पंजाब का मुख्यमंत्री बनने के एक सप्ताह के भीतर चरनजीत सिंह चन्नी ‘सिद्धू’ नाम की ‘मिसगाइडेड मिसाइल’ से तो बच गए हैं, परन्तु अब उन्हें चिन्ता सताने लगी है ‘कैप्टन बम’ की।
राकेश सैन
पंजाब का मुख्यमंत्री बनने के एक सप्ताह के भीतर चरनजीत सिंह चन्नी ‘सिद्धू’ नाम की ‘मिसगाइडेड मिसाइल’ से तो बच गए हैं, परन्तु अब उन्हें चिन्ता सताने लगी है ‘कैप्टन बम’ की। कैप्टन ने घोषणा कर दी है कि वे भविष्य में कहीं भी जाएं परन्तु कांग्रेस में नहीं रहेंगे। कांग्रेस को चिन्ता है कि कैप्टन तो जाएंगे परन्तु किस-किस को साथ लेकर जाएंगे। अगर अधिक विधायक चले गए तो प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है और राष्ट्रपति शासन में होने वाले विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ पार्टी अपनी मनमानी कम ही चला पाती है।
पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के कांग्रेस को छोड़ने के बयान ने पंजाब के कांग्रेसियों में चिन्ता पैदा कर दी है। कई वरिष्ठ नेताओं को चरणजीत सिंह सरकार के लिए भी खतरे का अन्देशा है। इनका मानना है कि कहीं कैप्टन के साथ दो दर्जन विधायक न चले जाएं। यदि ऐसी नौबत आती है तो पंजाब में सरकार के गिरने और राष्ट्रपति शासन लगने का खतरा पैदा हो सकता है।
बताया जाता है कि इस चिन्ता को लेकर कई विधायकों ने वरिष्ठ मंत्रियों के साथ जहां बैठके कीं। इसके साथ ही कैप्टन अमरिंदर सिंह के समर्थक व उनसे जुड़े विधायकों पर भी नजर रखी जा रही है। विधायकों में इस बात की चिन्ता तो है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार के कार्यकाल में कुछ महीने का ही समय बचा है और अगर कैप्टन ऐसा कदम उठाते हैं तो पार्टी एक बार फिर से चुनाव में जाने के लिए तैयार है। काबिलेजिक्र है कि 117 विधायकों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 77 विधायक हैं और बहुमत के लिए 59 विधायकों की आवश्यकता रहती है। अगर कैप्टन अपने समर्थक दो दर्जन विधायकों को पार्टी से तोड़ लेते हैं तो कांग्रेस विधायकों की संख्या 53 रह जाएगी जो बहुमत से 6 विधायक कम पड़ेगी। ऐसी हालत में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने की सम्भावना पैदा हो सकती है।
उधर, पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने अपने ट्विटर पेज पर प्रोफाइल से कांग्रेस का नाम हटा दिया है। इस तरह कांग्रेस से अपना लंबा रिश्ता तोड़ने की ओर एक तरह से उन्होंने कदम बढ़ा दिया है। बता दें कि दिल्ली से लौटने के बाद चण्डीगढ़ अन्तरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर मीडिया से बातचीत करते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने फिर कहा कि वह कांग्रेस को छोड़ रहे हैं लेकिन भाजपा में नहीं जा रहे हैं। एक सवाल के जवाब में कैप्टन ने यह बताने से इन्कार कर दिया कि उनके साथ कितने विधायक जा रहे हैं। उन्होंने इतना अवश्य कहा कि जब कोई सत्तारूढ़ पार्टी बहुमत खो देती है तो फ्लोर टेस्ट करवाना स्पीकर का काम होता है।
उन्होंने कांग्रेस को एक डूबता जहाज बताया और कहा कि पार्टी में वरिष्ठ नेताओं की कोई सुनवाई नहीं है, उनकी पूरी तरह से अवहेलना की जा रही है। कैप्टन ने कहा कि पंजाब के हित में उनके समक्ष जो विकल्प हैं वह अब भी उन पर विचार कर रहे हैं। उनके लिए राज्य की सुरक्षा सर्वोपरि है। उनका कहना था, ‘मैं इस प्रकार का अपमान सहने का आदी नहीं हूं। मेरे सिद्धांत और मान्यताएं उन्हें कांग्रेस में रहने की इजाजत नहीं देती।’
कैप्टन ने वरिष्ठ कांग्रेसजनों को विचारक की संज्ञा देते हुए उन्हें पार्टी के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण बताया और कहा कि युवा पीढ़ी को इस प्रकार आगे बढ़ाया जाना चाहिए कि वे वरिष्ठों द्वारा अनुभव के आधार पर तैयार किए गए कार्यक्रमों को सही तरीके से क्रियान्वित करें। उन्होंने आगे कहा कि दुर्भाग्य है कि सीनियर लोगों की पार्टी में पूरी तरह अवहेलना हो रही है। यह पार्टी के लिए अच्छा नहीं है। उन्होंने दल के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल के घर कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए हमले की निंदा की। उन्होंने कहा उनके साथ ऐसा सिर्फ इसलिए किया गया क्योंकि उन्होंने खुलकर अपने विचार रखे जो पार्टी के नेतृत्व को पसन्द नहीं थे। पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर ने कहा कि पंजाब की जनता राज्य के भविष्य के लिए वोट करेगी। उनका कहना था कि उनका अनुभव बताता है कि चुनाव में चाहे जितनी भी पार्टियां खड़ी हों, राज्य की जनता सदा ही ‘सिंगल पार्टी/फोर्स’ के लिए ही वोट करती है। उन्होंने कहा कि पंजाब में कुप्रशासन की स्थिति में पाकिस्तान को प्रदेश तथा देश में मुसीबतें पैदा करने का मौका मिलेगा। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल से आज सुबह उनकी जो मुलाकात थी वह इन्हीं मुद्दों को लेकर थी।
नवजोत सिद्धू पर अपनी राय को पुन: दोहराते हुए कैप्टन अमरिन्दर ने कहा कि वह सिर्फ मजमा लगा सकते हैं। उसे ये कतई नहीं पता कि टीम को साथ लेकर कैसे चला जाता है। उनका कहना था कि वह स्वयं पार्टी अध्यक्ष रहे हैं और कई प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्षों के साथ काम भी कर चुके हैं। उन्होंने हरदम सारे मामले बिना किसी ड्रामेबाजी के आपसी बातचीत के जरिए सौहार्दपूर्ण माहौल में ही निपटाए।
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