मनोज ठाकुर
आखिरकार वही हुआ, जिसकी आशंका थी। आंदोलनजीवी चाहते ही नहीं कि विवाद का हल निकले। पहले कथित किसान नेता राकेश टिकैत दावा करते रहे कि पुलिस ने बॉर्डर बंद कर रखे हैं। अब जब पुलिस रास्ता खोल रही है तो वे इसका विरोध कर रहे हैं। शुक्रवार देर रात टिकरी बॉर्डर पर जो हुआ, वह आंदोलनजीवियों को बेनकाब करने के लिए काफी है।
हरियाणा सरकार और केंद्र सरकार अपनी ओर से पूरी शांति बरत रही है। लेकिन बॉर्डर पर जमा तत्व ऐसा नहीं चाह रहे हैं। वह गड़बड़ी फैलाने की फिराक में नजर आ रहे हैं। बॉर्डर खोलने को लेकर दिल्ली पुलिस, हरियाणा पुलिस और खुद को किसान कहने वाले लोगों से शुक्रवार शाम को बातचीत की गई। इसके लिए किसान संगठनों, दिल्ली पुलिस और हरियाणा के प्रशासनिक अधिकारियों की बहादुरगढ़ में बैठक हुई थी। लेकिन 2 घंटे चली बातचीत में कोई नतीजा नहीं निकला। हरियाणा के अधिकारी राष्ट्रीय राजमार्ग-9 को दोनों तरफ से खोलने की बात कर रहे थे, लेकिन आंदोलनकारी केवल 5 फीट रास्ता खोलने पर अड़े रहे। गतिरोध को देखते हुए शनिवार सुबह फिर बैठक होने वाली थी, लेकिन रात को ही प्रदर्शनकारी हंगामा करने लगे। हालांकि शनिवार को टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों के साथ दिल्ली और हरियाणा पुलिस के अधिकारियों की बैठक के बाद कुछ सहमति बनी। यह बैठक इसके तहत, टिकरी बॉर्डर सुबह 7 बजे से शाम 8 बजे तक दोपहिया, एंबुलेंस और पैदल यात्रियों के लिए खुला रहेगा। इसके लिए सड़क के एक ओर करीब 5 फीट जगह रहेगी। इस बैठक से पूर्व कथित किसानों ने अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत की, जिसमें संयुक्त किसान मोर्चा की 6 नवंबर को होने वाली बैठक से पहले 5 फीट रास्ता खोलने पर विचार हुआ।
उधर, उत्तर प्रदेश से सटे गाजीपुर बॉर्डर को पुलिस ने बैरिकेडिंग हटा दी है। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे को दिल्ली पुलिस की ओर से आज खाली कर दिया जाएगा। हालांकि लेन-6 में उत्तर प्रदेश से दिल्ली आने वाले रास्ते में बैरिकेड्स लगे हुए हैं, इनके बारे में उत्तर प्रदेश पुलिस फैसला लेगी।
सोशल मीडिया पर लोगों को भड़का रहे
इससे पहले शुक्रवार को जब दिल्ली पुलिस बॉर्डर से बैरिकेड्स हटाने का काम कर रही थी तो राकेश टिकैत ने कहा था कि यदि रास्ता खुल गया तो वह अपनी धान दिल्ली लेकर आएंगे। युवा किसान संघ हरियाणा के उपप्रधान प्रदीप चौहान कहना है कि राकेश टिकैत किसानों को भड़काने का काम करतेे हैं। बाद में बहुत ही चालाकी से खुद को बचाने में जुट जाते हैं। इस बार भी वह ऐसा ही कर रहे हैं। उनकी भूमिका बहुत ही विवादास्पद है।टिकैत किसान नहीं हैं। रात में जिस तरह से वे सोशल मीडिया पर लोगों का उकसा रहे थे, इसकी जांच होनी चाहिए। चौहान ने कहा कि तीन कृषि कानून तो बहाना है, असली मकसद तो हरियाणा और केंद्र सरकार को अस्थिर करना है। इसलिए कभी 26 जनवरी जैसी घटना होती है, कभी सरेआम किसी को काट दिया जाता है और कभी जिंदा जला दिया जाता है। यह डर और दहशत का माहौल बनाने की कोशिश है। इसे आंदोलन कहना पूरी तरह से गलत है।
टिकरी और कुंडली बॉर्डर के नजदीक पड़ने वाले गांवों के लोग लंबे समय से सड़क खोलने की मांग कर रहे हैं। बॉर्डर बंद होने के कारण उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सोनीपत के व्यापारी सत्यवान चोपड़ा ने बताया कि रास्ता बंद होने से उन्हें लगातार नुकसान हो रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर किसी को नुकसान पहुंचा कर कैसे कोई आंदोलन कर सकता है? यह लोग तो पूरी तरह से अराजक तत्वों की तरह काम कर रहे हैं। जिससे आम आदमी बुरी तरह से त्रस्त हो रहा है।
क्या हुआ रात को?
पुलिस ने शुक्रवार शाम तक टिकरी बॉर्डर से 6 परतों की बैरिकेडिंग हटा दी थी। पुलिस देर रात को शांतिपूर्ण तरीके से एक तरफ का रास्ता खोल रही थी, लेकिन तथाकथित किसान नेताओं से यह बर्दाश्त नहीं हुआ। उन्होंने रात में ही कुछ लोगों को बहका कर रास्ता खोल रही मशीनों के सामने लेटने को बोल दिया। पुलिस ने जो रास्ते खोले थे, वह भी इन तत्वों ने बंद कर दिए हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि पुलिस ने आपात स्थिति के लिए 10 फीट रास्ता खोलने की बात कही थी, लेकिन वह 40 फीट रास्ता खोलने की कोशिश कर रही है। वे पुलिस बैरिकेडिंग के सामने आकर बैठ गए। यही नहीं, रात को मंच सज गया और वहीं से भाषण भी दिया जाने लगा। कथित किसानों से एकजुट होने का आह्वान किया जाने लगा। इधर, हरियाणा पुलिस के प्रवक्ता ने कहा किसी को भी कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी। पुलिस की पहली प्राथमिकता शांति और अमन चैन है। जिसे किसी भी हालत में खराब नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि कोई कानून को अपने हाथ में न लें। यदि लिया तो उनके खिलाफ कानून के मुताबिक कार्यवाही होगी।
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