लखनऊ ब्यूरो
जल निगम भर्ती घोटाले में पूर्व नगर विकास मंत्री आज़म खान की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं. लखनऊ में सीबीआई न्यायालय के स्पेशल जज ने आज़म खान की जमानत याचिका खारिज कर दी.
वर्ष 2016 में 1300 पदों के लिए रिक्तियां विज्ञापित हुई थीं तब इसमें 122 सहायक अभियंता, 853 अवर अभियंता, 353 नैत्यिक सहायक और 32 आशुलिपिक के पद थे. एस. आई. टी. ने अपनी जांच में पाया कि 4 जनवरी 2017 को चुनाव आचार संहिता लागू थी. ऐसे में कोई भी नियुक्ति नहीं की जानी चाहिए थी और अगर किन्हीं परिस्थितियों में ऐसा किया जाना आवश्यक था तो चुनाव आयोग से अनुमति ली जानी चाहिए थी. इन नियुक्तियों की अनुमति न तो वित्त विभाग से ली गई और न चुनाव आयोग से. जिस समय नियुक्ति की प्रक्रिया पूर्ण करके चयनित अभ्यर्थियों को ज्वाइन कराया गया. उस दिन 16 जनवरी 2017 को भी चुनाव आचार संहिता लागू थी. एस.आई.टी. की जांच में प्रथम दृष्टया अपराध का होना पाया गया.
आजम खान एवं पूर्व नगर विकास सचिव, एस पी सिंह समेत कुछ अन्य लोगों के विरुद्ध भ्रष्ट्राचार निवारण अधिनियम एवं धोखाधड़ी के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई. इस एफआईआर के दर्ज होने के बाद आज़म खान ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एफआईआर रद्द करने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने के लिए गुहार लगाई थी. हाईकोर्ट ने मुकदमा रद्द करने की प्रार्थना को स्वीकार नहीं किया. विवेचना के दौरान आजम खान की गिरफ्तारी पर रोक लगा दिया था. आजम खान ने विवेचना के दौरान यह बयान दिया था कि "इन सभी नियुक्तियों के मामले में नगर विकास मंत्री की कोई भी भूमिका सीधे तौर पर नहीं थी. मेरी गलती यही है कि कुछ लोगों को मेरे कार्यकाल में नौकरी मिल गई."
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