अब्दुल अजीज नाम के इस मौलाना का अफगानी तालिबान और तहरीके तालिबान पाकिस्तान के बड़े-बड़े सरगनाओं से गहरा नाता रहा है। लाल मस्जिद से अफगानी तालिबान, तहरीके तालिबान पाकिस्तान, अल कायदा और जैशे मोहम्मद जैसे खूंखार आतंकवादी गुटों का नाता रहा है
ओसामा बिन लादेन और अलकायदा के आतंकियों से घनिष्ठ सम्बन्ध रखने वाले पाकिस्तान स्थित लाल मस्जिद के मौलाना अब्दुल अजीज ने अपनी मजहबी कट्टरपंथी दहशतगर्दी के षड्यंत्रों और पाकिस्तानी हुकूमत, सेना तथा अन्य सुरक्षा एजेंसियों को लेकर चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। हालांकि इन 'खुलासों' में कितनी सचाई है, इसकी पुष्टि करनी होगी। मजहबी कट्टर आतंकियों से नजदीकी रिश्ते रखने वाले मौलाना अब्दुल अज़ीज ने इस्लामाबाद के एक स्थानीय चैनल को दिए साक्षात्कार में खुलासा किया है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान, नवाज़ शरीफ, बिलावल भुट्टो, आसिफ अली जरदारी और शेख रशीद महिलाओं से इतर संबंधों में शामिल रहे हैं। यही वजह है कि इनमे से ज्यादातर ने निकाह नहीं किया है।
बताते हैं लाल मस्जिद के मौलाना अब्दुल अजीज के अफगानी तालिबान और तहरीके तालिबान पाकिस्तान के बड़े-बड़े सरगनाओं से गहरा नाता रहा है। खुद इस लाल मस्जिद से अफगानी तालिबान, तहरीके तालिबान पाकिस्तान, अल कायदा और जैशे मोहम्मद जैसे खूंखार आतंकवादी गुटों का नाता रहा है। और इस नाते से पर्दा भी इस मौलाना ने अपने साक्षात्कार में उठाया है। मौलाना का दावा है कि वह बीच-बीच में तालिबान को भी सलाह-मशविरा देते रहते हैं।
इसी मौलाना ने यह दावा भी किया कि पाकिस्तान के एबटाबाद में चोरी-छुपे रह रहे और बाद में अमेरिका द्वारा मार डाले गए अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी ओसामा बिन लादेन और अलकायदा के कई बड़े आतंकियों से उसके नजदीकी रिश्ते हैं।
मौलाना अब्दुल अजीज कहता है कि इमरान खान ने गैर-महिलाओं से बहुत ज्यादा संबंध बनाए, वे इन्हीं कामों में लगे रहे हैं। अब उन्होंने तौबा की हुई है तो ठीक है। इसी तरह मौलाना ने बिलावल, नवाज़ शरीफ, जरदारी आदि के चरित्र के बारे में चौंकाने वाली टिप्पणियां की हैं। इसलिए, मौलाना कहता है, ''अगर इस्लामी निजाम आ जाए तो यह वजीरे आजम सदर बड़े-बड़े लोग पहले इन्हें शर्मसार करना पड़ेगा।ये सारे ‘जिना’ में हैं। पूरी कौम को ‘जिना‘ का अड्डा बनाया हुआ है। ऐसा निजाम किसने बनाया हुआ है, कमर बाजवा साहब एक आर्डर करें तो ये सब खत्म होंगे कि नहीं होंगे!”
अब्दुल अजीज ने आगे बताया कि 'ये शराब पीने वाले लोग, ये कब चाहेंगे कि पाकिस्तान में इस्लामी निजाम आये! ये बस चाहते हैं कि कौम भी खुश रहे और अपनी अय्याशियां भी चलती रहें।' अब्दुल अजीज ने आगे पाकिस्तानी हुक्मरानों से अपील की है कि 'इस्लामी निजाम लागू करो।'
यह मौलाना उसी इस्लामाबाद की लाल मस्जिद से जुड़ा है जिस पर पिछले सप्ताह तालिबान और आईएसआईएस के झंडे लहराए गए थे। जामिया हफ्सा मदरसा पर भी ये झंडे लहराए गए थे। लाल मस्जिद से ये झंडे तभी उतारे गए थे जब प्रशासन ने पाकिस्तान में इस्लामी निज़ाम लाने का भरोसा दिया।
इस बारे में मौलाना ने ही बताया कि 'झंडा उतरवाने के लिए डीसी साहब आए, असिस्टेंट कमिश्नर और कई अफसर आए। हमने उनसे कहा कि हमने तो सिर्फ तालिबान के झंडे लगाए हैं, हमें तो उनका निजाम लाना है। हमने यह भी कहा कि पाकिस्तानी तालिबान को आप अच्छा नहीं मानते, अफगानी तालिबान को तो पसंद करते हैं, आईएसआई भी उसे पसंद करती है। तो हम अफग़ानी तालिबान को भी यहां आकर जो निजाम वे वहां चला रहे हैं, वैसा यहां चलाने का न्योता देते हैं।' अजीज ने बताया कि अफसरों ने एक हफ्ते का वक्त मांगा है जिसमें वे इस्लामी निजाम के लिए अपने वरिष्ठों से सलाह करेंगे, प्रधानमंत्री से बात करेंगे। मौलाना ने धमकी दी और कहा कि 'उस बात को तीन-चार दिन तो हो चुके हैं, तीन दिन और हैं, अगर वे नहीं आएंगे तो हम फिर झंडा लहरा देंगे।'
मौलाना ने कहा, “हम चाहते हैं कि यह अमीरात-ए-इस्लामी सिर्फ अफगानिस्तान में नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में हो। अमीराते इस्लामी पाकिस्तान, अमीरात-ए-इस्लामी बांग्लादेश, अमीराते-इस्लामी ईरान, अमीराते-इस्लामी इराक और कुवैत, सऊदी अरब सभी जगह अमीरात-ए-इस्लामी हो और ये सब इकट्ठे होकर मुत्तहिदा-अमीराते-इस्लामिया हो जाए।''
अफगानिस्तान में तालिबान की जीत से बाग बाग मौलाना चाहता है पूरी दुनिया में तालिबान राज आए। उसने कहा, “हम चाहते हैं कि यह अमीरात-ए-इस्लामी सिर्फ अफगानिस्तान में नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में हो। अमीराते इस्लामी पाकिस्तान, अमीरात-ए-इस्लामी बांग्लादेश, अमीराते-इस्लामी ईरान, अमीराते-इस्लामी इराक और कुवैत, सऊदी अरब सभी जगह अमीरात-ए-इस्लामी हो और ये सब इकट्ठे होकर मुत्तहिदा-अमीराते-इस्लामिया हो जाए।''
इस्लामाबाद की लाल मस्जिद का कट्टर मजहबी उन्मादियों से पुराना नाता रहा है। यह मौजूद भी ऐसी जगह है जहां से आईएसआई मुख्यालय और हाई सिक्योरिटी जोन ज्यादा दूर नहीं है। कुख्यात पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी आईएसआई में काम करने वहां नमाज पढ़ने जाते रहे थे।
इन सब बातों को समझकर यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि पाकिस्तान के मुल्ला-मौलवी तक किस कदर जिहादी सोच फैला रहे हैं। यह सोच दुनिया में कट्टरपंथियों की पौध तैयार करती है और तालिबान को हर तरह से खाद-पानी उपलब्ध कराती है।
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