अफगानिस्तान में बंदूक के दम पर तालिबान के सत्ता कब्जाने के बाद से वहां की आम जनता भूखों मर रही है। तालिबान नेता लोगों से पुराने हिसाब चुकता करने, उन्हेें गोलियों से उड़ाने, क्रेन से फंदा में टांगने और दुनिया को एक 'सरकार' जैसा जमावड़ा दिखाने में व्यस्त हैं। उन्हें जनता की परवाह ने पहले के राज में थी, न अब के राज में। आम लोग इस कदर बेबस हो चले हैं कि हेरात से कई परिवारों द्वारा अपना कर्ज चुकाने के लिए अपने छोटे बच्चों तक को बेचने की खबर हम पहले दे ही चुके हैं।
तालिबान के कब्जे के बाद से ही इस युद्धग्रस्त देश के हालात खराब होते जा रहे हैं। अर्थव्यवस्था चल नहीं रही है क्योंकि उसको चलाने के लिए विदेशी पैसा आना बंद हो चुका है। बीबीसी की हाल में एक रिपोर्ट आई है जिसके अनुसार, हेरात में ही एक गांव में एक मां ने अपनी नवजात बेटी को 500 डॉलर में बेच दिया। उसने इसलिए उसे बेचा जिससे कि उसके बाकी बच्चों के पेट भर सकें। उस नवजात बच्ची को खरीदने वाले का कहना है कि वह उस बच्ची को पाल-पोसकर बड़ी करेगा, फिर अपने बेटे से उसकी शादी रचाएगा। लेकिन कोई तय नहीं है कि वह ऐसा ही करेगा। नवजात बच्ची को बेचने वाली उस मां का कहना है, ‘मेरे और बच्चे भूख से बेहाल हैं, उनका पेट भरने के लिए मुझे अपनी इस बेटी को बेचने के लिए मजबूर होना ही पड़ा।’
उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान की 40 प्रतिशत जीडीपी विदेशी पैसे पर टिकी है। यह आंकड़ा पिछली गनी सरकार के वक्त था जब विदेशों से पैसा आया करता था। अपने निहित स्वार्थ में डूबे चीन को छोड़कर कोई और देश तालिबान के हाथ में अब पैसा देने को तैयार नहीं है। बाजार में राशन की किल्लत है, तो लोगों के पास रोजगार की। सबकी जेबें खाली हैं। हालात इतने खराब हैं कि बहुत सी जगह तो लोगों ने अपने घर की चीजें बेचनी शुरू कर दी हैं। खुद राजधानी काबुल का एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें एक आदमी सड़क किनारे अपने घर की तमाम चीजें रखकर आने-जाने वालों को बेच रहा है। उसमें कपड़े हैं, कपड़े धोने की मशीन है, बिस्तर हैं, बर्तन-भांडे हैं।
बाकी दुनिया के लोग यकीन नहीं कर पा रहे हैं कि जिस देश में घरों से अभी कुछ दिन पहले तक हंसने-खेलने की आवाजें सुनाई देती थीं, आज वहां मातम पसरा है!
A Delhi based journalist with over 25 years of experience, have traveled length & breadth of the country and been on foreign assignments too. Areas of interest include Foreign Relations, Defense, Socio-Economic issues, Diaspora, Indian Social scenarios, besides reading and watching documentaries on travel, history, geopolitics, wildlife etc.
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