मनोज ठाकुर
किसानों के कंधे पर रखकर चल रहे कथित आंदोलन में केंद्र व हरियाणा सरकार को बड़ी कामयाबी मिली है। 11 माह से बंद पड़े दिल्ली बॉर्डर को खोलने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। दिल्ली से सटे हरियाणा के टिकरी बॉर्डर और उत्तर प्रदेश से गाजीपुर बॉर्डर पर पुलिस ने जो बैरिकेडिंग लगाई थी, उसे हटाया जा रहा है। हालांकि कथित किसान अब भी डटे हुए हैं। टिकरी बॉर्डर पर दिल्ली पुलिस ने 7 परतों में बैरिकेडिंग लगाई थी, जिसमें से पांच परतें हटा दी गईं। साथ ही, यातायात बहाल करने के लिए एक ओर की सड़क को दुरुस्त किया जा रहा है। टिकरी बॉर्डर के आसपास के किसान लंबे समय से रास्ता खोले जाने की मांग कर रहे थे।
इधर, बहादुरगढ़ चैंबर एंड इंडस्ट्रीज ने बॉर्डर खुलवाने की मांग को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। इस पर 15 नवंबर को सुनवाई होनी है। सर्वोच्च न्यायालय के बाद उच्च न्यायालय ने भी स्पष्ट कर दिया है कि अनिश्चितकाल के लिए रास्ता बंद नहीं किया जा सकता। टिकरी बॉर्डर पर रास्ता खोलने को लेकर दिल्ली पुलिस ने दौरा किया। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रोहतक से एक तरफ का रास्ता खोला जा रहा है। इसके लिए हरियाणा पुलिस और किसान नेताओं से बातचीत भी की है। इसी तरह से गाजीपुर और कुंडली बॉर्डर को भी खोले जाने की उम्मीद बन रही है।
टिकरी बॉर्डर पर पहले ही किसानों की संख्या कम हो गई है। अब कुछ कुछ लोग ही धरने पर बैठे हैं। काफी टेंट पहले ही हट चुके हैं। अभी सड़क के एक हिस्से पर ही टेंट लगे हुए हैं। यहां से आने-जाने के लिए 15 फीट का रास्ता भी बन सकता है।
राष्ट्रीय परिवर्तन मंच के सदस्य सतबीर शर्मा ने बताया कि रास्ता रोकने वाले किसान हितैषी नहीं हैं। रास्ता तो बहुत पहले खुल जाता, यदि तथाकथित किसान रोड़े न अटकाते। अभी भी किसानों के नाम पर राजनीति कर रहे कुछ तथाकथित किसान नेता बॉर्डर खोले जाने पर तिलमिला रहे हैं। उनका इशारा राकेश टिकैत की ओर है, जिसने रास्ता खोलने को लेकर बयान दिया कि यदि रास्ते खुले तो हम अपनी फसल बेचने के लिए संसद में जाएंगे।
सतपाल ने बताया कि इससे स्पष्ट है कि राकेश टिकैत किस तरह से किसानों के नाम पर राजनीति कर रहा है। वह एक ओर वे कहते हैं कि रास्ता उन्होंने ने नहीं, पुलिस ने रोका है। अब जब पुलिस रास्ता खोल रही है तो वह धमकाने वाले अंदाज में बात कर रहे हैं। आसपास के गांवों की पंचायत आयोजित कर कई बार रास्ता खोले जाने की मांग की गई। अब उनकी यह कोशिश रंग लाई है। रास्ता बंद होने से उनके गांवों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था।
राष्ट्रीय परिवर्तन मंच के सदस्य हरिओम ने बताया कि 22 जून को उन्होंने 36 बिरादरी की महापंचायत बुला कर रास्ता खोलने की मांग की थी। इस पंचायत में 24 गांवों के व दिल्ली के 15 गांव के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। उन्होंने बताया कि यह आंदेलनजीवी हैं, जो किसानों में हिंसक गतिविधियों का बढ़ावा दे रहे हैं।
दूसरी ओर कुंडली निवासी रामकुमार ठाकुर ने बताया कि यह रास्ता भी खोला जाना चाहिए। क्योंकि यहां रास्ता बंद होने से लोगों को बहुत परेशानी हो रही है। उन्होंने बताया कि असली किसान खेतों में धान की कटाई और गेहूं की बुवाई की तैयारी कर रहा है। किसानों के नाम पर जो लोग बॉर्डर पर हैं, वे किसान नहीं है। वे विपक्ष और देशद्रोही ताकतों के इशारे पर काम कर रहे हैं। इसलिए उन्हें यहां से हटाया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि अब क्योंकि आंदोलनजीवियों की पोल खुल गई है। इसलिए भी इनके खिलाफ सख्त कार्यवाही होनी चाहिए।
युवा किसान संघ के प्रवक्ता करणदीप चौहान ने बताया कि तथाकथित किसान नेता सरकार के धैर्य की परीक्षा ले रहे थे। हरियाणा की मनोहर सरकार और केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार इस परीक्षा में शत-प्रतिशत सफल रही है। निश्चित ही आंदोलन के कारण स्थानीय लोगों बहुत परेशानी हुई। चौहान ने बताया कि देशद्रोही ताकतें कथित आंदोलन की आड़ में देश को तोड़ने और भारत की छवि बिगाड़ने की कोशिश में लगी हुई थीं।
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