृष्टि से यकीनन कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों में बौखलाहट ही पैदा करेंगे। हकीकत भी यही है कि बीजेपी उत्तराखंड की राजनीति में आक्रामक रुख अपना चुकी है। मोदी से पहले अमित शाह ने हरीश रावत को मुस्लिम परस्त बोल कर पहले ही परेशान कर चुके है। बीजेपी आगे भी हरीश रावत को ही घेर कर अगले विधानसभा चुनाव की रणनीति बनाएगी।
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