शी जिनपिंग की धुर कम्युनिस्ट सोच को अब स्कूल-कॉलेजों के पाठ्यक्रम में जोड़ा जा रहा है। चीन के शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि नए दौर में चीनी विशेषताओं सहित समाजवाद पर शी जिनपिंग के विचार को पाठ्यपुस्तकों में शामिल किया जाएगा
कम्युनिस्ट सरकार के नियंत्रण वाले 'चाइना डेली' अखबार की मानें तो चीन की नेशनल टेक्स्टबुक कमेटी ने दिशा-निर्देश जारी करके कहा है कि पाठ्यपुस्तकों में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना और राष्ट्र की सामर्थ्य झलकेगी। नेशनल टेक्स्टबुक कमेटी से जुड़े हान झेन का कहना है कि विभिन्न विषयों में राष्ट्रपति शी की राजनीतिक सोच को शामिल किया जाएगा।
कम्युनिस्ट चीन ने बच्चों का 'दिमागी परिमार्जन' करने के लिए नया पैंतरा निकाला है। उसने अपने स्कूल-कालेजों के छात्रों के दिमाग में राष्ट्रपति शी जिनपिंग की राजनीतिक सोच गहरे पैठाने के लिए पाठ्यपुस्तकों में इसके अध्याय शामिल करने की तैयारी की है।
चीन दुनिया के ऐसे देशों में माना जाता है, जिनमें सरकार के विरुद्ध आवाज उठाने पर रोक है, जो इस रोक का उल्लंघन करता है उसे कड़ा दंड दिया जाता है। इसी कम्युनिस्ट देश में बच्चों के मन में राष्ट्रपति जिनपिंग के राजनीतिक विचारों को रोपने की सोच कितनी दूर तक की है, इसे समझना कोई मुश्किल काम नहीं है।
उल्लेखनीय है कि देश में शासन कर रही चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने पिछले दिनों अपनी 100वीं सालगिरह मनाई है। राष्ट्रपति शी ने तब अनेक कार्यक्रम शुरू करने की घोषणा की थी और नागरिकों पर अपना शिकंजा और कसने के संकेत दिए थे। उसी तरफ बढ़ते हुए शी जिनपिंग की धुर कम्युनिस्ट सोच को अब स्कूल-कॉलेजों के पाठ्यक्रम में जोड़ा जा रहा है। ऐसा पूरे देश के शिक्षण संस्थानों की किताबों में किया जाना है। चीन के शिक्षा मंत्रालय की ओर से 24 अगस्त को कहा गया है कि नए दौर में चीनी विशेषताओं सहित समाजवाद पर शी जिनपिंग के विचार को सभी कक्षाओं के छात्रों की पाठ्यपुस्तकों में जोड़ा जाएगा।
चीन के इस कदम से साफ दिखता है कि वह किस हद तक छोटी उम्र के बच्चों के दिमाग में खलल डालने की तैयारी में है। उसका उद्देश्य यही दिखता है कि ये बच्चे बड़े होने पर सरकार की गलत नीतियों के विरुद्ध कभी आवाज ना उठा पाएं। नए सिलेबस में प्राथमिक विद्यालय देश, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और समाजवाद के प्रति प्यार पर ज्यादा जोर देंगे।
कम्युनिस्ट सरकार के नियंत्रण वाले 'चाइना डेली' अखबार की मानें तो चीन की नेशनल टेक्स्टबुक कमेटी ने दिशा-निर्देश जारी करके कहा है कि पाठ्यपुस्तकों में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना और राष्ट्र की सामर्थ्य झलकेगी। नेशनल टेक्स्टबुक कमेटी से जुड़े हान झेन का कहना है कि विभिन्न विषयों में राष्ट्रपति शी की राजनीतिक सोच को शामिल किया जाएगा।
चीन के इस कदम से साफ दिखता है कि वह किस हद तक छोटी उम्र के बच्चों के दिमाग में खलल डालने की तैयारी में है। उसका उद्देश्य यही दिखता है कि ये बच्चे बड़े होने पर सरकार की गलत नीतियों के विरुद्ध कभी आवाज ना उठा पाएं। नए सिलेबस में प्राथमिक विद्यालय देश, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और समाजवाद के प्रति प्यार पर ज्यादा जोर देंगे। जबकि माध्यमिक विद्यालयों के पाठ्यक्रम में आधारभूत राजनीतिक निर्णयों और विचारों के प्रसार से जुड़ी चीजें शाामिल की जाएंगी।
ग्लोबल टाइम्स लिखता है कि कॉलेज के स्तर पर वैचारिक दृष्टि की स्थापना पर बहुत ज्यादा गौर किया जाएगा। बता दें कि 2018 में चीन के एक चोटी के संस्थान ने वहां के संविधान में ‘शी जिनपिंग के विचार’ शामिल किए थे। 'शी जिनपिंग के विचारों' में मुख्यत: 14 बातें हैं, जो कम्युनिस्ट आदर्शों पर बल देती हैं। अब यही 'आदर्श' छोटे बच्चों के दिमागों में रोपने का खाका तैयार हो चुका है।
टिप्पणियाँ