रीड की मानें तो अमेरिका की नीति कामयाब नहीं रही पाकिस्तान के दोहरे चेहरे से निपटने के लिए। यही सबसे बड़ी वजह रही नाकामी की और इसी वजह से आज हमें अफगानिस्तान में तालिबान का यह रूप दिख रहा है
अमेरिका के जाने-माने डेमोक्रेटिक पार्टी सीनेटर जैक रीड ने यह कहकर जानकारों को चौंका दिया है कि अफगानिस्तान में आज जो हालात बने हैं उसके पीछे अन्य कारणों के अलावा सबसे बड़ा कारण है पाकिस्तान के दोहरे चेहरे से निपटने के लिए अमेरिका के पास कोई असरदार नीति न होना। यह सबसे बड़ी वजह रही नाकामी की और इसी वजह से आज हमें अफगानिस्तान में तालिबान का यह रूप दिख रहा है।
सशस्त्र सेवा कमेटी के अध्यक्ष सीनेटर रीड ने आगे कहा कि पाकिस्तान पर आरोप लगते हे हैं तालिबान की मदद के। यही वजह रही कि तालिबान 20 साल अलग रहा पर उसने फिर से पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया। उन्होंने कहा कि लड़ाई में उलझे देश में उभरते मानवीय संकट गहरी चिंता का विषय हैं। और यह परिस्थिति कैसे बनी, इसे बता पाना कोई आसान काम नहीं है।
अमेरिकी सीनेटर का कहना है कि 20 साल की लड़ाई के दौरान अनेक पहलुओं का आज नतीजा दिखा है। हमें इन सब बातों पर सोचना होगा और आगे कदम बढ़ाना होगा। आज जो अफगानिस्तान में देखने में आ रहा है, उसके कारकों में रीड के अनुसार कई चीजें हैं, जैसे इराक युद्ध में भागीदारी करना, पाकिस्तान के दोहरे चेहरे से निपटने में नाकाम रहना, आतंकरोधी मोर्चे पर असफलता मिलना, अफगानिस्तान में प्रभावी सरकार न बना पाना तथा सुरक्षा बलों को मजबूती से खड़ा न कर पाना।
डेमोक्रेटिक पार्टी के सीनेटर ने कहा कि इन्हीं तमाम असफलताओं में पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप की पहल पर हुआ दोहा करार भी जुड़ गया। उस करार से अमेरिका को मामूली जीत मिली थी। रीड का कहना है कि अफगानिस्तान का मौजूदा संकट न डेमोक्रेटिक पार्टी की उपजाई समस्या है न रिपब्लिकन की। दरअसल यह इन दोनों पार्टियों के चार राष्ट्रपतियों के कार्यकाल की असफलताओं का नतीजा है।
रीड ने स्पष्ट किया कि सीनेट की सशस्त्र सेवा कमेटी इस सब पर मंथन करेगी कि अफगानिस्तान के संदर्भ में कहां-क्या गलती हुई। ऐसी व्यवस्था कि जाएगी कि वे गलतियां दोहराई न जाएं। दिलचस्प बात है कि इस बीच अमेरिकी संसद के सदस्य माइक वाल्ट्ज ने अपील की है कि अमेरिका को पाकिस्तान को दी जाने वाली मदद पर रोक लगानी चाहिए।
डेमोक्रेटिक पार्टी के सीनेटर ने कहा कि दोहा करार से अमेरिका को मामूली जीत मिली थी। रीड का कहना है कि अफगानिस्तान का मौजूदा संकट न डेमोक्रेटिक पार्टी की उपजाई समस्या है न रिपब्लिकन की। दरअसल यह इन दोनों पार्टियों के चार राष्ट्रपतियों के कार्यकाल की असफलताओं का नतीजा है।
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