अमरुल्लाह सालेह ने 49 दिन बाद एक बार किसी अनजान जगह से सोशल मीडिया पर पाकिस्तान को खूब खरी—खोटी सुनाई है। उल्लेखनीय है कि पंजशीर घाटी पर तालिबान के कब्जे की पाकिस्तान के दुष्प्रचार तंत्र ने खूब खबरें उड़ाई थीं। उसी दौरान अफगानिस्तान के अपदस्थ उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने वीडियो जारी किया था और साफ बताया था कि वे कहीं भागे नहीं हैं। उस वीडियो के 49 दिन के अंतराल के बाद अब एक बार फिर से वे पूरी दमदारी से ट्विटर पर लौटे हैं। उनकी ताजा पोस्ट ने तालिबान के कथित प्रायोजक पाकिस्तान की नींद उड़ा दी है।
पूर्व उप राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने इस नई पोस्ट में साफ कहा है कि उन्हें तालिबान की गुलामी स्वीकार नहीं है। ये वही सालेह हैं जो काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान छोड़ने के बजाय पंजशीर घाटी चले गए थे और वहां से तालिबान के लिए एक चुनौती बने हुए थे। तब कुछ दिनों तक वे सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट डालकर अमनपसंद अफगान लोगों में एक उम्मीद जगाते रहे थे, लेकिन उसके बाद अचानक वे सोशल मीडिया पर दिखना बंद हो गए थे। लेकिन अब उसके 49 दिन बाद सालेह ट्विटर पर फिर से सक्रिय हुए हैं।
अमरुल्लाह सालेह ने अफगानिस्तान पर तालिबानी कब्जे के करीब ढाई महीने का पूरा डाटा साझा करते हुए पाकिस्तान पर जबरदस्त प्रहार किया है। सालेह का आरोप है कि असल में ये पाकिस्तान ही है जिसने अफगानिस्तान पर कब्जा किया है। साफ तौर पर वे तालिबान और पाकिस्तान की पहले से चली आ रही दोस्ती की तरफ इशारा कर रहे हैं।

सालेह अपनी ताजा पोस्ट में लिखते हैं, 'अफगानिस्तान पर पाकिस्तान के कब्जे के दौरान बीते ढाई महीने में क्या-क्या बदल चुका है-जीडीपी लगभग 30 फीसदी गिरी है, गरीबी का स्तर 90 फीसदी हो गया है, शरिया के नाम पर महिलाओं को गुलाम बना रहे हैं, लोक सेवाएं ठप्प हो गई हैं, प्रेस/मीडिया/अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर पाबंदी लग चुकी है, शहरी मध्यम वर्ग जा चुका है, बैंक बंद हो गए हैं।' उनका कहना है कि दोहा अफगानिस्तान की कूटनीति का केंद्र बन गया है, अफगानिस्तान को लेकर विदेश और रक्षा से जुड़े फैसले पाकिस्तान सेना के मुख्यालय में लिए जाते हैं, हक्कानी ने आतंकियों को ट्रेनिंग देकर दफ्तरों में बैठाया हुआ है।'
सालेह ने एक बार फिर उम्मीद की किरण दिखाते हुए कहा है, 'अफगानिस्तान बहुत बड़ा है, पाकिस्तान उसे नहीं निगल सकता। यह सिर्फ वक्त की बात है।…प्रतिरोध ही एकमात्र रास्ता है। समय के साथ अफगानिस्तान एक बार फिर उठ खड़ा होगा।'
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