गुजरात का सूरत शहर हीरों और कपड़ों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। वहीं साड़ियों के निर्माण में तो सूरत का दबदबा है। कोरोना काल में भी यहां के बहुत सारे कारोबारी निराश नहीं हुए और अपने काम को पटरी पर बनाए रखा। एक ऐसे ही व्यवसायी हैं कैलाश हाकिम। इनकी कंपनी ‘हिमानी फैशन प्रा़ लि़’ 400 कारीगरों और मजदूरों की मदद से साड़ियों का निर्माण करती है। कैलाश बताते हैं, ‘‘लॉकडाउन के दौरान सबसे बड़ी चुनौती थी कारीगरों की देखरेख और उन्हें पलायन करने से रोकना, क्योंकि लॉकडाउन लगते ही कारीगर किसी न किसी प्रकार अपने गांव जाना चाहते थे। यदि सभी चले जाते तो काम शुरू करना आसान नहीं होता। इसलिए सबसे पहले उनके रहने और खाने का प्रबंध किया। फिर जैसे ही सरकार की ओर से कोरोना नियमों में कुछ ढिलाई दी गई तो काम शुरू कर दिया। इससे कंपनी को वह नुकसान नहीं हुआ, जिसकी आशंका थी।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘साड़ी बनाने के लिए कपड़ा खरीदना पड़ता है और कोरोना काल में कई कपड़ा व्यापारी निराश हो गए थे। उनका माल नहीं बिक रहा था। ऐसे लोगों का हौसला बढ़ाने के लिए मैंने अग्रिम पैसे देकर कपड़ा खरीदा। इसका लाभ हमें भी मिला और उन कपड़ा कारोबारियों को भी।’’ कैलाश की कंपनी में बनने वाली साड़ियां मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और राजस्थान जाती हैं। उनका सालाना कारोबार 80 करोड़ रु़ से अधिक है। वे एक सफल एक सफल कारोबारी होने के साथ-साथ एक नेक दिल इनसान भी हैं। वे कहते हैं, ‘‘कोरोना की आपदा बहुत बड़ी थी। इस आपदा ने लोगों को यह सीख दी कि जिस समाज से हम कमाते हैं, जिस समाज का अन्न खाते हैं, उस समाज के लिए हर व्यक्ति को कुछ न कुछ करना चाहिए।’’
टिप्पणियाँ