गत दिनों बिहार के सीतामढ़ी जिले के झझीहट गांव में एक ईसाई ने वीरेंद्र कुमार कापर नामक एक हिंदू से कहा कि यदि वे ईसाई बन जाएंगे, तो 1,00,000 रु. मिलेंगे। इस पर उन्होंने कहा, ''मैं भले ही गरीब हूं, लेकिन पैसे के लिए मैं अपना धर्म नहीं बदल सकता।''
लोभ—लालच से हिंदुओं को ईसाई बनाने में लगे चर्च के गुर्गों को लोग अब करारा जवाब देने लगे हैं। इसका एक उदाहरण बिहार के सीतामढ़ी में मिला है। मामला सीतामढ़ी के पुपरी प्रखंड के झझीहट गांव का है। इस गांव के वीरेंद्र कुमार कापर के पड़ोस में रहने वाले कुछ लोग ईसाई बन गए हैं और अब ये लोग दूसरे हिंदुओं को भी ईसई बनाने के कार्य में लगे हैं। कहा जाता है कि इसके लिए इन लोगों को मासिक वेतन भी मिलता है। इन्हीं में से एक व्यक्ति इन दिनों गांव में एक विद्यालय भी चलाता है। गांव वालों का कहना है कि इस विद्यालय के लिए भी ईसाई मिशनरियों ने पैसा लगाया है और यह विद्यालय कन्वर्जन का केंद्र बन गया है। पिछले दिनों विद्यालय के संचालक ने वीरेंद्र कुमार कापरी से कहा कि वे यदि ईसाई बन जाएंगे तो उन्हें 1,00,000 रु. मिलेंगे। उल्लेखनीय है कि वीरेंद्र गरीब हैं और उनकी इसी स्थिति का लाभ ईसाई मिशनरियां उठाना चाहती हैं। इसलिए उन लोगों ने विद्यालय के संचालक के जरिए उन तक यह बात पहुंचाई।
अब उनकी यह हरकत उन लोगों के लिए ही भारी पड़ती दिखाई दे रही है। दरअसल, वीरेंद्र ने सीतामढ़ी के पुलिस अधीक्षक को एक आवेदनपत्र देकर ईसाई मिशनरियों की शिकायत की है। इसके बाद पुलिस अधीक्षक ने पुपरी के थानाध्यक्ष को मामले की जांच करने को कहा है। वीरेंद्र ने अपने आवेदन में लिखा है, कन्वर्जन करने वालों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अति पिछड़ा वर्ग के लोग शामिल हैं। इन्हें लालच, दबाव और बहला-फुसलाकर ईसाई बनाया गया है। इस तरह गांव के गरीब लोगों के साथ कन्वर्जन का घिनौना खेल खेला जा रहा है।
वीरेंद्र के अनुसार यहां पिछले कई महीने से चर्च के एजेंट अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति परिवार के लोगों को ईसाई बना रहे हैं। लालच से नहीं मानने पर लोगों को धमकी देकर ईसाई बनाया जा रहा है। इस कारण गांव के कई लोग ईसाई बन चुके हैं।
उम्मीद है कि वीरेंद्र की तरह गांव के अन्य लोग भी ईसाई मिशनरियों के विरुद्ध आवाज उठाएंगे।
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