राज्य में दो दिन तक हुई भारी बारिश से जान-माल का काफी नुकसान हुआ है। इस आपदा में अब तक 46 लोगों की मौत हो चुकी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मृतक आश्रितों को चार-चार लाख रुपए का मुआवजा देने की घोषणा की है। साथ ही घरों के पुनर्निर्माण के लिए भी मदद दिए जाने की बात कही है। 18 और 19 अक्तूबर को उत्तराखंड में हुई बारिश ने कुमाऊं मंडल में सबसे ज्यादा तबाही मचाई। हालात बेकाबू होने पर सेना के जवानों और वायुसेना की मदद लेकर करीब सात हजार लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया।
नैनीताल शहर पानी में डूबा
नैनीताल शहर में 24 घंटे में 440 मिमी बारिश हुई। जिले के अन्य भागों के अलावा अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चंपावत, बागेश्वर और उधमसिंह नगर में 200 मिमी से ज्यादा बारिश दर्ज की गई। कुमाऊं मंडल में बारिश भूस्खलन से 98 सड़कें बंद हो गईं, 40 लोगों की मौत हुई और 10 पशु भी मलबे में दब गए। प्रशासन ने 217 मकानों के ध्वस्त होने की पुष्टि की है। जबकि मंडल के 6 जिलों से 6825 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। चंपावत जिले में दो लोग लापता हैं।
सेना की ली जा रही है मदद
गढ़वाल मंडल में चमोली में 3 लोगो की मौत की खबर है, जबकि तीन पोर्टर उत्तरकाशी चीन सीमा पर लापता बताए जा रहे हैं। वायुसेना के हेलीकॉप्टर से उनकी तलाश की जा रही है। राज्य में अभी भी कुल 11 लोग लापता बताए गए हैं, जिनकी तलाश में एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के साथ-साथ सेना के लोग भी जुटे हुए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हेलीकॉप्टर से आपदा प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया। वह आपदा प्रभावित परिवारों से सीधे मिले और उनके लिए रहने और भोजन की व्यवस्था तय की। मृतक आश्रित को चार-चार लाख रुपए और जिनके घर नष्ट हो गए उन्हें एक-एक लाख रुपए अतिरिक्त सहायता दिए जाने की घोषणा भी की। जिनके घरों में मलबा आया है, उन्हें भी पांच-पांच हजार रुपए की सहायता सरकार देगी ताकि वो अपने घर व्यवस्थित कर सकें।
मुख्यमंत्री ने रिपोर्ट मांगी
मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों से एक हफ्ते में आपदा से हुए नुकसान की रिपोर्ट मंगवाई है। प्रधानमंत्री मोदी ने आपदा पर मुख्यमंत्री और रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट से जानकारी ली है। गृह मंत्री अमित शाह सहित अन्य केंद्रीय मंत्रियों ने भी केंद्र से मदद का आश्वासन दिया है। उत्तराखंड के तराई क्षेत्र में खेतों में कटने को तैयार खड़ी धान की फसल जलमग्न हो गई है। करीब एक लाख हेक्टेयर में धान, सरसों और उड़द की फसल बर्बाद होने का अंदेशा है।बारिश थमते ही शासन ने यमुनोत्री, गंगोत्री और केदारनाथ यात्रा शुरू करवा दी, ताकि फंसे यात्रियों को राहत मिल सके। यात्रा मार्ग अवरुद्ध होने की वजह से बदरीनाथ दर्शन अभी रोका गया है।
हिमपात भी हुआ
दो दिन बारिश के बाद हिमालय की ऊपरी चोटियों में हिमपात भी हो गया है। नदियों का जलस्तर अभी भी बढ़ा हुआ है, लेकिन खतरे के निशान से नीचे है। गंगा और उसकी सहायक नदियां, यमुना ,टोंस, कालसी, शारदा, रामगंगा, गौला, कोसी, सरयू ,कैलाश आदि सभी नदियों का जलस्तर बढ़ा हुआ है। इसकी वजह से यूपी के कई जिलों में बाढ़ की आशंका है।
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