बांग्लादेश में मजहबी उन्मादियों की हिंसा की शिकार एक हिन्दू महिला
बांग्लादेश में हिंदुओं पर कट्टर मुस्लिमों के हमले डेढ़ हफ्ते तक लगातार जारी रहे। इस दौरान हिन्दुओं के कई गांवों, प्रतिष्ठान, मकान और दुकानों को मजहबी उन्मादियों ने आग के हवाले कर दिया। हिन्दू बड़ी तादाद में हताहत हुए। कहीं-कहीं प्रशासन की मौजूदगी तो दिखी, लेकिन उसकी उपस्थिति से मजहबी दंगाइयों के हिंसक तेवर कम होते नहीं दिखे। एक के बाद एक गांव जलता गया, दुकानें जलाई जाती रहीं, लोगों के साथ मार-पीट की जाती रही।
बांग्लादेश में एक लंबे अरसे के बाद अल्पसंख्यकों पर इस तरह लगातार हुए हिंसक हमलों ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। विश्व भर के हिन्दुओं ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपना आक्रोश व्यक्त किया है। जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किए गए हैं। संयुक्त राष्टÑ संघ, अमेरिका, भारत सहित अनेक देशों ने इन हिंसक मजहबी उपद्रवों के विरुद्ध अपना विरोध दर्ज कराया है।
शरारत और शुरुआत
फेसबुक पर कुरान का कथित अपमान करने वाली एक पोस्ट की आड़ में बांग्लादेश में हिंदुओं पर ये हमले नवरात्र में दुर्गा पूजा के दौरान 13 अक्तूबर को शुरू हुए थे। पहले अलग-अलग जगहों पर दुर्गा पंडालों को निशाना बनाया गया और हिंदुओं पर हमला किया गया था। इसमें दस हिंदुओं की मौत हो गई, जबकि 60 से ज्यादा घायल हुए। इसके बाद नोआखली के इस्कॉन मंदिर में तोड़फोड़ की गई। 17 अक्तूबर को उन्मादी मुस्लिमों के हिंसक हमलों में हिंदुओं के 20 घरों को आग के हवाले कर दिया गया, 66 घरों को तोड़ डाला गया। एक मीडिया रपट के अनुसार, 17 अक्तूबर को राजधानी ढाका से 255 किलोमीटर दूर, रंगपुर जिले में पीरगंज के एक गांव में सौ से ज्यादा मजहबी उन्मादियों ने रात को आगजनी की। स्थानीय पुलिस अधिकारी के अनुसार, इस घटना के बाद करीब 52 संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है, जबकि अन्य संदिग्धों की गिरफ्तारी के लिए (इन पंक्तियों के लिखे जाने तक) ‘सघन अभियान’ चलाया जा रहा है। देश के अनेक हिस्सों से हिन्दुओं को निशाना बनाए जाने, मंदिरों पर हमले करने, गांव जलने के समाचार मिले। इन घटनाओं के पीछे, स्थानीय सूत्रों के अनुसार, बेगम खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी और जमाते-इस्लामी के मजहबी उन्मादी तत्वों का हाथ है। पुलिस-प्रशासन से बेखौफ ये मजहबी उन्मादी तत्व हिन्दू विरोधी हिंसक घटनाओं को अंजाम देने के साथ ही, हिमाकत दिखाते हुए ढाका की मस्जिद के सामने बड़ी तादाद में प्रदर्शन करके उलटे हिन्दुओं को ही दोषी ठहराने लगे और शेख हसीना सरकार से हिन्दुओं को ही सजा देने की मांग करने लगे। मजहबी उन्मादियों ने 17 अक्तूबर को बांग्लादेश की सबसे बड़ी मस्जिद के बाहर हजारों की तादाद में इकट्ठे होकर ‘कुरान का अपमान करने वाले को सजा-ए-मौत’ देने की मांग की।
दुर्गा पूजा पंडालों, मंदिरों, इस्कॉन संस्था आदि के विरुद्ध अपनी सांप्रदायिक नफरत का हिंसक प्रदर्शन करने के बाद कट्टर मुसलमानों के झुंड देश के विभिन्न हिस्सों में हिन्दुओं के घरों, दुकानों को निशाना बनाने लगे। रंगपुर से मिले समाचार विचलित करने वाले हैं, जहां कट्टरपंथी मुस्लिमों के जत्थों ने अनेक हिन्दू घर जला दिए, भयंकर तोड़फोड़ और आगजनी की। बांग्लादेश हिंदू एकता परिषद ने इस मामले पर दुख जताते हुए ट्वीट में लिखा, ‘इस वक्त रंगपुर के पीरगंज में हिंदुओं पर हमले जारी हैं। पूरे देश में हिंदुओं पर आक्रमण हो रहे हैं। ऐसा ही चलता रहा तो बांग्लादेश में हिंदुओं का जिंदा रहना मुश्किल हो जाएगा।’ परिषद द्वारा साझा किए एक वीडियो में इस्लामवादियों की भीड़ को एक मंदिर को आग के हवाले करते देखा जा सकता है। दमकलकर्मी उसे बुझाने की कोशिश करते दिखे। आगजनी में मंदिर के भीतर रखी मूर्तियां भी जल गईं। रंगपुर में हालात बेहद नाजुक हो गए। हिंदुओं के घर तथा मंदिर जला दिए गए। रंगपुर जिले के पीरगंज उप जिला के हिंदू गांव को मुस्लिमों की भीड़ ने आग के हवाले कर दिया।
इस्लामवादियों की उन्मादी भीड़ ने पीरगंज उपजिला के तीन गांवों मझीपारा, बोटोला तथा हातीबंधा में जबरदस्त आगजनी और तोड़फोड़ की। आग इतनी भयंकर थी कि अगले दिन भोर में जाकर उस पर काबू पाया जा सका।
बांग्लादेश के गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल ने इन घटनाओं की विस्तृत और निष्पक्ष जांच का वादा किया। उन्होंने कहा कि वे सबूत के इंतजार में हैं। सबूत मिलने के बाद, उन्हें सार्वजनिक किया जाएगा। कोमिला की घटना को बहुत गंभीरता से लिया गया है। उम्मीद है कि सरकार जल्दी ही तत्यों को सामने लाएगी। मंत्री ने निष्पक्ष जांच का आश्वासन तो दिया, लेकिन देश के अल्पसंख्यक फिलहाल संतुष्ट नहीं दिख रहे हैं। जोयकाली, जगन्नाथ बाड़ी, कालीबाड़ी मंदिर तथा गाजीगंज आश्रम सहित अनेक हिंदू मंदिरों पर हमले किए गए। बताते हैं, उसी इस्लामवादी भीड़ ने जोयकाली मंदिर के पास बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद के अध्यक्ष शुकदेब नाथ तपन पर भीषण हमला किया था।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमलावरों में जमाते-इस्लामी की छात्र इकाई, इस्लामिक छात्र शिबिर के तत्व शामिल थे।
बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद ने इन घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए देश की शेख हसीना सरकार से अपराधी तत्वों को पकड़कर शीघ्र कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है। परिषद का कहना है कि ऐसा न होने पर वह देशव्यापी हड़ताल करेगी।
चोरी और सीनाजोरी का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए बांग्लादेश के इस्लामवादी कट्टर मजहबियों ने 'खुद को पीड़ित' बताया और 'इस्लाम के दुश्मनों' को सजा देने की मांग करते हुए 17 अक्तूबर को ढाका में प्रदर्शन किया। ये वही उन्मादी थे जिन्होंने कथित तौर पर हिन्दुओं के घरों, दुकानों और मंदिरों पर हमले करने वाले हम-मजहबियों को उकसाया था। बताते हैं, विरोध प्रदर्शन में दस हजार से ज्यादा की भीड़ थी। ये कट्टर मजहबी तत्व ‘इस्लाम के दुश्मनों’ को मौत की सजा देने की मांग कर रहे थे।
खबर है कि ऐसे प्रदर्शन कई स्थानों पर किए गए और अनेक जगह उनकी पुलिस के साथ झड़पें भी हुर्इं। अपुष्ट सूत्रों के अनुसार, ढाका में करीब 10 हजार कट्टर मुस्लिमों ने वहां की सबसे बड़ी बैतुल मुकर्रम मस्जिद के सामने प्रदर्शन किया। एक दिन पहले इसी जगह उनकी पुलिस से हिंसक झड़प हुई थी। प्रदर्शनकारी 'इस्लाम के दुश्मनों' को बाहर निकालने और दोषियों को मौत की सजा देने की मांग कर रहे थे। बांग्लादेशी इस्लामिक मूवमेंट के प्रमुख मोसादेक बिलाह अल मदनी का कहना है कि वे सरकार से उन लोगों की गिरफ्तारी की मांग करते हैं जिन्होंने ‘कोमिला में एक प्रतिमा के पैर के पास कुरान रखी थी।’ बिलाह का कहना है कि इस तरह की तस्वीरों को साझा करने वालों को भी मौत की सजा दी जानी चाहिए।
उधर बांग्लादेश में सक्रिय हिन्दू एकता परिषद ने भी एक बयान जारी करके सरकार से मजहबी कट्टरवादी तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की और ऐसा न होने पर, भूख हड़ताल पर जाने की घोषणा की है। कोमिला, नोआखाली, रंगपुर आदि स्थानों पर हिन्दुओं के विरुद्ध जबरदस्त जिहाद जैसा छेड़ दिया गया। जगह-जगह आग की लपटें उठती देखी गर्इं। उनके घर धू-धू कर जलते रहे, घर के पुरुष महिलाओं और बच्चों के साथ सड़कों पर आ गए। हालांकि सरकार की तरफ से कड़ी कार्रवाई करने का भरोसा तो दिया गया, लेकिन व्यावहारिक तौर पर ऐसा कोई खास प्रयास होता नहीं दिखा। बांग्लादेश में हिन्दुओं के विरुद्ध एकाएक उठ खड़े हुए इस हिंसक उपद्रव के पीछे जानकार किसी बड़ी साजिश को देख रहे हैं। जिसके तार संभवत: भारत के एक अन्य इस्लामी पड़ोसी से जुड़े हैं।
तसलीमा ने किया विरोध
इन सब घटनाओं पर बांग्लादेश की सुप्रसिद्ध लेखिका तसलीमा नसरीन ने सोशल मीडिया के जरिए अपना आक्रोश व्यक्त करते हुए शेख हसीना सरकार को कठघरे में खड़ा किया। तसलीमा ने पिछले दिनों एक के बाद एक, कई ट्वीट कर अल्पसंख्यकों विशेषकर हिन्दुओं पर होने वाले हमलों की कड़े शब्दों में निंदा की और शेख हसीना सरकार को हिन्दुओं के दर्द के प्रति लापरवाह बताया है। अपने एक ट्वीट में तसलीमा ने लिखा है, ‘‘आज हसीना अपने भाई शेख रस्सल की जयंती मना रही हैं जबकि हजारों हिंदू बेघर हो गए हैं, क्योंकि उनके घर तोड़ दिये गये या जला दिये गये हैं।’’ एक अन्य ट्वीट में वे लिखती हैं, ‘‘जिहादियों ने दो हिन्दू गांव जला दिये जबकि उधर हसीना चैन की बंसी बजा रही हैं।’’ तसलीमा बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को लेकर सरकार पर सीधे हमलावर हैं। एक और ट्वीट में अपने सुप्रसिद्ध उपन्यास ‘लज्जा’ का जिक्र करते हुए हिन्दुओं के जले घरों, टूटी प्रतिमाओं के चित्रों के साथ वे लिखती हैं, ‘‘लज्जा आज भी प्रासंगिक है।’’
अमेरिका ने की हिन्दू उत्पीड़न की निंदा
बांग्लादेश में मजहबी उन्मादियों के इन हिन्दू विरोधी हिंसक हमलों पर आक्रोश व्यक्त करते हुए अमेरिका में बसे बांग्लादेशी हिन्दू प्रवासियों ने 17 अक्तूबर को वाशिंग्टन में बांग्लादेश दूतावास के सामने विरोध प्रदर्शन किया। बांग्लादेशी हिंदुओं ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समूहों, विशेषकर हिन्दुओं को निशाना बनाकर किए जा रहे हिंसक उपद्र्रव के प्रति तीव्र विरोध दर्ज कराया है। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं से उनके अस्तित्व को खतरा पैदा हो रहा है। उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश में आज सिर्फ 9 प्रतिशत हिन्दू शेष रह गए हैं।
बांग्लादेश के प्रवासी हिंदुओं के प्रतिनिधि प्रणेश हलदर का कहना है कि बांग्लादेश के मुसीबत में फंसे हिंदुओं को अब कोई क्षति न पहुंचे, यह पक्का करने के लिए अमेरिका के विदेश विभाग को एक पत्र सौंपा गया है। उन्होंने अमेरिका स्थित निगरानी समूहों और मीडिया घरानों से बांग्लादेश में जारी हिन्दू विरोधी हिंसा को पूरी गंभीरता से सामने लाने का अनुरोध किया है।
संभवत: इस पत्र पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अमेरिका के विदेश विभाग ने बांग्लादेश में वहां अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर हुए हिंसक हमलों की निंदा की है। विदेश विभाग के प्रवक्ता का कहना है कि पांथिक स्वतंत्रता मानवाधिकार के अंतर्गत आती है। दुनिया भर में हर व्यक्ति, चाहे वह किसी भी मत में विश्वास रखता हो, उसे अपने विशेष त्योहारों को मनाने का हक है और उसके लिए उसका सुरक्षित महसूस करना जरूरी है।
इकबाल हुसैन
आखिरकार उस व्यक्ति की पहचान कर ली गई है जिसने साजिश के तहत बांग्लादेश में कोमिला के दुर्गा पूजा मंडप में कुरान रख दी थी। इतना ही नहीं, उसकी फोटो खींची और फेसबुक पर साझा की, जिससे उन्मादी मुस्लिम तत्व भड़के और हिन्दुओं के विरुद्ध पूरे बांग्लादेश में सुनियोजित हिंसा फैलाई गई।
बांग्लादेश पुलिस के अनुसार, पूजा मंडप में कुरान रखने वाले व्यक्ति की पहचान सीसीटीवी फुटेज से हुई है। पुलिस ने हिन्दू विरोधी हिंसा भड़काने के लिए इकबाल हुसैन को जिम्मेदार ठहराया है। ढाका ट्रिब्यून में छपे समाचार के अनुसार, कोमिला के पुलिस अधीक्षक फारुख अहमद ने बताया कि नूर मोहम्मद का बेटा इकबाल हुसैन मुरादपुर-लसकरपुर का रहने वाला है।
अहमद ने आगे बताया है कि 35 साल के इकबाल हुसैन ने ही गत 13 अक्तूबर को कोमिला में एक दुर्गा पूजा पंडाल में कुरान रखी थी, जिससे हिंसा भड़की। ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट में आगे है कि पुलिस ने दुर्गा पूजा पंडालों के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों को खंगालने के बाद वीडियो फुटेज पर नजर डालकर इकबाल हुसैन की पहचान की है। हालांकि इन पंक्तियों के लिखे जाने तक वह पकड़ा नहीं गया है। फुटेज में साफ दिख रहा है कि हुसैन ने एक स्थानीय मस्जिद से कुरान ली, फिर वह दुर्गा पूजा पंडाल की तरफ गया। बाद में उसने कुरान की प्रति हनुमान की प्रतिमा के पास रख दी।
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