उत्तराखंड ब्यूरो
उत्तराखंड के चमोली स्थित बाड़ाहोती चारागाह में इस साल फिर चीनी सैनिक आये और तीन घंटे रुकने के बाद वापस चले गए। चीनी सैनिक इलाके के कुछ हिस्से पर अपना दावा जताते हैं, जबकि असल में यह इलाका भारत का है। सीमा विवाद की वजह से ऐसी स्थिति उत्पन्न होती रहती है।
उत्तराखंड के चमोली स्थित बाड़ाहोती चारागाह में इस साल फिर चीनी सैनिक आये और तीन घंटे रुकने के बाद वापस चले गए। दरअसल, ये वह क्षेत्र हैं, जहां चीनी सैनिक घुसपैठ करते रहते हैं। करीब तीन किमी तक जो भी सामान, झोपड़ी आदि होती है, उन्हें नष्ट कर चले जाते हैं। चीनी सैनिक इलाके के कुछ हिस्से पर अपना दावा जताते हैं, जबकि असल में यह इलाका भारत का है। सीमा विवाद की वजह से ऐसी स्थिति उत्पन्न होती रहती है।
बता दें कि चमोली जिले के बाड़ाहोती चारागाह में भारतीय भेड़ पालक अपनी भेड़ों को चराने जाते हैं। बर्फ से घिरे इस इलाके में अगस्त, सितंबर में ही जाया जा सकता। इसी दौरान चीनी सैनिक यहां घुसपैठ करते हैं। भेड़ पालकों से ही उनकी जानकारी मिलती है। एलएसी से करीब दस किमी दूर भारत—तिब्बत सीमा पुलिस की रिमखिम चेक पोस्ट है। भेड़ पालकों ने सीमा चौकी को खबर की थी कि 30 अगस्त को करीब 70 चीनी सैनिक घोड़ों पर आये और तीन घंटे रुकने के बाद चले गए। जाते—जाते छोटी जलधाराओं पर बने छोटे पुलों को तोड़ गए।
उत्तराखंड और तिब्बत के बीच 345 किमी की सीमा है। जिसमें करीब 105 किमी सीमा चमोली जनपद में है। चीन की घुसपैठ पर एसपी यशवंत चौहान ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। जबकि जिलाधिकारी हिमांशु शुक्ला ने कहा कि सीमा क्षेत्र आईटीबीपी के पास है। हम कोई टिप्पणी नहीं कर सकते। उधर जानकारी मिली है कि सीमांत क्षेत्रों में भारत—तिब्बत सीमा पुलिस की गश्त बढ़ा दी गयी है।
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