सरकार ने कश्मीर से विस्थापित हुए कश्मीरी पंडितों को उनकी जमीन वापस लौटाने के लिए एक शिकायत पोर्टल तैयार किया है। इस पर शिकायत कर कश्मीरी पंडित अपनी जमीन वापस ले सकेंगे
1989—90 में आतंकी हिंसा के कारण मजबूर होकर घाटी छोड़कर जाने वाले विस्थापित कश्मीरियों को अब उनकी पुश्तैनी जमीन जायदाद वापस मिलेगी। इसके लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने एक शिकायत पोर्टल तैयार किया गया है। इस पर देश-विदेश में कहीं भी रहने वाले विस्थापित कश्मीरी अपनी जायदाद के संबंध में शिकायत दर्ज करा सकेंगे। इसमें वह जबरन कब्जे या फिर उनकी जमीन को सस्ते दामों में खरीद लिए जाने की भी शिकायत दर्ज करा सकेंगे।
इस मामले से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आतंकी धमकियों के कारण जब लाखों कश्मीरी पंडितों को घर-बार छोड़कर भागने को मजबूर होना पड़ा तो उनकी संपत्तियों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी सरकार की थी लेकिन सरकार इसमें विफल रही। उनके मकान, दुकान व अचल संपत्तियों पर कब्जा कर लिया गया। बाद में विस्थापितों को डरा-धमकाकर औने-पौने दामों में उन संपत्तियों को खरीद लिया गया। अब सरकार ने विस्थापितों की ऐसी अचल संपत्तियों को वापस कराने का बीड़ा उठाया है।
बता दें कि इससे 1997 में भी विस्थापित कश्मीरियों की संपत्ति वापस करने के लिए कानून बनाया गया था, लेकिन इस कानून में शिकायतकर्ता को जिलाधिकारी के सामने जाकर शिकायत करनी होती थी। इसके बाद उसे उसकी संपत्ति पर हुए कब्जे का सुबूत देकर उसे वापस पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता था। यहां पर प्रशासन की तरफ से उसको सहयोगी नहीं मिल पाता था, नतीजतन एक भी विस्थापित कश्मीरी को उसकी जमीन या संपत्ति वापस नहीं मिल पाई।
इस बार ऐसा नहीं है। शिकायतकर्ता को पोर्टल या सिर्फ अपनी शिकायत देनी होगी। इसके उसे सारी जानकारी देनी होगी कि उसकी पुश्तैनी जमीन, किस गांव, जिले या तहसील में है। शिकायत दर्ज कराने के बाद संबंधित जिले का जिलाधिकारी खुद ईमेल या फोन पर शिकायतकर्ता से संपर्क करेगा और उन्हें वापस दिलाने के लिए कार्रवाई शुरू करेगा। इस बार कश्मीरी विस्थापितों को यह बताने का मौका दिया जाएगा कि उन्हें किन परिस्थितियों में अपनी जमीन— जायदाद को बेचना पड़ा था।शिकायतकर्ता के दावे सही पाए जाने पर प्रशासन उस संपत्ति को वापस लेकर मूल मालिक को लौटाएगा।
टिप्पणियाँ