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झारखंड में नए निवेशकों को न्योता, पुरानों को लात

रितेश कश्यप by रितेश कश्यप
Aug 30, 2021, 07:27 pm IST
in भारत, बिहार
सरकार की नीतियों के कारण रांची स्थित झारखंड की सबसे बड़ी कपड़ा मिल 'ओरियंट क्राफ्ट' बंद हो गई।

सरकार की नीतियों के कारण रांची स्थित झारखंड की सबसे बड़ी कपड़ा मिल 'ओरियंट क्राफ्ट' बंद हो गई।

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एक ओर झारखंड सरकार राज्य में निवेश करने के लिए नए कारोबारियों को बुला रही है, वहीं दूसरी ओर पुराने कारोबारियों के साथ ऐसा व्यवहार कर रही है कि लोग राज्य से कारोबार समेट रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा तय सब्सिडी न मिलने से कई कंपनियों ने अपना कारोबार बहुत कम कर दिया और कइयों ने काम ही बंद कर लिया है


—रितेश कश्यप

इन दिनों झारखंड सरकार राज्य में निवेशकों को निवेश करने के लिए आमंत्रित कर रही है। यही नहीं, पिछले दिनों मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नई दिल्ली में कुछ कारोबारियों के साथ बैठक भी की और उन्हें हर सुविधा देने का आश्वासन भी दिया। इसके बावजूद निवेशकों में झारखंड में निवेश करने के प्रति कोई विशेष रुचि नहीं दिखाई है। हां, कुछ ने अवश्य निवेश करने की बात कही है, लेकिन वह सरकार की अपेक्षाओं से बहुत ही कम है। सम्मेलन में कुछ कंपनियों ने अगले तीन वर्ष के अंदर लगभग 10,000 करोड़ रु. का निवेश करने का भरोसा दिया है। मजेदार बात यह है कि इनमें से कोई नई कंपनी नहीं है। जिन कंपनियों ने निवेश का भरोसा दिया है, वे पहले से ही झारखंड में कारोबार कर रही हैं। डालमिया भारत कंपनी ने 758 करोड़ रु. और आधुनिक पावर लिमिटेड ने 1,900 करोड़ रु. निवेश करने के लिए हस्ताक्षर भी किए हैं। वहीं टाटा स्टील ने 3,000 करोड़ रु. और स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने 4,000 करोड़ रु. के निवेश के लिए कागजी कार्रवाई शुरू की है। ऐसा माना जा रहा है कि ये कंपनियां इसलिए निवेश कर रही हैं, ताकि उनका पहले से चल रहा काम ठीक से चल सके।

झारखंड के कई उद्योगपति ही मान रहे हैं कि राज्य में शायद ही कोई नई बड़ी कंपनी निवेश करने का जोखिम उठाएगी। सरकार चाहे कितने ही निवेशक सम्मेलन कर ले, कारोबारी झारखंड में कारोबार करने से बच रहे हैं।

इसके कई कारण हैं। पहला कारण तो यह है कि राज्य में कानून—व्यवस्था का बुरा हाल है। नक्सली और जिहादी तत्व फिर से सक्रिय हो गए हैं। इससे पहले भाजपा की सरकार के समय जो नक्सली अंतिम सांसें ले रहे थे, वे फिर से जिंदा हो चुके हैं। यही हाल जिहादी तत्वों का भी है। राज्य में जिहादी गतिविधियां बढ़ गई हैं। इसका नुकसान अनेक बार कारोबारियों को उठाना पड़ा है। नक्सली जब चाहते हैं, किसी कंपनी को बंद करा देते हैं।  
दूसरा कारण है ढांचागत सुविधाओं की कमी। इस समय झारखंड में जो उद्योग कार्य कर रहे हैं, वे बिजली, सड़क और पानी जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। 12—12 घंटे तक बिजली नहीं रहती है। इस कारण उद्योगों को जेनरेटर के सहारे काम चलाना पड़ता है, जो काफी महंगा पड़ता है। राज्य की सड़कें भी मौत को आमंत्रित कर रही हैं।

तीसरा कारण है भ्रष्टाचार। कई कारोबारियों ने बताया कि बिना पैसा कोई फाइल आगे बढ़ती ही नहीं है। चौथा कारण है पहले से चल रहे उद्योगों को सरकारी सब्सिडी न मिलना। बता दें कि इससे पहले की रघुवर सरकार ने कई कारोबारियों को सब्सिडी दी थी, इस कारण राज्य में काफी निवेश हुआ था। जब से हेमंत सरकार आई है, उसने उनकी सब्सिडी बंद कर दी है। इस कारण इनमें से कई निवेशकों ने कारोबार को समेट लिया है।

    पांचवां कारण है कारोबारियों में डर। वह डर है जमीन हथियाने का। बता दें कि इन दिनों झारखंड में सत्तारूढ़ झामुमो और कांग्रेस के नेताओं के इशारे पर कुछ लोग कारोबारियों को बाहरी बताकर उनकी जमीन पर कब्जा कर रहे हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है रांची का मुंजाल परिवार। इस परिवार की लगभग तीन एकड़ जमीन पर कब्जा कर लिया गया है। इसके बाद से रांची के कारोबारी डरे हुए हैं।

एक तरफ तो राज्य सरकार कह रही है कि वह निवेशकों को जमीन भी देगी और आवश्यक सब्सिडी भी। लेकिन जिन कारोबारियों की जमीन पर लोगों ने कब्जा कर लिया है, सरकार उस पर कुछ नहीं कर रही है। यही हाल है सब्सिडी का। सरकार नए कारोबारियों को सब्सिडी देने की बात कह रही है, लेकिन राज्य में सरकारी सब्सिडी के बिना अनेक उद्योग बंदी के कगार पर हैं और जो चल भी रहे हैं, उनमें कामगारों की भारी कटौती की गई है।

इस सरकार के पहले तक रांची में नामकुम के पास रामपुर स्थित अरविंद मिल में 2,000 कर्मचारी काम करते थे। अभी केवल 500 लोग काम कर रहे हैं। इसी तरह ओरमांझी स्थित किशोर एक्सपोर्ट में 1,500 कर्मचारी काम करते थे। अब यहां केवल 650 लोगों को ही काम पर रखा गया है।  इसके लिए झारखंड सरकार की उद्योग नीति ही जिम्मेदार है। उद्योगों में छंटनी का बुरा असर राज्य के युवाओं पर पड़ रहा है। लोग बेरोजगार हो रहे हैं। कहा जा रहा है कि इन उद्योगों को आगे बढ़ाने के लिए झारखंड सरकार की ओर से जो सहयोग किया जाना था, वह नहीं किया गया। झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स के महासचिव राहुल मारू ने बताया कि झारखण्ड चैंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से कई बार मुख्यमंत्री को कारोबारियों की समस्याओं से अवगत कराया गया है, लेकिन उनके समाधान के लिए सरकार ने कुछ नहीं किया। इसका असर कारोबार पर पड़ रहा है।

हेमंत सरकार पूर्ववर्ती रघुवर सरकार द्वारा शुरू कराए गए 118  स्टार्टअप्स को भी संभाल कर नहीं रख पाई। बता दें कि हर सरकार अपने यहां के युवाओं को वित्तीय सहायता देकर उनसे कोई कारोबार शुरू करवाती है। रघुवर सरकार ने ऐसे 118 कारोबारियों को सब्सिडी देकर कारोबार शुरू करवाया था। इसके कुछ दिन बाद ही चुनाव हुए थे और हेमंत सोरेन की सरकार बनी थी। नई सरकार ने नए कारोबारियों की सब्सिडी बंद कर दी है। कहा जा रहा है कि अब तक मात्र 18 स्टार्टअप्स को ही सब्सिडी की पहली किस्त मिल पाई है। इस कारण 14 स्टार्टअप्स बंद हो गए हैं।

झारखंड के प्रसिद्ध उद्योगपति विजय मेवाड़ का कहना है सरकार को सबसे पहले यहां पर कार्य कर रहे उद्योगों के सफल संचालन पर ध्यान देने की जरूरत है, इसके साथ ही यहां के कारोबारियों की सुरक्षा को लेकर भी सरकार को कड़े कदम उठाने चाहिए।

झारखंड में ऐसे कई उद्योग हैं जो सरकारी कुव्यवस्थाओं की वजह से काफी नुकसान में जा रहे हैं और कुछ उद्योग बंद हो चुके हैं। झारखंड की सबसे बड़ी कपड़ा मिल 'ओरियंट क्राफ्ट' की रांची स्थित दोनों इकाइयों में उत्पादन अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है। इस वजह से  3,500 कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं। 'ओरिएंट क्राफ्ट' के अधिकारियों का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा एक साल से सब्सिडी नहीं दी जा रही थी। इस कारण कंपनी लगातार घाटे में जा रही थी।
 


''कोई भी व्यापारी तभी निवेश करेगा जब उसे व्यापार के अनुकूल माहौल मिलेगा। इसके लिए सरकार को त्वरित निर्णय लेना पड़ता है और सरकारी व्यवस्था पारदर्शी बनानी पड़ती है। लेकिन यह सब करने में हेमंत सरकार विफल रही है। इस कारण निवेशक नहीं आ रहे हैं।''

 —रघुवर दास, पूर्व मुख्यमंत्री, झारखंड


 झारखण्ड चैंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से कई बार मुख्यमंत्री को कारोबारियों की समस्याओं से अवगत कराया गया है, लेकिन उनके समाधान के लिए सरकार ने कुछ नहीं किया। इसका असर कारोबार पर पड़ रहा है।

  —राहुल मारू, महासचिव, झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स


2017 में रघुवर सरकार के समय रांची, जमशेदपुर और बोकारों में निवेशक सम्मलेन हुए थे। इनमें कारोबारियों ने लगभग 3,50,000 करोड़ रु. निवेश करने की बात कही थी। इसका सुपरिणाम यह हुआ था कि  2019 आते—आते झारखण्ड में अलग—अलग परियोजनाओं में कुल 50478 करोड़ रु. का निवेश हुआ। इससे प्रत्यक्ष रूप से 70939 बेरोजगारों को रोजगार मिला था, वहीँ अप्रत्यक्ष रूप के लाखों लोगों को रोजी—रोटी मिली थी। 2019 में झारखंड में सरकार बदल जाने के बाद कई निवेशकों ने निवेश का आश्वासन देने के बाद भी निवेश नहीं किया। इनमें देशी—विदेशी दोनों तरह की कंपनियां हैं। विदेशी कंपनियों में प्रमुख हैं— कूल लाइट फ्रांस, आईटीई एजुकेशन सिंगापुर, स्मार्ट सिटी वन दक्षिण कोरिया कोलाज फ्रांस, एनजीपी हरक्यूलिस लिमिटेड, लाइट साउंड इंक कनाडा, कोलो ग्लोबल एबी स्वीडन आदि। भारतीय कंपनियों में इन पेरिया स्ट्रक्चर लिमिटेड, श्रीराम मल्टीकॉम प्राइवेट लिमिटेड, रामकृष्ण फोर्जिंग लिमिटेड, प्रसाद एक्सप्लोसिव केमिकल, त्रिमूला इंडस्ट्रीज लिमिटेड सहित डेढ़ दर्जन से अधिक कंपनियां हैं।

इस पर पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास कहते हैं, ''कोई भी व्यापारी तभी निवेश करेगा जब उसे व्यापार के अनुकूल माहौल मिलेगा। इसके लिए सरकार को त्वरित निर्णय लेना पड़ता है और सरकारी व्यवस्था पारदर्शी बनानी पड़ती है। लेकिन यह सब करने में हेमंत सरकार विफल रही है। इस कारण निवेशक नहीं आ रहे हैं।''  

इसलिए कारोबारी ही कह रहे हैं कि निवेशक सम्मेलन करने या निवेशकों को बुलाने से पहले सरकार राज्य में कारोबारी माहौल बनाए। बिजली, सड़क के बिना तो कारोबार करना संभव ही नहीं है। और यदि कोई कारोबार करने की कोशिश करता भी है, तो वह नक्सलियों की आहट से ही झारखंड की सीमा से दूर रहना चाहता है।

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रितेश कश्यप
Correspondent at Panchjanya | Website

दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।

 

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