देहरादून पुलिस मुख्यालय से एक ड्राफ्ट तैयार कर शासन को भेजा गया है, जिसमें उत्तराखंड धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2018 में संशोधन कर इसे और सख्त करने की सिफारिश की गई है।
दिनेश मानसेरा
देहरादून पुलिस मुख्यालय से एक ड्राफ्ट तैयार कर शासन को भेजा गया है, जिसमें उत्तराखंड धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2018 में संशोधन कर इसे और सख्त करने की सिफारिश की गई है। इसमें कन्वर्जन कराने वालों को दस साल तक सख्त सजा और जुर्माना की सिफारिश है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने उत्तराखंड में कन्वर्जन के मामले बढ़ने पर चिंता प्रकट करते हुए पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार से इस पर रोक सम्बन्धी सुझाव देने को कहा था। मुख्यमंत्री ये मानते हैं कि कन्वर्जन से साम्प्रदायिक तनाव पैदा होने की संभावना रहती है। पुलिस मुख्यालय ने दो हफ़्तों में कन्वर्जन पर रोक लगाने संबंधी एक ड्राफ्ट तैयार कर शासन को भेज दिया है।
ड्राफ्ट में लिखा गया है कि उत्तराखंड धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2018 में कुछ नए बिंदु जोड़े जाने की जरूरत है। वर्तमान अधिनियम में पहले कोर्ट में जाकर सुनवाई के बाद, मुकद्दमा दर्ज किए जाने का नियम है। जिसे बदलकर पहले पुलिस में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने की सिफारिश की गई है। नए संशोधन अधिनियम में संगठन या संस्था द्वारा कन्वर्जन कराए जाने पर उसकी वित्तीय सहायता बन्द करने और उनके खातों में लेनदेन पर रोक लगाने का प्रस्ताव है।इसके अलावा सामूहिक कन्वर्जन कराने वालों को दस साल की सजा और जुर्माना देने का प्रावधान जोड़ा गया है। अभी तक अधिनियम में कैद और जुर्माने की व्यवस्था नहीं थी। व्यक्ति द्वारा कन्वर्जन करने पर तीन से लेकर दस साल की कैद और जुर्माना वसूले जाने की सिफारिश नए ड्राफ्ट नोट में दर्ज की गई है।
जानकारी के अनुसार उत्तराखंड के धर्मान्तरण कानून को उत्तर प्रदेश की तरह सख्त बनाया जाए, इसका भी विस्तृत अध्ययन किया गया है। डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि उत्तराखंड शासन को उत्तराखंड धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2018 में आवश्यक संशोधन करने का ड्राफ्ट पत्र भेज दिया गया है, जिस पर पर अब शासन स्तर पर विचार किया जाएगा। माना जा रहा है कि इस महीने के अंत तक इसे कैबिनेट की मीटिंग में रखा जा सकता है, जिस पर मंजूरी मिलने की संभावना है।
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