पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने बताया, ‘कैबिनेट ने तय किया है कि तहरीके-लब्बैक पाकिस्तान को एक आतंकी गुट मानते हुए इसे कुचला जाए’
तहरीके-लब्बैक पाकिस्तान ने पिछले कई दिनों से पाकिस्तान में भयंकर अफरा-तफरी मचाई हुई है। हालात इस हद तक खराब हैं कि देश के कई हिस्सों में जबरदस्त हिंसा हुई है, पुलिस से जगह-जगह टकराव हुआ है और व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं। इस कट्टरपंथी गुट के सरकार विरोधी तेवरों को देखते हुए पाकिस्तान की हुकूमत में अचानक खलबली मची है। अब तक इस मुद्दे को हल्के में लेती रही इमरान सरकार की मानो 27 अक्तूबर को नींद खुली और चूलें हिलने के बाद इस गुट की मुश्कें कसने का संकल्प लिया है। इमरान खान की सरकार ने फैसला लिया है कि अब तहरीके-लब्बैक पाकिस्तान पर 'आतंकी गुट' के नाते कड़ी कार्रवाई होगी।
उल्लेखनीय है कि तहरीके-लब्बैक पाकिस्तान की मांग है कि इस्लामाबाद से फ्रांस के राजदूत को निकाला जाए। इस पर सरकार का स्पष्ट रुख सामने आया है कि वह ऐसा कोई कदम नहीं उठाने वाली। लेकिन सच यह भी है कि इस गुट के हिंसक तेवरों से इमरान खान सरकार के ऊपर लगातार दबाव बना हुआ है। अब तय किया गया है कि इस प्रतिबंधित गुट को किसी भी तरह कुचल दिया जाए। इस 'आतंकी गुट' पर कार्रवाई के लिए फौज, रेंजर्स तथा पुलिस की विशेष तैनाती की गई है। यह इंतजाम तहरीके-लब्बैक पाकिस्तान की इस्लामाबाद पर 'धावा' बोलने के संकल्प को देखते हुए किया गया है। 27 अक्तूबर को इमरान की अध्यक्षता में एक बैठक हुई जिसमें 60 दिन तक रेंजर्स मांगे गए हैं ताकि पंजाब सूबे में कानून-व्यवस्था बनाए रखी जा सके।
तहरीके-लब्बैक पाकिस्तान की मांग है कि इस्लामाबाद से फ्रांस के राजदूत को निकाला जाए। इस पर सरकार का स्पष्ट रुख सामने आया है कि वह ऐसा कोई कदम नहीं उठाने वाली। लेकिन सच यह भी है कि इस गुट के हिंसक तेवरों से इमरान खान सरकार के ऊपर लगातार दबाव बना हुआ है। अब तय किया गया है कि इस प्रतिबंधित गुट को किसी भी तरह कुचल दिया जाए। इस 'आतंकी गुट' पर कार्रवाई के लिए फौज, रेंजर्स तथा पुलिस की विशेष तैनाती की गई है।
सरकार ने साफ कर दिया है कि वह पाकिस्तान में फ्रांस का दूतावास बंद करने की तहरीके-लब्बैक पाकिस्तान की मांग पूरी नहीं कर सकती। यह भी बताया गया है कि इस वक्त इस्लामाबाद में कोई फ्रांसीसी राजदूत मौजूद ही नहीं है। पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने बताया, ‘कैबिनेट ने तय किया है कि तहरीके-लब्बैक पाकिस्तान को एक आतंकी गुट मानते हुए इसे कुचला जाए।’ प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई उक्त बैठक में सेना के कमांडरों तथा खुफिया एजेंसियों और संबंधित अधिकारियों ने भाग लिया। यहां बता दें कि 2015 में गठित तहरीके-लब्बैक पाकिस्तान ने आज तक सिर्फ सड़कें जाम की हैं। लेकिन पाकिस्तान के अनुसार, हर चीज को बर्दाश्त करने की एक हद होती है। लोगों को हथियार उठाने का अधिकार नहीं है।
पाकिस्तान में पिछले दिनों तहरीके-लब्बैक पाकिस्तान के समर्थकों तथा पुलिस के बीच हुई हिंसक झड़पों में चार पुलिस वालों की मौत हो चुकी है, जबकि 263 घायल हुए हैं। ये झड़पें तब हुईं, जब इस गुट के समर्थक इस्लामाबाद में घुसने का प्रयास कर रहे थे। उधर तहरीके-लब्बैक पाकिस्तान का कहना है कि पुलिस ने 'शांतिपूर्ण रैली' पर ताकत इस्तेमाल की। जबकि पुलिस का आरोप है कि तहरीके-लब्बैक पाकिस्तान सोशल मीडिया पर फर्जी खबरें पोस्ट करके भीड़ इकट्ठा कर रहा है।
A Delhi based journalist with over 25 years of experience, have traveled length & breadth of the country and been on foreign assignments too. Areas of interest include Foreign Relations, Defense, Socio-Economic issues, Diaspora, Indian Social scenarios, besides reading and watching documentaries on travel, history, geopolitics, wildlife etc.
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