हक्कानी नेटवर्क के नेता का ऐसा कहना मायने तो रखता है, लेकिन विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि किसी आतंकी गुट के कहे ऐसे ही सच नहीं माना जा सकता, वे कब अपनी बात से पलट जाएंगे, कहना मुश्किल है
वेब डेस्क
पाकिस्तान किस तरह बिछा-बिछा गया है तालिबान की जिहादी राह में उसे पूरी दुनिया देख चुकी है। संभवत: पाकिस्तान अफगानिस्तान में भारत की प्रसिद्धि और भारत के प्रति आम अफगानी के मन में इज्जत को पचा नहीं पा रहा था। उसे लगता है कि तालिबान सरगना और लड़ाकों की मिजाजपुर्सी करने पर वे शायद कश्मीर पर उसके पाले में आ खड़े होंगे। पाकिस्तान में पल रहे अंतरराष्ट्रीय आतंकी अजहर मसूद का भी तालिबान के साथ गलबहियां करने का मकसद बहुत हद तक कश्मीर ही रहा है। लेकिन 1 सितम्बर को हक्कानी नेटवर्क के संस्थापक जलालुद्दीन हक्कानी का सबसे छोटा बेटा अनस जो बोला है, उससे पाकिस्तान के पेट में कुछ मरोड़ जरूर उठी होगी। अनस ने एक चैनल को दिए साक्षात्कार में बोला कि उनका कोई इरादा नहीं है कश्मीर मामले में दखल देने का। हालांकि विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि आतंकी गुट हक्कानी के किसी भी सदस्य की बातों को ऐसे ही सच नहीं माना जा सकता, वे कब अपने कहे से पलट जाएंगे, कहना मुश्किल है।
19 साल, 10 महीने और 25 दिन बाद अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं की पूरी तरह वापसी के बाद, अफगानिस्तान फिर से तालिबान के शिकंजे में आ गया है। इधर पाकिस्तानी हुकूमत जश्न में ही डूबी थी कि अनस हक्कानी ने उस जश्न में यह कहकर खलल डाल दिया कि कश्मीर के मामले में दखल देने का उसका कोई इरादा नहीं है। उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान में बनने वाली तालिबान सरकार में हक्कानी नेटवर्क के प्रतिनिधि भी रहने वाले हैं।
अनस हक्कानी से पूछा गया था कि 'पाकिस्तान हक्कानी नेटवर्क के नजदीकी है। वह लगातार कश्मीर में दखल देता आ रहा है। क्या वे भी पाकिस्तान के समर्थन में कश्मीर में दखल देंगे?' इस प्रश्न पर अनस का कहना था कि 'कश्मीर हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं आता और दखल देना नीति के विरुद्ध है। हम अपनी नीति के विरुद्ध नहीं जा सकते हैं। इसलिए साफ है कि हम कश्मीर में दखल नहीं देने वाले।'
अनस हक्कानी ने यह बात सीएनएन-न्यूज 18 चैनल से कही है। अनस से पूछा गया था कि 'पाकिस्तान हक्कानी नेटवर्क के नजदीकी है। वह लगातार कश्मीर में दखल देता आ रहा है। क्या वे भी पाकिस्तान के समर्थन में कश्मीर में दखल देंगे?' इस प्रश्न पर अनस का कहना था कि 'कश्मीर हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं आता और दखल देना नीति के विरुद्ध है। हम अपनी नीति के विरुद्ध नहीं जा सकते हैं। इसलिए साफ है कि हम कश्मीर में दखल नहीं देने वाले।'
अनस से आगे फिर पूछा गया कि क्या हक्कानी नेटवर्क, जैशे मोहम्मद और लश्करे तैयबा को कश्मीर के मामले में अपना समर्थन नहीं देगा! इस पर अनस हक्कानी ने कहा कि इस पर पहले भी कई बार साफ कहा गया है और हम फिर से कह रहे हैं कि यह बस एक दुष्प्रचार है। भारत के साथ रिश्ते पर उसका कहना था कि वे भारत के साथ अच्छे रिश्ते चाहते हैं।
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