सुनील राय
उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) की घटना की कड़ी निंदा की है. उन्होंने कहा कि कुछ लोग एएमयू की छवि को दागदार बना रहे हैं. इनका न तो देश की गंगा-जमुनी तहजीब से कोई सरोकार है न ही इस्लाम और अपने पैगम्बर से. ऐसे लोग मानसिकता से ही अलगाववादी है. ऐसे लोगों से मेरा सवाल है कि क्या एक पूर्व मुख्यमंत्री के निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित करना गुनाह है? ऐसा करने वाला किस मजहब में जालिम कहा जाता है? ऐसा सिर्फ देश तोड़ने और सौहार्द बिगाड़ने वाली ताक़तें ही कह सकती हैं
सिद्धार्थनाथ ने कहा कि “ ऐसे लोगों को पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब की उस शिक्षा के बारे में भी नहीं पता है जिसमें उन्होंने कहा था कि – जो दुनिया से रुखसत होता है वो हमसे अच्छी जगह अपने परमात्मा के पास जाता है उसकी बुराई ना करो ,बल्कि उससे और उसके परिवार वालों से हमदर्दी रखो. – पैगम्बर साहब की इस शिक्षा के मद्देनजर क्या इस तरह का विरोध उचित है?
उन्होने कहा कि जिन लोगों को आतंकवादी अफ़ज़ल गुरु और वानी जैसे देश के दुश्मनों के मरने पर दुख होता है. जो कैंपस में नमाजे जनाज़ा पढ़ते हैं उनसे मेरा यह भी सवाल है कि एक पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व राज्यपाल जिन्होंने जीवन भर प्रदेश की तरक्की की चिंता की. अलीगढ़ ज़िले को उन्नति की नई राह दी, उनके दुनिया से चले जाने पर क्यों दुख नहीं होता ? एएमयू के वाइस चांसलर ने उनको श्रद्धांजलि देकर कौन सा गुनाह कर दिया कि उनके खिलाफ पोस्टर लगे और उनको जालिम तक कहा गया. सवाल यह भी है कि जब कैंपस बंद है. छात्रावास खाली हैं, तो कैम्पस में पोस्टर लगाने वाले लोग कहां से आए थे. यूनिवर्सिटी का प्रॉक्टोरियल बोर्ड और प्रशासन क्या कर रहा है ? ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाने चाहिए.
उल्लेखनीय है कि पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय कल्याण सिंह को एएमयू के वाइस चांसलर की तरफ से दी गई श्रद्धांजलि के विरोध में पोस्टर लगा दिये गए थे. इनमें वाइस चांसलर तारिक मंसूर की आलोचना के साथ स्वर्गीय कल्याण को दी गई श्रद्धांजलि को गलत ठहराया गया था. पोस्टरों में उनके लिए ज़ालिम शब्द का भी प्रयोग किया गया था.
टिप्पणियाँ