निर्मल यादव
भाजपा के लिये प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी से झांसी के भावनात्मक रिश्ते को जोड़ने में रानी लक्ष्मीबाई का जन्मस्थली काशी होना मददगार साबित हो सकता है। खासकर तब जबकि बात चुनावी नैया पार लगाने की हो। भौगोलिक तौर पर भी वाराणसी से दक्षिण पश्चिम में खींची गयी सीधी लकीर काशी को झांसी से जोड़ती है।
भाजपा ने उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी के साथ—साथ इस बार बुंदेलखंड को भी अपनी चुनावी रणनीति का केन्द्रबिंदु बनाया है। राज्य में इस साल के आखिर तक सियासी दलों के चुनाव प्रचार अभियान का औपचारिक शंखनाद हो जायेगा। इसके साथ ही भाजपा ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अपने प्रचार अभियान का आगाज झांसी से करने की रणनीति को आगे बढ़ा दिया है। इसके मद्देनजर आगामी 19 नवंबर को महारानी लक्ष्मीबाई की जयंती के अवसर पर मोदी के झांसी दौरे को पार्टी एवं प्रशासन द्वारा अंतिम रूप दिया जा चुका है।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में अगले साल फरवरी-मार्च में संभावित विधानसभा चुनाव देखते हुए इस साल दिसंबर या अगले साल जनवरी में चुनाव कार्यक्रम घोषित हो जायेगा। इस वजह से चुनाव आचार संहिता लगने से पहले नवंबर-दिसंबर तक राज्य एवं केंद्र की भाजपा सरकार विकास योजनाओं की अपनी उपलब्धियों को जनता के बीच पेश करने की पूरी कोशिश करेगी। इसे देखते हुए सियासी हलकों में मोदी का 19 नवंबर को प्रस्तावित झांसी दौरा भाजपा की चुनावी रणनीति के नजरिये से काफी अहम माना जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, मोदी के झांसी दौरे की तैयारियों पर ख़ुद नजर रख रहे हैं। स्थानीय प्रशासन को रानी लक्ष्मीबाई जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री के झांसी दौरे को ऐतिहासिक बनाने के निर्देश दिये गये हैं। शायद ये पहला मौक़ा होगा, जब प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की महान नायक रानी लक्ष्मीबाई की जयंती पर प्रधानमंत्री का झाँसी दौरा हुआ हो। इस अवसर के सियासी निहितार्थ को देखते हुए भाजपा 19 नवंबर को प्रधानमंत्री के झांसी दौरे के साथ ही उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान का औपचारिक शंखनाद कर देगी।
ज्ञात हो कि इससे पहले मोदी ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव तथा 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान का आगाज काशी से किया था। प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र काशी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृह जनपद गोरखपुर और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या का क्षेत्र प्रयागराज होने के कारण भाजपा पूर्वी उत्तर प्रदेश में अपनी स्थिति को बेहतर मान रही है। जबकि पिछले चुनाव में बुंदेलखंड क्षेत्र की सभी 19 विधानसभा सीटों पर भाजपा का परचम लहराने के बावजूद पार्टी को आगामी चुनाव में इस क्षेत्र में अपना पिछला रिकॉर्ड बरकरार रखने की चुनौती आसन्न है।
उल्लेखनीय है कि जातिगत चुनावी राजनीति के दलदल में आकंठ डूबे बुंदेलखंड क्षेत्र के मतदाताओं ने पिछले विधानसभा चुनाव में अप्रत्याशित रूप से जाति समीकरणों को दरकिनार कर भाजपा को भरपूर समर्थन दिया था। मगर, पार्टी के रणनीतिकारों को पिछले चुनाव की तरह इस बार भी वैसे ही जनसमर्थन की पुनरावृत्ति होने पर शक है। सपा के शासनकाल में विकास के पर्याप्त कामों को बुंदेलखंड के मतदाताओं ने क्षेत्र में खनन माफियाओं की अराजकता से आजिज आकर पिछले चुनाव में सिरे से नकार दिया था। चुनावी वर्ष में भाजपा के अपने अंदरूनी विश्लेषणों में यह बात सामने आयी है कि प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता वाले बुंदेलखंड क्षेत्र में अवैध खनन पर नकेल कसने की जनता की उम्मीद पर प्रशासन पूरी तरह से खरा नहीं उतरा है। वहीं कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भी झांसी के कुख्यात ‘‘मेडिकल माफिया तंत्र’’ ने जनता के साथ बेमुरव्वती से पेश आकर सरकार की मुसीबतों में इजाफा ही किया था। ऐसे में पार्टी नेतृत्व उतनी ही बेमुरव्वती से मौजूदा विधायकों के इस बार टिकट काटने पर गंभीर है। क्षेत्रीय विधायकों का उम्मीद के मुताबिक़ प्रदर्शन न होने का ही नतीजा है कि रविवार को हुए योगी मंत्रिमंडल विस्तार में बुंदेलखंड का प्रतिनिधित्व नदारद रहा।
इसके मद्देनजर भाजपा प्रदेश ईकाई ने झांसी सहित क्षेत्र की सभी अन्य सीटों पर विधायकों का चुनाव पूर्व रिपोर्ट कार्ड तैयार कराने के लिये पर्यवेक्षक के रूप में विस्तारकों को भेजा है। हर विधानसभा क्षेत्र में तैनात किये गये एक एक विस्तारक को जनता की नब्ज टटोल कर रिपोर्ट देने को कहा गया है। मोदी के नवंबर में झांसी दौरे से पहले भाजपा की प्रदेश ईकाई विस्तारकों की रिपोर्ट के आधार पर टिकटों के बंटवारे की रणनीति को अंतिम रूप देने की कोशिश में है।
समझा जाता है कि बुंदेलखंड में पिछले चुनाव परिणाम को दोहराने के लिए ही पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने भाजपा के चुनाव प्रचार अभियान का आगाज प्रधानमंत्री द्वारा झांसी से कराने और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को भी बुंदेलखंड क्षेत्र से ही चुनाव लड़ाने की रणनीति अपनाने पर जोर दिया है।
मोदी के झांसी दौरे के बारे में प्राप्त जानकारी के मुताबिक 19 नवंबर को प्रधानमंत्री, शहर के ऐतिहासिक किले के मैदान में विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे। इसके अलावा वह विकास कार्यों से जुड़ी 18 अहम परियोजनाओं को हरी झंडी भी दिखायेंगे। इस दौरान बुंदेलखंड वासियों के मन में रानी लक्ष्मीबाई के प्रति अपार श्रद्धा को देखते हुये प्रधानमंत्री मोदी, पहले स्वतंत्रता संग्राम के गवाह रहे झांसी किले का भी भ्रमण कर सकते हैं। जनसभा के लिये मोदी का मंच ऐसे स्थान पर बनाया जायेगा जो किले में स्थित उस बुर्ज के ठीक सामने स्थित होगा जहां से अंग्रेज फौज से युद्ध लड़ते हुये रानी लक्ष्मीबाई ने अपने पुत्र को पीठ पर बांध कर घोड़े के साथ छलांग लगायी थी। शहर के बीचों बीच ऊंची पहाड़ी पर बने झांसी किले के इस विशालकाय बुर्ज को देखने का रोमांच, सैलानियों को आज भी झांसी किले का दीदार करने के लिये विवश कर देता है। सियासी पंडितों की राय में काशी और झांसी के ऐतिहासिक रिश्ते को चुनावी बिसात का अहम मोहरा बनाने का मौका भाजपा चूकना नहीं चाहेगी।
उल्लेखनीय है कि भाजपा के लिये प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी से झांसी के भावनात्मक रिश्ते को जोड़ने में रानी लक्ष्मीबाई का जन्मस्थली काशी होना मददगार साबित हो सकता है। खासकर तब जबकि बात चुनावी नैया पार लगाने की हो। भौगोलिक तौर पर भी वाराणसी से दक्षिण पश्चिम में खींची गयी सीधी लकीर काशी को झांसी से जोड़ती है। इस लकीर के दायरे में प्रयागराज के बाद मानिकपुर निकलते ही बुंदेलखंड क्षेत्र की सरहद शुरू होती है जो धार्मिक नगरी चित्रकूट से होते हुये बांदा, हमीरपुर, महोबा और ललितपुर से झांसी तक आती है। बुंदेलखंड के इन सात जिलों की सभी 19 विधानसभा सीटों पर भाजपा क़ाबिज़ है।
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