निर्माता नहीं, लुटेरे थे मुगल

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सोनाली मिश्र
 


फिल्म निर्माता कबीर खान ने कहा है कि ‘मुगलों की आलोचना क्यों करें, वह तो असल भारत निर्माता थे’। क्या वाकई मुगल भारत के असल निर्माता थे? इतिहास के मूल स्रोतों को पढ़ने से स्पष्ट होता है कि मुगलों ने इस देश में सिर्फ हिंदुओं का नरसंहार किया, मंदिरों को तोड़ा, लूटा और अय्याशी के प्रतिमान गढ़े। भारत की पुरातन संरचना को मुगलों और मुस्लिम आक्रांताओं के नाम कर वामपंथी इतिहासकारों ने इस देश की स्वतंत्र सोच को पलटने का षड्यंत्र किया है


यह बेहद विचित्र बात है कि जब हम अफगानिस्तान में इन दिनों मध्ययुगीन इस्लाम की कहानी प्रत्यक्ष अपनी आंखों से घटते हुए देख रहे हैं, वहीं भारत में उन्हीं आतताइयों और लुटेरों को महिमामंडित करने का प्रयास किया जा रहा है। एक ओर, इस्लाम के नाम पर तालिबानी अफगानिस्तान में उस पूरे पैटर्न को प्रायोगिक करके दिखा रहे हैं, जो भारत में बाबर के समय हुआ था, तो दूसरी ओर बाबर का महिमामंडन करती हुई सीरीज हॉटस्टार पर आ रही है, जिसमें इतिहास को तोड़-मरोड़ कर दिखाया गया है, तो वहीं ‘बजरंगी भाईजान’ फिल्म बनाने वाले कबीर खान ने भी यह कहकर बहस को न्योता दिया है कि मुगलों की आलोचना क्यों करें, वह तो असल भारत निर्माता थे।
कबीर खान की कट्टरपंथी इस्लामी मानसिकता बजरंगी भाईजान फिल्म में भी दिखी थी, जिसमें शाकाहार को बुरा बताया गया था और हिन्दुओं की गलत छवि प्रस्तुत की गयी थी, जैसे हिन्दू कट्टर होता है आदि-आदि। हालांकि मुस्लिम प्रेम और हिन्दू घृणा बॉलीवुड का प्रिय विषय रहा है। और यही अब ओटीटी में दिखता है। उन मुगलों का महिमामंडन करती हुई सीरीज आती है, जिन्होंने भारत की आत्मा पर इतना प्रहार किया कि अभी तक भारतऔर हिन्दू इससे उबर नहीं पाए हैं।

बाबरनामा में बाबर की नृशंसता का उल्लेख
बाबर की नृशंसता के विषय में बाबरनामा में ही इतने विस्तार से लिखा गया है कि किसी और पुस्तक की ओर जाने की आवश्यकता नहीं है। जो लोग बाबर की वीरता का उदाहरण देते हैं या फिर बाबर को एक कुशल प्रबन्धक बताते हैं, वे कभी भी उसकी नृशंसता की बात नहीं करते। पहले बाबर का महिमामंडन करने वाली इस सीरीज के विषय में बात करें तो सर्वप्रथम इसके निर्माताओं पर दृष्टि डालते हैं, तो वे हिन्दू दिखाई देते हैं। आखिर हिन्दू लोग कितनी सहजता से यह दिखा लेते हैं कि बाबर ने हिन्दुओं को कैसे मारा था।

बाबर और कोई नहीं बल्कि लुटेरा था, जो लूटने के लिए आया था। और उसने यहां के अफगानों और हिन्दुओं का कत्लेआम किया। जो लोग यह कहते हैं कि हिन्दू लड़े नहीं, उन्हें हिन्दुओं द्वारा किए गए प्रतिरोध को स्मरण करना चाहिए। बाबर को जितना महान बताया जाता है और जिस तरह कबीर खान मुगलों को भारत का निर्माता कहते हैं, वह झूठ के अतिरिक्त कुछ नहीं है। बाबर ने क्या बनाया था? यहां तक कि बाबर से पहले जो गुलाम वंश आदि यहां थे, उन्होंने भी अय्याशी और लूटपाट का इतिहास रचने के अतिरिक्त कुछ नहीं किया थे। कुतुब मीनार का निर्माण मंदिरों को तोड़कर किया गया था। अढाई दिन का झोपड़ा भी संस्कृत विद्यालय एवं मंदिर था।

जीटी रोड और शेरशाह का छद्म
और, एक और बहुत बड़ा झूठ यह इतिहासकार बोलते हैं कि ग्रांड ट्रंक रोड का निर्माण शेरशाह सूरी ने कराया। यह भी सरासर झूठ है। शेरशाह सूरी का कुल कार्यकाल मात्र पांच वर्ष का ही रहा था। फिर ऐसे में वह इतनी बड़ी सड़क का निर्माण कैसे कर सकता था? यह झूठ सुनियोजित ढंग से परोसा गया जबकि इस मार्ग का उल्लेख उत्तरापथ के रूप में संस्कृत साहित्य में पहले से है। इतना ही नहीं, मेगास्थनीज ने भी इंडिका में इस मार्ग का उल्लेख किया है।
‘इंटरकोर्स बिटवीन इंडिया ऐंड द वेस्टर्न वर्ल्ड’, एच. जी. रौलिंसन, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस 1916 में इंडिका के माध्यम से मेगास्थनीज द्वारा उसी मार्ग का वर्णन किया गया है, जिसे केवल मुस्लिम प्रेम के चलते शेरशाह सूरी का कर दिया गया है। इसमें विस्तार से लिखा है ‘मेगास्थनीज ने जैसे ही भारत में प्रवेश किया, वैसे ही जिसने उसे सबसे पहले प्रभावित किया, वह था शाही मार्ग, जो फ्रंटियर से पाटलिपुत्र तक जा रहा था।’
उसके बाद वह इस पूरे मार्ग का वर्णन करते हैं। इसमें लिखा है ‘यह आठ चरणों में बना हुआ था और पुष्कलावती अर्थात् आधुनिक अफगानिस्तान से तक्षशिला तक था: तक्षशिला से सिन्धु नदी से लेकर झेलम तक था; उसके बाद व्यास नदी तक था, वहीं तक जहां तक सिकन्दर आया था, और फिर वहां से वह सतलुज तक गया है, और सतलुज से यमुना तक। और फिर यमुना से हस्तिनापुर होते हुए गंगा तक। इसके बाद गंगा से वह दभाई नामक कस्बे तक गया है और उसके बाद वहां से वह कन्नौज तक गया है। कन्नौज से फिर वह गंगा एवं यमुना के संगम अर्थात् प्रयागराज तक जाता है और फिर वह प्रयागराज से पाटलिपुत्र तक जाता है। राजधानी से वह गंगा की ओर चलता रहता है।’
 
और चालबाजी यह कि, इस पूरे मार्ग को शेरशाह सूरी के नाम पर प्रचारित कर दिया गया, उस शेरशाह सूरी के नाम पर, जिसने हिन्दुओं के साथ छल से युद्ध जीता था और जिसके कारण राजा पूरनमल और उनके राजपूत योद्धाओं ने अपनी रानियों का वध अपने हाथों से कर दिया था, अफगानों के हाथ न पड़ सकें। ‘द हिस्ट्री आॅफ इंडिया, बाई इट्स ओन हिस्टोरियन्स-द मोहम्मडन पीरियड’ में सर एम.एम. इलियट तारीख-ए- शेरशाही का संदर्भ देते हुए इन सभी घटनाओं के विषय में लिखते हैं।
 
अय्याशी के पोषक थे मुगल
जो लोग बाबर या मुगलों को इस देश का निर्माता कहते हैं, वे बताएं कि उन्होंने मंदिरों को नष्ट करने और हिन्दुओं का वध करने के अतिरिक्त क्या किया है?
हां, अय्याशी में इन्हें जरूरत ‘निर्माता’ कहा जा सकता है क्योंकि भारत में संस्थागत हरम की शुरुआत अकबर के शासनकाल से हुई। हालांकि गुलबदन बेगम द्वारा लिखे गए हुमायूंनामा में भी हरम का उल्लेख है। परन्तु अकबर के बाद हरम को वैधानिकता प्राप्त हुई। अकबर के हरम में 5000 औरतें थीं। वैसे तो अकबर की अय्याशी की कई कहानियां प्रचलित हैं, जिनमें आगरा के सरदार शेख बादाह की बहू को ही हरम में भर्ती करना शामिल है। 
 
अल बदायूंनी ने ‘मुन्तखाब-उत-तवारीख’ में लिखा है कि आगरा के सरदार शेख बादाह की बहू थी, जिसका शौहर जिंदा था, मगर अकबर की नजर उस पर गयी तो वह उस पर फिदा हो गया और उसने शेख बादाह के पास संदेशा भेजा कि वह उसकी बहू से निकाह करना चाहता है। और मुगल बादशाहों में यह नियम है कि अगर किसी बादशाह ने किसी औरत के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाने के लिए निगाह डाल दी तो उस औरत के शौहर को हर हाल में तलाक देना ही होगा। और इस प्रकार अकबर ने उस लड़की का तलाक करवाकर उसे अपने हरम का हिस्सा बनाया। इससे पहले अकबर के असंख्य निकाह हो चुके थे।
 
बाबर ने बनाई थी सिरों की मीनार
बाबर का शासनकाल मारकाट में बीता, उसने क्या निर्माण किया होगा, पता नहीं, हां! सिरों की मीनारें अवश्य बनार्इं। और काफिरों अर्थात हिन्दुओं को मारकर ही उसने गाजी की उपाधि धारण की थी। हुमायूंनामा में गुलबदन बेगम ने लिखा है ‘राणा सांगा पर विजय प्राप्त करने के बाद बाबर ने गाजी की उपाधि धारण की।’
 
यह है गाजी का अर्थ इससे पहले बाबर ने बाजौर के दुर्ग पर भी हिन्दुओं का कत्लेआम किया था। हुमायूंनामा में बाजौर या बिजौर में बाबर द्वारा कत्लेआम का वर्णन गुलबदन बेगम ने किया है कि बाबार ने बिजौर को दो-तीन घड़ी में जीत लिया और वहां के सभी रहने वालों को मरवा डाला। बिजौर में रहने वाले मुसलमान नहीं थे।
 
उससे पहले हिन्दुस्थान आते समय भी उसने ‘काफिरों’ का खून किया था। वह लिखता है कि अदीनापुर दुर्ग से पहले, नंगेंहर के तूमान में रुका और उसने देखा कि मैदानों में ‘काफिर’ लोग धान उगाते हैं, जहां से दुश्मनों को अनाज मिल जाएगा। उसने फिर बराईन घाटी की ओर जाते समय धान लूट लिया। फिर वह लिखता है कि कुछ काफिर भाग गए मगर कुछ काफिरों ने युद्ध किया तो वह मारे गए। वह लिखता है कि हम काफिरों के धान के खेतों में एक रात रुके और हमने काफी धान लूट लिया। (मेमॉयर्स आॅफ बाबर)
 
बाबर ने साधारण किसानों तक को नहीं छोड़ा था। यह बात हिजरी वर्ष 913 की है। राणा सांगा से युद्ध में उसने लिखा है कि हिन्दुओं के सिरों की मीनार बनाई और उसके बाद ही उसने गाजी की उपाधि धारण की थी। बाबर ने क्या निर्माण किया था, यह समझ से परे है क्योंकि पूरे बाबरनामा में मात्र लड़ाई, सिर काटने और हिन्दुओं को मारने का और लूट का ही वर्णन है।
गुलबदन बेगम हुमायूंनामा इस लूट का उल्लेख करते हुए लिखती हैं कि पांच बादशाहों का कोष हाथ में आया था और सब बांट दिया था।
 
मंदिर भंजक थे मुगल
‘हिंदू टेम्पल्स, व्हाट हैप्पेन्ड टू देम’ में इन महान मुगलों द्वारा भारत की बौद्धिक संपदा के विनाश की पूरी कहानी विस्तार से लिखी गयी है। तुजुके जहांगीरी में जहांगीर ने एक मंदिर केवल इसलिए तुड़वा दिया था क्योंकि वह वराह अवतार का था। वह लिखता है- ‘अजमेर में झील के आसपास काफिरों के कई मंदिर दिखाई देते हैं। उन्हीं में से एक मंदिर राणा शंकर ने बनवाया था, जो विद्रोही अमर का चाचा था और हमारे दरबार के प्रमुख सरदारों में से एक था, राणा ने उसमें एक लाख रुपये खर्च किए थे। उस मंदिर को जब मैं देखने गया तो मैंने देखा कि काले पत्थरों से एक मूर्ति बनी है और उसमें सिर ‘सुअर’ (वराह) के आकार का है और शेष शरीर इंसान का है। हिन्दू धर्म कितना बेकार है कि एक बादशाह को, जो उस समय सर्वोच्च है, उसके सामने यह दिखा सकता है और पूजा भी कर सकता है। मैंने उस अपवित्र आकार को तोड़ने और फिर उसे तालाब में फेंकने का आदेश दिया।’ (तुजुके जहांगीरी, पृष्ठ 254)
 
मुगलों द्वारा हिन्दुओं के सांस्कृतिक और धार्मिक प्रतीकों के ध्वंस के एक नहीं, कई उदाहरण हैं, परन्तु दुर्भाग्य की बात यह है कि कबीर खान जैसे लोग अपनी ओछी सोच के माध्यम से हिन्दुओं को ही दोषी ठहराते हैं और भारत की धार्मिक आत्मा को रक्तरंजित करने वाले मुगलों को ‘भारत निर्माण करने वाले’ कहते हैं और हॉटस्टार पर उस बाबर का महिमामंडन होता है, जिसने हिन्दुओं को मारकर उनके सिरों की मीनार बनाकर गाजी की उपाधि धारण की थी।
 
यह सत्य है कि वे शासक नहीं, हिन्दुओं की संपत्ति के लुटेरे थे और उन्होंने मंदिरों को लूटा, उन्हें तोड़कर उन्हें मस्जिदों में तब्दील किया। परन्तु फिर भी वामपंथी और इस्लामी गिरोह हिंदू विरोधी मानसिकता से ग्रस्त होकर उन्हें ही ‘हिन्दुओं का मसीहा’ बताता आता रहा है। परन्तु अब समय बदल गया है। तभी हॉटस्टार पर आने वाली सीरीज का विरोध हो रहा है और कबीर खान का भी!

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