जिस जलियांवाला बाग के पुनरुद्धार और सौंदर्यीकरण पर राहुल गांधी बखेड़ा खड़ा कर रहे हैं, 61 साल पहले उनके नाना की सरकार ने ही उसका स्वरूप बदल दिया था।
राकेश सैन
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने जलियांवाला बाग के सौंदर्यीकरण और पुनर्निर्माण का विरोध किया है। उन्होंने केंद्र सरकार पर जलियांवाला बाग का एतिहासिक स्वरूप बदलने और इतिहास से छेड़छाड़ करने के आरोप लगाए हैं। असल में ये सारे आरोप उनके इतिहास के प्रति खतरनाक अल्पज्ञान से उपजे हैं, क्योंकि इस स्मारक का स्वरूप तो 61 साल पहले ही बदला जा चुका था। उस समय केंद्र में उनके नाना जवाहर लाल नेहरू की सरकार थी। नरेंद्र मोदी सरकार ने तो उसी बदले हुए स्वरूप को संवारा है।
राहुल गांधी ने ट्वीट किया है कि ‘जलियांवाला बाग के शहीदों का ऐसा अपमान वही कर सकता है जो शहादत का मतलब नहीं जानता। मैं एक शहीद का बेटा हूं। शहीदों का अपमान किसी कीमत पर सहन नहीं करूंगा। हम इस अभद्र क्रूरता के खिलाफ हैं।’
नेहरू सरकार ने बदला स्वरूप
देश की स्वतंत्रता के बाद 1957 में इस स्थल के पुनर्निर्माण का काम शुरू हुआ था। 1960 में यह काम पूरा हुआ तो प्रवेश वाली गली को भी बदला गया। स्मारक की जो गली अभी तक लोग देखते आए हैं, वह 1919 वाली नहीं है। इसे 1960 में बनाया गया था। पुरानी गली की दीवारें कच्ची ईंटों की बनी थीं और फर्श व छत नहीं थे। 1960 में दीवारों और फर्श पक्के किए गए और कुछ दरवाजे-खिड़कियां लगाई गईं। 1961 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने इस नए स्वरूप का लोकार्पण किया था। अब जबकि उस बदले हुए स्वरूप को बदलने का यह कह कर विरोध किया जा रहा है कि सरकार एतिहासिक स्थलों के मूल स्वरूप से छेड़छाड़ कर रही है तो यह हास्यस्पद ही है।
पार्टी में ही एक राय नहीं
जलियांवाला बाग के सौंदर्यीकरण को राहुल इतिहास से छेड़छाड़ करार दे रहे हों, लेकिन उनकी अपनी पार्टी में ही इसे लेकर एक राय नहीं है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उन्हें ही इससे असहमति जताई है। इस मामले में कैप्टन के विचार राहुल के बिल्कुल विपरीत हैं। उन्होंने कहा है कि जलियांवाला बाग के पुनरुद्धार में कुछ भी गलत नहीं है। राहुल के ट्वीट पर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा, ‘‘मैं उद्घाटन के समय प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में था। मुझे तो पुनरुद्धार में कुछ भी गलत नजर नहीं आता। मेरे हिसाब से पुनरुद्धार के बाद जलियांवाला बाग बहुत बढिय़ा हो गया है। वक्त के साथ जो इमारतें कमजोर हो गई थीं और दरारें पड़ गई थीं, उनको दुरुस्त करना जरूरी था।’’
यह पहला मौका नहीं है, जब किसी मुद्दे पर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राहुल गांधी के रुख के खिलाफ बयान दिया है। इससे पहले जीएसटी को लेकर भी ऐसा हो चुका है। जीएसटी पर जहां पार्टी का रुख विरोधी था, वहीं कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इसे राज्यों के लिए फायदेमंद बताते हुए कहा था कि इससे पंजाब जैसे ज्यादा खपत वाले राज्यों को फायदा मिलेगा। बता दें कि जलियांवाला बाग का नवीनीकरण कार्य पूरा होने के बाद हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल माध्यम से इसका उद्घाटन किया था। इस उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी थे।
राहुल इतिहास नहीं जानते : मलिक
उधर, भाजपा के राज्यसभा सदस्य और जलियांवाला बाग नेशनल मेमोरियल ट्रस्ट के ट्रस्टी श्वेत मलिक ने कहा कि राहुल गांधी को इतिहास की जानकारी नहीं है। यह बाग नहीं, शहीदों की धरती है। 73 साल कांग्रेस का ट्रस्ट रहा, तब कांग्रेस ने यहां कुछ नहीं किया। कांग्रेस का ट्रस्ट फेल साबित हुआ। अब डेढ़ साल पहले बने भाजपा के ट्रस्ट ने काम करवाया है तो उन्हें बुरा लग रहा है।
ट्रस्ट भंग होने पर भी हुआ था विवाद
जलियांवाला बाग नेशनल मेमोरियल ट्रस्ट से कांग्रेस अध्यक्ष को स्थायी सदस्य के पद से हटाने वाले बिल पर चर्चा के दौरान लोकसभा में 2 अगस्त, 2019 को नोकझोंक हुई थी। कांग्रेस सदस्यों के वाकआउट के बीच यह बिल लोकसभा से पास हो गया। बिल पेश करने वाले संस्कृति मंत्री प्रह्लाद पटेल ने कहा था कि सरकार जलियांवाला बाग नेशनल मेमोरियल से जुड़ी राजनीति को खत्म करना चाहती है। इसलिए 1951 के एक्ट में संशोधन वाला विधेयक लाया गया है।
ये हुए नए काम
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लाइट एंड साउंड के साथ डिजिटल डाक्यूमेंट्री तैयार की गई है। यहां 80 लोग एक साथ बैठकर इसे देख सकते हैं।
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शहीदी कुएं के इर्द-गिर्द गैलरी बनाई गई है।
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सभी गैलरियों को पूरी तरह वातानुकूलित बनाया गया है।
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दीवार पर गोलियों के निशानों को सुरक्षित किया गया है, ताकि कई सौ साल तक इन्हें क्षति न पहुंचे।
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नरसंहार के लिए जिस गली से अंग्रेज बाग में घुसे थे, वहां शहीदों की प्रतिमाएं बनाई गई हैं, ताकि लोगों को गली से शहीदों की शहादत के बारे में पता चल सके।
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नए वाशरूम और पीने के पानी के नए प्वाइंट बनाए गए हैं।
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पूरे बाग में सुंदर लाइटिंग की गई है।
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