यह कैसा संयोग था कि एक तरफ प्रशांत किशोर कांग्रेस के भविष्य पर टिप्पणी कर रहे थे और उस बयान के आगे—पीछे कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी साबित करने पर तुले थे कि प्रशांत गलत नहीं हैं।
आपने ठीक समझा मैं राहुल गांधी के हालिया टिप्पणी का जिक्र कर रहा हूं। जिसमें वे पीएफआई के फेक न्यूज के शिकार हुए। वैसे यह जांच का विषय हो सकता है कि वे फेक न्यूज के पीड़ित हैं या केरल से सांसद होने की वजह से पीएफआई से प्रभावित। राहुल ने ट्वीट किया—''त्रिपुरा में हमारे मुसलमान भाइयों पर क्रूरता हो रही है। हिंदू के नाम पर नफ़रत व हिंसा करने वाले हिंदू नहीं, ढोंगी हैं। सरकार कब तक अंधी-बहरी होने का नाटक करती रहेगी?'
जबकि इस मुद्दे पर त्रिपुरा पुलिस का बयान आ गया है। त्रिपुरा पुलिस के अनुसार—''एंटी सोशल एलीमेन्ट सोशल मीडिया पर अफवाह फैला रहे हैं। हम आपको विश्वास दिलाना चाहते हैं कि इस तरह की कोई भी घटना धर्मनगर (त्रिपुरा) में घटित नहीं हुई है। पुलिस टीम यहां पूरी तरह से मुस्तैद है। स्थिति नियंत्रण में है। उत्तरी त्रिपुरा के किसी भी मस्जिद में आगजनी की कोई भी घटना नहीं हुई है। किसी भी तरह की परेशानी होने पर नजदीकी पुलिस थाने में संपर्क कीजिए।''
पुलिस ने त्रिपुरा के लोगों से विनम्र प्रार्थना की है,''अफवाह पर ना ध्यान दें और ना ही अफवाह को बढ़ावा दें। इस तरह से सोशल मीडिया का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए त्रिपुरा पुलिस प्रतिबद्ध है।''
राहुल गांधी और जिहादी संगठन पीएफआई का एक जैसा स्टैंड, एक जैसी भाषा, एक जैसा बयान देखकर लोग सोशल मीडिया पर सवाल पूछने लगे हैं —राहुल और पीएफआई का रिश्ता क्या ? ला इलाहा इल्लल्लाह।
यह बात 2019 के लोक सभा चुनाव के दौरान अखबारों में मिल जाएगी कि वायनाड से राहुल की जीत की बड़ी वजह 40 फीसदी मुसलमान मतदाता हैंं।
पीएफआई जैसा प्रतिबंधित संगठन कट्टरपंथी मुसलमानों के बीच बेहद लोकप्रिय है। केरल में इसकी घुसपैठ किसी से छुपी हुई नहीं है। अब पीएफआई को जिस तरह राहुल कॉपी कर रहे हैं, उससे उनके ट्वीट पर सवाल तो बनता है।
उल्लेखनीय है कि पॉपुलर फ्रंट आफ इंडिया के पूर्वोत्तर क्षेत्र का अध्यक्ष मोहम्मद आरिफ खान ने त्रिपुरा के विभिन्न क्षेत्रों में मुसलमानों की संपत्तियों और मस्जिदों पर हिन्दुत्व के हमले की कड़ी निन्दा करके हुए झूठी अफवाह फैलाई। जबकि त्रिपुरा पुलिस इस तरह की हिंसा से साफ इंकार रही है। लेकिन राहुल गांधी पीएफआई की अफवाह को ही हवा दे रहे हैं। वैसे यह पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी फेक न्यूज या अफवाह फैलाते पकड़े गए हों।
टिप्पणियाँ