उत्तराखंड में पिछले कुछ सालों में तेजी से जनसांख्यिकी परिवर्तन हुआ है। इसे लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने कहा है कि जो भी लोग बाहर से आकर यहां बसे हैं, या बसेंगे सरकार उनकी जानकारी जुटा रही है। साथ ही एक सशक्त भू कानून भी बनाने के लिए तैयार है।
दिनेश मानसेरा
उत्तराखंड में पिछले कुछ सालों में तेजी से जनसांख्यिकी परिवर्तन हुआ है। इसे लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने कहा है कि जो भी लोग बाहर से आकर यहां बसे हैं, या बसेंगे सरकार उनकी जानकारी जुटा रही है। साथ ही एक सशक्त भू कानून भी बनाने के लिए तैयार है। श्री धामी के इस बयान का कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय और आम आदमी पार्टी के रविन्द्र जुगरान ने समर्थन किया है। उत्तराखंड में राज्य बनने के बाद असम के बाद सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी बढ़ी है। खास तौर पर यूपी से लगे उधमसिंह नगर, हरिद्वार, नैनीताल और देहरादून जिलों में मुस्लिम आबादी राज्य की 14 प्रतिशत तुलना में 35 प्रतिशत तक हो गयी है। अब मुस्लिम आबादी का पौड़ी, उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ जिलों में भी तेजी से बढ़ना जारी है।
उत्तराखंड राज्य में ये विषय अब सामाजिक और चुनावी मुद्दा बन गया है। विधानसभा चुनाव नजदीक है। पहाड़ों से हो रहे पलायन और यहां बस रहे बाहरी लोगों से चिंतित युवा वर्ग ने उत्तराखंड में सशक्त भू कानून बनाये जाने को लेकर सोशल मीडिया पर मुहीम चलाई हुई है।
सरकार से मिली सूचनाओं के आधार पर इस ज्वलंत मसले एक उच्च स्तरीय बैठक भी की गई है। उत्तराखंड में जनसांख्यकीय परिवर्तन पर मुख्यमंत्री धामी ने शासन—प्रशासन स्तर पर ये निर्देशित किया है कि बाहर से आकर यहां बसने वालों की जानकारी का बारीक से बारीक अध्ययन किया जाए। साथ ही कहा कि जनसंख्या का घनत्व एक दम बढ़ा है। चारों मैदानी जिलों में एकदम बदलाव आ गया है। यहां अपराध बढ़ रहे हैं। बहुत से लोग दूसरे राज्यो से आकर रहते हैं, जिनके विषय कोई जानकारी नहीं होती।उन्होंने कहा कि इनका रिकॉर्ड रखना बेहद जरूरी है।
मुख्यमंत्री धामी खुद भी उधमसिंह नगर के नेपाल सीमा से लगे खटीमा क्षेत्र के विधायक है। उन्हें इस सामाजिक बदलाव की जानकारी पहले से है। ये विषय सशक्त भू कानून की मांग को लेकर उभरा है। विपक्षी दल मुस्लिम वोट बैंक की वजह से खुलकर बोलने का साहस नहीं जुटा पाते। इस लिए वे भू अध्यादेश की बात करते हैं।
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय कहते हैं कि मुख्यमंत्री धामी सही कर रहे हैं। बाहरी लोगों की रेकी करने में कोई बुराई नहीं है। चाहे वे किसी मत—पंथ के क्यों न हों। निश्चित ही जनसांख्यकीय बदलाव होना चिंताजनक है। इसे राजनीतिक दृष्टि से नहीं देखना चाहिए। इसी तरह आम आदमी पार्टी के रविन्द्र जुगरान कहते हैं कि मूल निवासी पहाड़ छोड़ते जा रहे हैं। वे वापस कैसे आएंगे ? सरकार इस पलायन पर चिंता नहीं करेगी तो बाहरी प्रदेशों के लोग यहां देव भूमि का स्वरूप बिगाड़ देंगे। यदि मुख्यमंत्री धामी इस बारे में संजीदा हैं तो हम सरकार के साथ हैं।
बहरहाल, जनसांख्यिकी परिवर्तन को लेकर सरकार को अब कड़े कदम उठाने होंगे। क्योंकि ये विषय राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से उत्तराखंड को प्रभावित करेगा।
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