कथित किसान आंदोलन के कारण अडाणी समूह ने पहले लुधियाना स्थित लॉजिस्टिक पार्क को बंद किया। अब फिरोजपुर स्थित साइलो गोदाम भी बंद होने से किसान परिवारों से जुड़े करीब एक हजार लोग बेकार हो गए।
राकेश सैन
तीन कृषि सुधार कानूनों के विरोध में चल रहा स्वयंभू किसानों का आन्दोलन अब किसानों और श्रमिकों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। जैसे-जैसे कथित किसानों का विरोध बढ़ रहा है, किसानों और श्रमिकों के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। पहले इनके प्रदर्शन के कारण लुधियाना में अडाणी समूह का लॉजिस्टिक पार्क बंद हुआ और अब फिरोजपुर के वां गांव में साइलो इकाई भी बंद हो गई है। यहां धान और गेहूं का भंडारण किया जाता है, लेकिन सात माह से आंदोलनकारी इकाई के बाहर धरने पर बैठे हैं। लिहाजा अडाणी समूह ने इसे बंद कर दिया है। इसके साथ ही ठेके पर रखे करीब 400 श्रमिकों को भी नौकरी से निकाल दिया है। गौरतलब है कि अडाणी लॉजिस्टिक पार्क बंद होने से भी करीब इतने ही युवाओं को नौकरी से हाथ धोना पड़ा था।
सभी श्रमिक किसान परिवारों से ही संबंधित
महत्वपूर्ण बात यह है कि साइलो इकाई से नौकरी से निकाले गए ज्यादातर श्रमिक स्थानीय हैं और किसान परिवारों से ही संबंधित हैं। लेकिन अब वे दिहाड़ी पर काम के लिए भी तरस रहे हैं। उन्होंने फिरोजपुर के उपायुक्त से भी गुहार लगाई, लेकिन मामला अदालत में होने के कारण प्रशासन भी असहाय नजर आ रहा है। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने भी जून में जिला प्रशासन को आदेश दिए थे कि इस मामले को सुलझाने के लिए कोई रास्ता निकाला जाए। पूर्व उपायुक्त गुरपाल सिंह चहल का कहना है कि हम किसानों से बात करके बीच का रास्ता निकालने का प्रयास कर रहे हैं। फिलहाल किसान हटने को तैयार नहीं है। गौरतलब है कि पंजाब के कई जिलों में कृषि कानूनों को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं।
साइलो इकाई में क्या होता है?
दरअसल, सार्वजनिक एवं सरकार की भागीदारी योजना के तहत भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) देश भर में इस तरह की इकाई लगा रही है। कनाडा की तकनीक से बनी इन इकाइयों में खाद्यान्न के सुरक्षित भण्डारण की सुविधा रहती है। देश में असुरक्षित भण्डारण के चलते हर साल लाखों टन अनाज बर्बाद हो जाता है। इस समस्या से निपटने के लिए एफसीआई उक्त योजना लेकर आई है। इन इकाइयों में सुविधाजनक परिवहन व्यवस्था, उचित लदान-उतराई, मौसम अनुसार ताप को नियंत्रित करने, खाद्यान्न को बीमारियों व जानवरों से बचाने तथा क्षरण रोकने की सारी सुविधाएं रहती हैं। फिरोजपुर की साइलो इकाई में गेहूं और धान के भण्डारण की व्यवस्था है, जिससे इलाके के किसानों को बहुत लाभ हो रहा था, लेकिन कुछ दबंग किसानों के प्रदर्शन के चलते समूह को यह इकाई बंद करनी पड़ी। इसका असर पंजाब के आधे से अधिक मालवा इलाके के किसानों व खेती पर पडऩे वाला है।
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