संस्कार भारती के अखिल भारतीय संगठन महामंत्री अमीरचंद जी का गत 16 अक्तूबर को तवांग (अरुणाचल प्रदेश) में निधन हो गया। वे किसी कार्यक्रम के लिए 15 अक्तूबर को मणिपुर की राजधानी इंफाल पहुंचे थे। वहां से कुछ देर के लिए नागालैंड भी गए। इसके बाद 16 अक्तूबर को तवांग (अरुणाचल प्रदेश) जाने के दौरान जसवंतगढ़, जो समुद्र तल से लगभग 14,000 फुट की ऊंचाई पर है, में उनका आक्सीजन स्तर अचानक घट गया। सांस लेने में दिक्कत महसूस हुई तो कुछ ही देर में उन्हें जंग नामक स्थान पर एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां स्थिति नहीं संभली तो चिकित्सकों ने खिमू के बड़े अस्पताल भेज दिया। वहां दो घंटे तक चिकित्सकों ने बहुत प्रयास किया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।
दूसरे दिन यानी 17 अक्तूबर को उनके पार्थिव शरीर को हवाई मार्ग से वाराणसी लाकर बलिया स्थित उनके पैतृक गांव हनुमानगंज ले जाया गया। 18 अक्तूबर को हनुमानगंज के शिवराम घाट पर उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। मुखाग्नि उनके बड़े भाई ताराचंद प्रसाद के पुत्र रीतेश ने दी। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री दत्तात्रय होसबाले, कलाऋषि पद्मश्री बाबा योगेंद्र, विख्यात लोकगायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी, केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति मंत्रालय से जुड़े अनेक पदाधिकारी, कला जगत से जुड़े कई गणमान्य व्यक्ति और बड़ी संख्या में संस्कार भारती के कार्यकर्ता उपस्थित थे।
संस्कार भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री अभिजीत गोखले का कहना है, ‘‘अमीरचंद जी ने कलाकारों से व्यक्तिगत स्नेह और वैचारिक संवाद की अपनी वैशिष्ट्यपूर्ण कार्यशैली के माध्यम से कला जगत में भारतीय दृष्टि स्थापित करने के लक्ष्य को साकार करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘देश की कला, संस्कृति, लोकविधाओं, लोककलाओं और कलाकारों के अभिभावक के रूप में लोकप्रिय अमीरचंद जी ने पूर्वोत्तर भारत की लोककलाओं को देश और विदेशों में पहुंचाने का कार्य किया।’’ अमीरचंद जी का 1981 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संपर्क हुआ और इसके बाद वे संघ के ही होकर रह गए। 1985 में प्रथम वर्ष का प्रशिक्षण लेने के बाद वे प्रखंड विस्तारक के रूप में बलिया में संघ कार्य करने लगे। फिर इसी वर्ष उन्हें तहसील प्रचारक का दायित्व देकर आजमगढ़ भेजा गया।
1987 में उन्हें संस्कार भारती, पूर्वी उत्तर प्रदेश के संगठन सचिव का दायित्व दिया गया। इसके बाद से वे अब तक संस्कार भारती में ही रहे। संस्कार भारती में उन्होंने संगठन मंत्री के रूप में बिहार, पश्चिम बंगाल, दिल्ली सहित अनेक राज्यों मेंं काम किया। 1997 से 2014 तक वे संस्कार भारती के अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री रहे। 2018 में उन्हें अखिल भारतीय संगठन महामंत्री का दायित्व दिया गया था। पाञ्चजन्य परिवार की ओर से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि।
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