उद्यमिता का उजास : वक्त बदला, राह बदली, पाई नई कामयाबी
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उद्यमिता का उजास : वक्त बदला, राह बदली, पाई नई कामयाबी

by Alok Goswami
Nov 2, 2021, 11:38 am IST
in भारत, केरल
महालिंगपुरम में कोटक्कल आर्य वैद्यशाला और बिग स्क्रीन का मुख्यालय। (प्रकोष्ठ में) रवि पोन्नथ

महालिंगपुरम में कोटक्कल आर्य वैद्यशाला और बिग स्क्रीन का मुख्यालय। (प्रकोष्ठ में) रवि पोन्नथ

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लॉकडाउन के चलते ‘बिग स्क्रीन’ के पास  न के बराबर काम था। इन परिस्थितियों में रवि ने केरल की सुप्रसिद्ध कोटक्कल आर्य वैद्यशाला का चेन्नै में एक क्लीनिक और स्टोर खोला। देखते ही देखते काम बढ़ता गया

 

के्रल के  त्रिशूर में जन्मे रवि पोन्नथ ने अपने जीवन को अनेक उतार-चढ़ागें के साथ कई पड़ावों से गुजरते देखा है। लेकिन आज उन्होंने ने जो मुकाम हासिल है, उस पर उनके माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों को ही गर्व नहीं है, बल्कि रवि जिस क्षेत्र में कार्यरत हैं, उसमें उनके साथी भी उनका नाम बहुत आदर से लेते हैं।

बात कुछ पुरानी है। रवि के पिता आईबीएम कंपनी में काम करने सपरिवार चैन्ने आए तो रवि ने भी यहां आकर अपनी कॉलेज और उससे आगे खास पेशे से जुड़ी पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने होटल उद्योग में कदम रखा। होटल प्रबंधन क्षेत्र में करीब 9 साल नौकरी करने के बाद, रवि को लगा कि कुछ अपना किया जाए। लिहाजा, उन्होंने साल 2000 में ‘बिग स्क्रीन’ नाम से एक कंपनी खड़ी कर आॅडियो-विजुअल और ईवेंट मैनेजमेंट के क्षेत्र में पदार्पण किया। काम मिलने लगा बड़ी-बड़ी कंपनियों से। फिर ‘मांगल्यम्’ नाम से एक और कंपनी उसमें शामिल की, जिसके अंतर्गत उन्होंने आज के चलन के हिसाब  से वैवाहिक समारोहों का शुरू से अंत तक का आयोजन अपने हाथ में लेना शुरू किया।

उनकी कंपनी उद्योग जगत के बड़े-बड़े नामों के साथ काम करने लगी और उसकी साख के चर्चे न सिर्फ तमिलनाडु में हुए बल्कि कर्नाटक और केरल तक ईवेंट मैनेजमेंट में ‘बिग स्क्रीन’ जाना-माना नाम बन गया। सालाना कमाई 20 करोड़ रु. तक जा पहुंची। रवि की इस कंपनी 48 कर्मियों को रोजगार मिला हुआ था।

लेकिन फिर 2020 में आई कोरोना महामारी ने तेजी से बढ़ते काम पर अचानक ब्रेक लगा दिया। देश में अब न कोई ‘ईवेंट’ हो रहे थे, न बड़े ताम-झाम वाली शादियां। काम जहां का तहां अटक गया। रवि के सामने मुश्किल आ खड़ी हुई कि अब अपना और साथ काम करने वाले 48 लोगों का वेतन कहां से आए? वे बिल्कुल नहीं चाहते थे कि किसी कर्र्मी को नौकरी से निकाला जाए। ऐसा किसी सूरत में लॉकडाउन के दौरान भी उन्होंने हर कर्मचारी को उसका वेतन दिया। लेकिन मन में भारी उथल-पुथल तो मची ही थी कि, आगे कैसे-क्या हो। लेकिन प्रभु की कृपा ऐसी रही कि फिर नई राह खुद सामने दिखने लगी।

हुआ कुछ कि पिछले साल कोरोना के पहले दौर में किसी मित्र की सलाह पर रवि अपने साथियों के साथ चैन्ने के सैकड़ों परिवारों में बिना पैसे लिए आयुर्वेदिक इम्युनिटी बूस्टर वितरित करने में जुट गए। तब उनके एक डाक्टर दोस्त ने आयुर्वेद में उनकी दिलचस्पी देख उन्हें सलाह दी कि क्यों न तुम एक आयुर्वेद क्लीनिक खोलो और दवा बिक्री का काम करो! लॉकडाउन के चलते ‘बिग स्क्रीन’ के पास अब न के बराबर काम था, कर्मचारी थे पर खाली बैठे थे,

तो इन परिस्थितियों में रवि ने केरल की सुप्रसिद्ध कोटक्कल आर्य वैद्य शाला से बात करके चैन्ने के महालिंगपुरम क्षेत्र में एक आयुर्वेद क्लीनिक और स्टोर खोला। काम ऐसा चला, ऐसा चला कि कुछ ही महीने बाद रवि ने शहर के एक अन्य प्रमुख स्थान पर एक और स्टोर खोला। देखते ही देखते, उनके सभी कर्मचारी काम में जुट गए। चैन्ने की इस प्रतिष्ठित आयुर्वेद स्टोर शृंखला में जल्दी ही तीसरी कड़ी जुड़ने जा रही है। यानी सिर्फ डेढ़ साल के अंदर रवि   पहले जितनी तो नहीं, लेकिन हां, करीब 15 करोड़ रु. सालाना की कमाई करने लगे हैं।

उदार ह्रदय रवि ने 2015 में आई भयंकर बाढ़ के दौरान चैन्ने में जरूरतमंदों को अपनी तरफ से राहत सामग्री बांटने की पहल की थी। लोगों ने तब रवि की सेवा भावना को सराहा था। आज उनके परिवार में पत्नी के अलावा दो बेटियां हैं। पत्नी उनके व्यवसाय में पूरी लगन से हाथ बंटाती हैं। रवि के माता-पिता, एक भाई और दो विवाहिता बहनें त्रिशूर में ही रहती हैं।    

Alok Goswami
Journalist at Bahrat Prakashan | Website

A Delhi based journalist with over 25 years of experience, have traveled length & breadth  of the country and been on foreign assignments too. Areas of interest include Foreign Relations, Defense, Socio-Economic issues, Diaspora, Indian Social scenarios, besides reading and watching documentaries on travel, history, geopolitics, wildlife etc.

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