मानवयुक्त पनडुब्बी लॉन्च करते हुए
इस दौरान जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बड़ी प्रगति है। जब गगनयान कार्यक्रम के तहत एक भारतीय अंतरिक्ष में जाता है, तो दूसरा समुद्र में गहरा गोता लगाता है।
समुद्री संसाधनों की खोज होगी आसान
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इस तकनीकि से पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय को काफी सहायता मिलेगी। हजार और 5500 मीटर गहरे समुद्र में निर्जीव संसाधनों जैसे पॉलिमेटैलिक मैंगनीज नाड्यूल, गैस हाइड्रेट, हाइड्रो थर्मल सल्फाइड और कोबाल्ट क्रस्ट की खोज की जा सकेगी। उन्होंने यह भी बताया कि मानव युक्त समर्सिबल मत्स्य 6000 का काम पूरा हो चुका है। यह इसरो, IITM और IRDO समेत विभिन्न संगठनों के साथ शुरू किया जा सकेगा। 500 मीटर गहरे पानी में चलने की क्षमता रखने वाली मानवयुक्त पनडुब्बी का समुद्री परीक्षण 2022 की अंतिम तिमाही में होने की उम्मीद है। वहीं, ‘मत्स्य 6000’, जोकि गहरे पानी से चलने वाली पनडुब्बी है, 2024 की दूसरी तिमाही तक परीक्षण के लिए तैयार हो जाएगी।
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