जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से आतंकवादी और उनके आका बौखलाए हुए हैं। यही वजह है कि वे मुख्य धारा से जुड़े एवं आम लोगों को निशाना बना रहे हैं।
अश्वनी मिश्र
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से आतंकवादी और उनके आका बौखलाए हुए हैं। यही वजह है कि वे मुख्य धारा से जुड़े एवं आम लोगों को निशाना बना रहे हैं। आईजीपी कश्मीर विजय कुमार के अनुसार इस साल 28 आम नागरिकों को आतंकियों ने मारा है। खबरों के अनुसार अकेले 10 लोगों की हत्या सबसे सुरक्षित माने जाने वाले श्रीनगर में की गई। अधिकतर वारदातों में पिस्तौल का इस्तेमाल किया गया। घाटी के पुलिस अधिकारियों की मानें तो अधिकतर वारदातों में पिस्तौल का इस्तेमाल बताता है कि हत्यारा कोई पुराना आतंकी नहीं है, बल्कि वारदात को अंजाम देने से कुछ दिन पहले किसी आतंकी संगठन का हिस्सा बना है। ये ओवरग्राउंड आतंकी वर्कर भी हो सकते हैं। दरअसल, हत्या के समय और उसके बाद पिस्तौल को छिपाना आतंकियों के लिए आसान होता है। उसे आसानी से फेंककर भीड़ का हिस्सा बना जा सकता है।
आंकड़ों के मुताबिक इस वर्ष श्रीनगर में आतंकियों ने 8, कुलगाम में 5, अवंतीपोरा 4, बारामुला व अनंतनाग में दो-दो और बडगाम व बांदीपोरा में एक-एक टारगेट किलिंग की गई। अधिकतर हत्याओं को आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन द रजिस्टेंस फ्रंट जम्मू—कश्मीर ने अंजाम दिया। इसके अलावा बीते दिनों त्राल में एक एसपीओ व उसकी पत्नी व बेटी के अलावा, म्युनिसिपल कमेटी के तत्कालीन चेयरमैन राकेश पंडिता की हत्या जैश—ए—मोहम्मद के आतंकियों ने की थी। गत मंगलवार को श्रीनगर में हुई तीन हत्याओं में से एक की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट विलाया हिंद ने ली। अन्य दो हत्याएं टीआरएफ ने कीं।
एक—एक कतरे का लेंगे हिसाब
घाटी में बीते चार दिनों में ताबड़तोड़ आतंकी घटनाओं ने हर किसी को हिलाकर रख दिया है। वह चाहे आम नागरिक हो या फिर प्रशासन। इसका असर भी कल घाटी में दिखाई दिया। शाम होते ही श्रीनगर की दुकानें बंद होने लगीं। चौक—चाराहों पर सन्नाटा पसरने लगा। असुरक्षा की भावना से लोग घरों में दुबकने को मजबूर हुए। इस सबको देख राज्य प्रशासन हरकत में आया।
उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने आतंकी घटनाओं पर एक बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि मैं आतंकी हमले में बलिदान हुए नागरिकों को नमन करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। दुख की इस घड़ी में जम्मू—कश्मीर प्रशासन और पूरे देश की संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं। मेरे मन में बहुत पीड़ा और आक्रोश है। मैं परिवार के सभी सदस्यों को भरोसा देता हूँ, आपके एक-एक आंसुओं का हिसाब लिया जाएगा। 130 करोड़ देशवासी सभी परिवारों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। हमने सुरक्षा एजेंसियों को पूरी स्वतंत्रता दी है। मानवता के दुश्मन आतंकवादियों को जल्द ही इसकी कीमत चुकानी होगी। आतंक के सरपरस्तों को भी मैं कहना चाहता हूँ, जम्मू—कश्मीर में शांति, विकास और समृद्धि की यात्रा को अस्थिर करने के उनके मंसूबे कभी कामयाब नहीं होंगे।
मुझे कोई मेरा बेटा वापस लौटा दो
शिक्षक दीपक चंद का सिर्फ इतना गुनाह था कि वह काफिर थे। स्कूल में आतंकियों ने उनका आईकार्ड देखा और उसके बाद उन्हें मार डाला। उनकी मौत की खबर जब उनके घर पहुंची तो कोहराम मच गया। मां कांता देवी सुधबुध खो बैठीं। पत्नी अनुराधा देवी बदहवास हो गईं। मां कांता देवी सिर्फ एक ही बात कह रही हैं—मेरा बेटा वापस लौटा दो। रुंधे गले से कहती हैं—मेरा बेटा मुझसे छीन लिया। आतंकियों ने कश्मीर को हिंदुओं के लिए जहन्नुम बना दिया है। बता दें कि दीपक चंद जम्मू के पटौली मोड़ के रहने वाले थे। उनकी पत्नी अनुराधा देवी भी अपनी तीन वर्षीय बेटी मृदु मेहरा के साथ श्रीनगर के इंदिरा नगर में किराये के मकान में रहती थीं।
गौरतलब है कि दीपक की नौकरी वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री रोजगार विशेष पैकेज योजना के तहत लगी थी। इसके तहत आतंक के दौर में कश्मीर से विस्थापित हुए परिवारों को कश्मीर में नौकरी देने का प्रावधान है। तब से दीपक वहीं पर कार्यरत थे।
कब-कब कहां हुई वारदात
—27 जनवरी को श्रीनगर के सौरा में नदीफ हनीफ की आतंकी हमले में मौत
— 28 फरवरी को श्रीनगर स्थित कृष्णा ढाबा के मालिक के पुत्र आकाश मेहरा की हत्या
—29 मार्च को सोपोर में दो काउंसलरों की हत्या, एक पुलिसकर्मी बलिदान
—11 अप्रैल को बड़गाम स्थित मागाम में एक पूर्व पुलिसकर्मी निसार की हत्या
—29 मई को अनंतनाग के जबलीपोरा बिजबेहड़ा में दो नागरिकों को मौत के घाट उतारा
—2 जून को त्राल में आतंकियों ने भाजपा नेता राकेश पंडिता की हत्या की
—23 जून को श्रीनगर के हब्बा कदल में आतंंकियों ने उमर को दुकान में मारा
—27 जून को अवंतीपोरा में एसपीओ फैयाज, उनकी पत्नी राजा बेगम और बेटी राफिया जान की हत्या
—23 जुलाई को त्राल के लुरगाम गांव में शिक्षा विभाग में जावेद अहमद मलिक को आतंकियों ने मौत के घाट उतारा
—27 जुलाई को श्रीनगर के नवाकदल इलाके में मेहरान अली का कत्ल
—9 अगस्त को रेडवानी कुलगाम के गुलाम रसूल डार और पत्नी जवाहीरा बेगम को अनंतनाग में मौत के घाट उतारा
—17 अगस्त को कुलगाम जिले के ब्राजलू इलाके में भाजपा कार्यकर्ता जावेद डार की हत्या
—19 अगस्त को कुलगाम में अपनी पार्टी से जुड़े गुलाम हसन लोन की आतंकियों ने की हत्या
—18 सितंबर को बिहार के प्रीतनगर कटिहार निवासी शंकर कुमार चौधरी की कुलगाम के नेहामा इलाके में आतंकियों ने हत्या की
—2 अक्टूबर को श्रीनगर के कर्णनगर में माजिद अहमद गोजरी और एसडी कालौनी बटमालू में मोहम्मद शफी डार की हत्या हुई
—5 अक्टूबर को श्रीनगर में माखन लाल बिंदरू, लाल बाजार में बिहार के वीरेंद्र पासवान और शाहगुंड बांडीपोर में मोहम्मद शफी लोन की हत्या
—7 अक्टूबर को श्रीनगर के ईदगाह हायर सेकेंडरी स्कूल में आतंकियों ने प्रिसिंपल सुपिंदर कौर और शिक्षक दीपक चंद की हत्या कर दी
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