खिप्रो वही इलाका है जहां हिन्दुओं के सबसे ज्यादा कन्वर्जन होते हैं और मंदिरों पर लगातार आघात होते हैं। स्थानीय प्रशासन अल्पसंख्यक हिन्दुओं और उनके मंदिरों की सुरक्षा करने में बार-बार असफल साबित हुआ है
पाकिस्तान के सिंध सूबे से मंदिर तोड़े जाने की एक और खबर पर दुनिया भर के हिन्दू आक्रोशित हैं।
पाकिस्तान के जाने—माने समाजकर्मी और वकील राहत ऑस्टिन ने ट्वीट करके एक घटना के बारे में खुलासा किया है। ट्वीट के अनुसार, पाकिस्तान में सिंध के खिप्रो इलाके के एक हिंदू मंदिर में मजहबी उन्मादियों ने जमकर उत्पात मचाया है।
उन्होंने वहां देव प्रतिमाएं तोड़ीं और मंदिर परिसर को भी भारी नुकसान पहुंचाया है। वे उन्मादी वहां भगवान कृष्ण के जन्म पर जन्माष्टमी उत्सव मनाए जाने के खिलाफ थे। राहत ने ट्वीट में लिखा, ''सिंध के खिप्रो में एक हिंदू मंदिर में तोड़फोड़ की गई। हिंदू भगवान का अपमान किया गया, क्योंकि वे भगवान कृष्ण का जन्मदिन (जन्माष्टमी) मना रहे थे।
पाकिस्तान में इस्लाम के विरुद्ध ईशनिंदा के झूठे आरोपों में भी मॉब लिंचिंग या मौत की सजा दी जाती है, लेकिन गैर-मुस्लिमों के देवताओं के विरुद्ध अपराध करने पर कोई सजा नहीं होती है''।
इस घटना से एक बार फिर साफ हुआ है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदुओं और उनके आस्था स्थलों के विरुद्ध मजहबी उन्मादी हमले करने से बाज नहीं आ रहे हैं, पिछले दिनों खैबर पख्तूनख्वा के गणेश मंदिर सहित अनेक मंदिर उनकी नफरत का शिकार बन चुके हैं। सिंध का खिप्रो वही इलाका है जहां बड़े पैमाने पर हिन्दुओं का कन्वर्जन किया जाता रहा है।
घटनाक्रम के अनुसार, स्थानीय हिन्दू श्रीकृष्ण जन्माष्टमी उत्सव के अवसर पर कृष्ण मंदिर में विशेष पूजा कर रहे थे। वहां एकाएक मजहबी उन्मादियों की भीड़ इकट्ठी हो गई और बिना किसी उकसावे के उन्होंने हिन्दू श्रद्धालुओं को पीटना शुरू कर दिया, हिन्दुओं को वहां से भाग जाने को मजबूर कर दिया। इतना ही नहीं, भगवान की प्रतिमा भी खंडित कर दी गई। इस घटना की सोशल मीडिया पर अनेक फोटो साझा की गई हैं।
पाकिस्तान के सिंध सूबे में हिन्दुओं के कन्वर्जन के अलावा कई मंदिरों पर पहले भी हमले हो चुके हैं। अक्तूबर, 2020 में भी सिंध के थारपारकर जिले में नागारपारकर स्थित मंदिर में मजहबी उन्मादियों ने मां दुर्गा की प्रतिमा खंडित कर दी थी। उससे सितंबर, 2020 में सिंध के बादिन जिले में भी एक मंदिर में उन्मादियों ने जमकर तोड़फोड़ की थी।
स्थानीय हिन्दू श्रीकृष्ण जन्माष्टमी उत्सव के अवसर पर कृष्ण मंदिर में विशेष पूजा कर रहे थे। वहां एकाएक मजहबी उन्मादियों की भीड़ इकट्ठी हो गई और बिना किसी उकसावे के उन्होंने हिन्दू श्रद्धालुओं को पीटना शुरू कर दिया, हिन्दुओं को वहां से भाग जाने को मजबूर कर दिया। इतना ही नहीं, भगवान की प्रतिमा भी खंडित कर दी गई।
जैसा पहले बताया, जुलाई 2021 में खैबर पख्तूनख्वा में गणेश मंदिर पर उन्मादियों की भीड़ ने हमला करके उसे बुरी तरह तहस-नहस कर दिया था। लेकिन बाद में अदालत की सख्ती और सरकार के दखल वह मंदिर को फिर से मरम्मत कराकर हिन्दुओं को सौंपा गया था।
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