हितेश शर्मा ने जब 27 अक्टूबर को 3 बजकर 17 मिनट पर सीलमपुर में हिंदुओं पर हो रहे जानलेवा हमले से जुड़ा एक ट्वीट डाला। सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता कपिल मिश्रा ने इसे रिट्वीट किया। इसके बाद सोशल मीडिया पर इस घटना की चर्चा होनी शुरू हो गई।
हितेश ने अपने ट्वीट में लिखा था— ''दिल्ली के सीलमपुर में हो रहा है हिंदुओं पर जानलेवा हमला। हिंदुओं को भगाने के लिए किया जा रहा है शोषण। कृपया इस विषय पर तुरंत संज्ञान लिया जाए तथा दोषियों को तुरंत दण्ड दिया जाए।''
हितेश के ट्वीट को जहां औसतन दस से कम लोग लाइक—शेयर करते हैं। कपिल मिश्रा के रिट्वीट करने के बाद 3048 लोगों ने रिट्वीट किया। 244 लोगों ने कमेन्ट लिखे और इस ट्वीट पर कुल 3704 लाइक आए।
कपिल ने लिखा— ''दिल्ली के सीलमपुर में हुए ये हमले हल्के में नहीं लिए जा सकते। इन पर तुरंत और गंभीर कार्रवाई आवश्यक है। इस तरह के हमले से लोगों में आक्रोश भी है।''
कपिल ने हितेश के ट्वीट को गंभीरता से क्यों लिया होगा ? इस बात को समझना किसी भी उत्तर पूर्वी दिल्ली क्षेत्र में रहने के वाले के लिए बेहद आसान है। यह क्षेत्र हाल ही में दंगों की भेंट चढ़ा था। जिस सीलमपुर का जिक्र यहां किया जा रहा है, वहां दो साल पहले दिल्ली को जलाने की कोशिश में लगे जिहादियों ने दिल्ली पुलिस की गाड़ी पर हमला कर दिया था। वह एक प्रकार का दंगा ही था जब सड़क पर आती जाती गाड़ियोें पर पत्थरबाजी हुई थी। पुलिस की भाषा में ऐसे क्षेत्र को संवदेनशील क्षेत्र कहा जाता है और मानवाधिकारवादियों की भाषा में ऐसा क्षेत्र जहां अल्पसंख्यक आबादी 'बहुसंख्यक' है।
हितेश को डीसीपी नार्थ ईस्ट का जवाब आया। जिसमें लिखा गया— ''यह दो गुटों के बीच छोटे से मुद्दे पर एक सामान्य टकराव की घटना है। कानूनी कार्रवाई की जा रही है लेकिन जैसा ट्वीट में दावा किया गया है, इस घटना का कोई साम्प्रदायिक पक्ष नहीं है। मामला दर्ज कर लिया गया। आरोपियों की पहचान भी कर ली गई और यह पूरा मामला एसएचओ सीलमपुर को सौंप दिया गया।
खबरों के अनुसार पीड़ित नवीन और दीपक अपने परिवार के साथ उत्तर पूर्वी दिल्ली में रहते हैं। इनका निजी व्यावसाय है। रफीक का परिवार इनका पड़ोसी है। बताया जाता है कि भारत-पाकिस्तान के बीच हुए मैच के दौरान रफीक और उसके परिवार ने पाकिस्तान की जीत पर जश्न मनाया था। यह बात किसी भी भारतीय को पसंद नहीं आएगी कि भारत की हार पर कोई जश्न मनाए। भारत में पाकिस्तान की जीत और भारत की हार पर किसी घर में ईद मनाई जाए तो इसे कोई भी भारतीय कैसे पसंद करेगा? इसी बात पर रफीक के परिवार व नवीन का विवाद हुआ। रफीक के परिवार ने नवीन व दीपक को देख लेने की धमकी दी।
आरोप है कि 27 अक्टूबर को रफीक और उसके परिवार ने नवीन और दीपक को बुरी तरह पीटा। घटना का वीडियो वायरल हो गया। हमले में घायल नवीन और दीपक दिख रहे हैं। वीडियो को जब कपिल मिश्रा ने रिट्वीट किया तो सोशल मीडिया पर हलचल बढ़ गई। घायल नवीन और दीपक को जीटीबी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
इन सारी परिस्थितियों को जानने और बूझने के बाद पुलिस की सफाई कितनी विश्वसनीय है? क्या नवीन और दीपक ने भारत की हार पर खुशी मना रहे पड़ोसियों को ऐसा ना करने के लिए कहकर कोई अपराध किया ? वैसे दिल्ली में मुस्लिम बहुल इलाकों में पटाखे जलाए जाने की घटना को लेकर लोगों ने खूब सोशल मीडिया पर भी लिखा। उत्तर प्रदेश सरकार ने कार्रवाई भी की लेकिन दिल्ली पुलिस की तरफ से ऐसी किसी कार्रवाई की जानकारी नहीं है।
हितेश ने दिल्ली पुलिस से प्रश्न पूछा है कि क्या मामूली टकराव की घटना में इतनी गंभीर चोट लगती है और उसमें बंदूक तक चल जाती है।
सच को स्वीकार करने के लिए और इसके ऊपर कार्रवाई के लिए हिन्दूओं का और कितना खून बहेगा ? उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों में जिन लोगों ने वहां की स्थिति को अपनी आंखों से देखा है। वह हितेश के दर्द को समझ सकते हैं। उत्तर पूर्वी दिल्ली में कई ऐसे सीलमपुर हैं, जहां कार्रवाई करने से पहले दिल्ली पुलिस को भी दर्जन भर बार सोचना पड़ता है। जैसे इस आलेख को पढ़ते हुए हितेश शर्मा की तरह आप भी सोच रहे होंगे कि यह कैसी मामूली झड़प हुई थी सीलमपुर में जहां गोली तक चल गई और पीड़ित अस्पताल में भर्ती हो गए। लेकिन दिल्ली पुलिस झड़प को मामूली बता रही है।
बहरहाल, सीलमपुर एसएचओ पूरे मामले की सही प्रकार से जांच करें और अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाए। जिससे समाज का विश्वास दिल्ली पुलिस पर बहाल हो सके।
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