गुरदासपुर के गांव कल्याणपुर में पुलिस की ओर से जिंदा गायों को मारकर उनके मांस की तस्करी करने वाले 11 दरिंदों को दो दिन की रिमांड पर लिया गया है। गोमांस तस्करों के मास्टर माइंड नियामत मसीह ने खुलासा किया है कि वे जिंदा गायों को मारकर कंकालों में गोमांस छिपाकर ट्रक से उत्तर प्रदेश भेजते थे। हालांकि गायों का 70 से 80 फीसद मांस जिले में ही उत्तर प्रदेश, बिहार व अन्य राज्यों से आकर काम कर रहे मुस्लिम एवं ईसाइयों द्वारा खरीदा जाता था। इन समुदायों की जनसंख्या बढ़ने से इलाके में गोमांस की मांग भी बढ़ी है।
वहीं काउंटर इंटेलिजेंस एजेंसी के इंचार्ज विश्वनाथ ने बताया कि आरोपितों ने पूछताछ के दौरान माना है कि पशुओं को मारकर उनके मांस को अधिकतर जिले में ही बेचा जाता था। वहीं यूपी में भेजे जाने वाले कंकालों में भी छिपाकर भी थोड़े बहुत मांस की तस्करी होती थी। इन लोगों ने पूछताछ के दौरान यह भी माना है कि वे अन्य राज्यों से भी गायों को लाकर मारते थे। वहीं दूध देने में असमर्थ हो चुकी गायों को सस्ते दामों पर खरीद कर ले आते थे। लोगों को यह बताया जाता था कि इन गायों को श्रीनगर में भेजा जाएगा, लेकिन बाद में उन्हें यहीं पर मारकर उनका मांस बेच दिया जाता था। एसएसपी डा. नानक सिंह ने बताया कि आरोपितों से लगातार सख्ती से पूछताछ की जा रही है। इसके चलते और भी कई अहम खुलासे होने की संभावना जताई जा रही है।
50 रुपये किलो में बिकता था मांस
जिले में इस समय दूसरे राज्यों से आकर मुस्लिम समुदाय के लोग बड़ी संख्या में काम कर रहे हैं। जो ऐसे लोगों से गोमांस खरीदकर खाते हैं। एक तरफ जहां मुर्गें व बकरे का मांस काफी महंगा बिकता है, वहीं गायों का मांस केवल 50 रुपये किलो तक बेचा जा रहा था। यही कारण है कि उक्त लोगों को मांस की दूसरे राज्यों में बहुत कम तस्करी करनी पड़ती थी।
पुलिस के अनुसार कार्रवाई के दौरान मौके से हरियाणा नंबर की गाड़ी पकड़ी गई है, जबकि आरोपितों में यूपी के लोग भी शामिल हैं। इससे साबित होता है कि उक्त लोगों के तार अन्य राज्यों में भी जुड़े हो सकते हैं। उनकी छानबीन कर पता लगाया जा रहा है कि आरोपितों के किन किन राज्यों में लिंक है। आरोपितों ने बताया कि पशुओं के कंकालों को यूपी व अन्य राज्यों में भेजा जाता था, जहां पर विभिन्न कंपनियों द्वारा कंकालों से बर्तन तैयार किए जाते हैं। उन्होंने बताया कंकालों को दूसरे राज्यों में भेजने से पहले आग जलाकर पूरी तरह से साफ कर दिया जाता था ताकि कंकालों के ऊपर मांस पूरी तरह से जल जाए और कंकाल पूरी तरह से साफ हो जाए। जिससे बर्तन आसानी से बन सकें।
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