बिहार में पूर्णिया जिले के कुछ मदरसों के संचालक विदेश से आर्थिक मदद ले रहे हैं, पर इसकी जानकारी सरकार को नहीं दे रहे हैं। यह बहुत ही गंभीर मामला है। इसकी जांच ठीक से कराने की जरूरत है।
कुछ लोग सरकारी नियमों की अनदेखी कर मदरसे के नाम पर विदेश से पैसा ले रहे हैं। इससे जुड़ा एक मामला हाल ही में सामने आया है। यह मामला पूर्णिया जिले में रानीपतरा के पास फसिया गांव का है। बता दें कि यहां 'तंजीमुल इस्लाम' नाम से एक मदरसा' चलता है। इस मदरसे के संचालकों ने सरकार को बताए बिना विदेश से 6,30,000 रु. की मदद ली है। यह गैर—कानूनी है और इसलिए शिक्षा विभाग ने इसकी जांच शुरू कर दी है।
मदरसे का यह फर्जीवाड़ा गांव में मदरसों के नाम पर लूट मचाने वालों के बीच आपसी विवाद के बाद सामने आया है। बता दें कि कुछ दिन पहले गांव के कुछ लोगों ने मोहम्मद रफीक नामक एक व्यक्ति पर आरोप लगाया था कि वह 'फैजुल उलूम' तथा 'मदरसा फातिमा' के नाम से दो मदरसों का संचालन करता है। इन दोनों मदरसों का न तो कोई भवन है और न ही कोई बच्चा पढ़ता है। यानी ये दोनों मदरसे कागजी हैं। ग्रामीणों ने ही यह भी आरोप लगाया था कि रफीक कागजी मदरसों के नाम पर सरकारी पैसा ऐंठता है।
इसके बाद तंजीमुल इस्लाम मदरसा के सचिव हाजी मंसूर आलम, मो. खलील और मो. नुरुल हक ने पूर्णिया के जिला पदाधिकारी राहुल कुमार को एक आवेदन देकर अपने मदरसे को सही और रफीक के मदरसे को फर्जी बताया था। इसके साथ ही यह भी आग्रह किया था कि इस मामले की जांच कराई जाए।
इसके बाद पूर्णिया के जिला पदाधिकारी ने दोनों मदरसे की जांच के लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी को आदेश दिया। इसी जांच के दौरान पता चला कि तंजीमुल इस्लाम मदरसा ने विदेश से पैसा लिया है।
दरअसल, मदरसे के नाम पर कुछ लोग सरकारी खजाने को जम कर चूना लगा रहे हैं। इससे पहले भी बिहार के अनेक जिलों में इस तरह के मामले आ चुके हैं। कुछ प्रभावशाली लोग मिलकर कोई मदरसा कमेटी बना लेते हैं उसी के आधार पर सरकार से मदद लेेने लगते हैं। इसमें सरकारी अधिकारियों की भी मिलीभगत रहती है। सरकारी अधिकारी यह भी नहीं देखते हैं कि जिस मदरसे के नाम पर अनुदान लिया जाता है, वह जमीन पर है भी या नहीं। इसी का फायदा रफीक जैसे लोग उठा रहे हैं।
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