प्रथम अंग्रेज गवर्नर जनरल (डी-फैक्टो) वारेन हेस्टिंग्स ने 50 लाख रुपये और 2000 अश्वारोही सिपाहियों की मांग पूरी न करने पर बनारस के राजा चेत सिंह को शिवाला किले में नजरबंद कर दिया। इससे बनारस की जनता सड़क पर उतर आई और एक स्थानीय बदमाश नन्हकू सिंह के नेतृत्व में अंग्रेज सिपाहियों को नाकों चने चबवा दिए
डॉ. अरविंद कुमार शुक्ल
इतिहासकार डॉ. मोतीचंद ने ‘काशी का इतिहास’ ग्रंथ में लिखा है कि अंग्रेज गवर्नर जनरल (डी फैक्टो) वारेन हेस्टिंग्स ने बनारस के राजा चेत सिंह से 50,00,000 रुपये और 2,000 अश्वारोही सिपाहियों की मांग की थी। इसे पूरा न करने पर चेत सिंह को सबक सिखाने के लिए हेस्टिंग्स 7 जुलाई, 1781 को 4 बटालियन लेकर बंगाल से बनारस के लिए रवाना हुआ। 14 अगस्त को हेस्टिंग्स बनारस पहुंचा और दीनानाथ गोला के पास स्थित माधोदास सामिया के बाग (अब स्वामी बाग) में डेरा डाला। 16 अगस्त को चेत सिंह को शिवाला किले में नजरबंद कर दिया गया।
चेत सिंह के गिरफ्तारी की खबर फैलने पर 17 अगस्त की सुबह बनारस की जनता और रामनगर से आए राजा के सिपाहियों ने किले को घेर लिया। इस बीच हेस्टिंग्स के संदेशवाहक चोबेदार चेतराम ने चेत सिंह से बदसलूकी की। इससे मनियर सिंह आगबबूला हो उठे जिस पर चेतराम ने कंपनी के सिपाहियों को मोर्चा लेने का आदेश दिया और खुद चेत सिंह पर टूट पड़ा। इसी बीच ‘बनारस का गुंडा’ कहे जाने वाले नन्हकू सिंह नजीब की तलवार चमक उठी और चेतराम की लाश क्षत-विक्षत होकर जमीन पर गिर पड़ी। इसके बाद शिवाला किला युद्ध के मैदान में बदल गया। जनता कम्पनी के सिपाहियों पर टूट पड़ी और स्टॉकर, स्कॉट और साइक्स सहित सभी सिपाही मारे गये।
इसके बाद मनियर सिंह ने सलाह दी कि माधोदास सामिया के बाग से हेस्टिंग्स को गिरफ्तार कर लिया जाए। लेकिन सदानंद बख्शी की भयभीत सलाह के कारण चेत सिंह राजी नहीं हुए और यहीं इतिहास अपनी विराटता को प्राप्त करने से वंचित रह जाता है। वारेन हेस्टिंग्स भयभीत होकर 21 अगस्त को जनाना वेष में पालकी में छुपकर चुनार भाग गया। और पूरे बनारस में जनता बोल उठी-
घोड़े पर हौदा, हाथी पर जीन दुम दबाकर भागा वारेन हेस्टिंग।
बनारस क्रांति के समय अंग्रेज इतने भयभीत हो चुके थे कि हेस्टिंग की पत्नी इसके बारे में सुनकर बीमार पड़ गई। हेस्टिंग्स ने चुनार से अपनी पत्नी को पत्र भेजा कि ‘मैं चुनार में हूं सुरक्षित और स्वस्थ, मुझे अब कोई डर नहीं है किंतु तुम्हारे लिए चिंता है।’ इस पत्र का उल्लेख सिडनीसी ग्रेयर के संकलन लेटर्स आॅफ वारेन हेस्टिंग्स में किया गया है।
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