चोरी और सीनाजोरी का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए बांग्लादेश के इस्लामवादी कट्टर मजहबियों ने 'खुद को पीड़ित' बताते हुए 'इस्लाम के दुश्मनों' को सजा देने की मांग की है। 17 अक्तूबर को ढाका में प्रदर्शन किया। ये वही उन्मादी थे जिन्होंने कथित तौर पर हिन्दुओं के घरों, दुकानों और मंदिरों पर हमले करने वाले हम-मजहबियों को उकसाया है। विरोध प्रदर्शन में बताते हैं, दस हजार से ज्यादा की भीड़ थी। ये मजहबी उन्मादी अब 'इस्लाम के दुश्मनों' को मौत की सजा देने की मांग की।
खबर है कि ऐसे प्रदर्शन कई स्थानों पर किए गए हैं और अनेक जगह उनकी पुलिस के साथ झड़पें भी हुईं। ढाका में अपुष्ट सूत्रों के अनुसार, करीब 10 हजार कट्टर मुस्लिमों ने वहां की सबसे बड़ी बैतुल मुकर्रम मस्जिद के सामने प्रदर्शन किया। एक दिन पहले इसी जगह उनकी पुलिस से हिंसक झड़प हुई थी। प्रदर्शनकारी 'इस्लाम के दुश्मनों' को बाहर निकालने और दोषियों को मौत की सजा देने की मांग कर रहे थे। उल्लेखनीय है कि हिंदुओं के दुर्गा पूजा के त्योहार के मौके पर मुस्लिमों ने जानबूझकर बांग्लादेश में सांप्रदायिक तनाव पैदा किया था जो अभी थमा नहीं है। हालांकि देश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके गृह मंत्री ने हिन्दुओं को आश्वस्त किया है कि दोषियों पर शीघ्र कार्रवाई होगी, लेकिन कथित तौर पर जमाते इस्लामी के हिंसक जत्थे अब भी हिन्दू गांवों में उपद्रव मचा रहे हैं। इस देश की आबादी है करीब 16 करोड़, जिसमें हिन्दू 9 प्रतिशत ही हैं।
बांग्लादेशी इस्लामिक मूवमेंट के प्रमुख मोसादेक बिलाह अल मदनी का कहना है कि वे सरकार से उन लोगों की गिरफ्तारी करने की मांग करते हैं जिन्होंने 'कोमिला में एक प्रतिमा के पैर के पास कुरान रखी थी।' बिलाह का कहना है कि इस तरह की तस्वीरों को साझा करने वालों को मौत की सजा दी जानी चाहिए।
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